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Arpa-Bhainsajhad: जिस SDM को जेल जाना था, उसे मलाई काटने आरटीओ बना दिया गया, 11 अफसरों का बाल बांका नहीं, कलेक्टर, कमिश्नर की कार्रवाई वाली चिठ्ठी कूड़ेदान में...

Arpa-Bhainsajhad: छत्तीसगढ़ में अभनपुर मुआवजा कांड में राज्य प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारी न केवल सस्पेंड किए गए बल्कि भूमाफिया समेत आधा दर्जन आरोपित सलाखों के पीछे भेज दिए गए हैं। मगर 1100 करोड़ के अरपा-भैंसाझाड़ नहर परियोजना मुआवजा कांड में सिस्टम ने आंखों पर पट्टी बांध लिया है। उपर से इस स्कैम के हीरो तत्कालीन एसडीएम को अफसरों ने कार्रवाई करने की बजाए बिलासपुर का आरटीओ बना दिया। इसके लिए कलेक्टर और कमिश्नर की दोषी एसडीएम समेत राजस्व विभाग और सिंचाई विभाग के अधिकारियों के कार्रवाई के लिए लिखे पत्र को डस्टबीन में डाल दिया गया। कलेक्टर की जांच रिपोर्ट के अनुसार एसडीएम ने अरपा-भैंसाझाड़ के किसानों का मुआवजा बिल्डर और व्यापारी को दे दिया...जिनकी जमीन नहर में गई, वो किसान आज भी मुआवजे के लिए भटक रहे हैं।

Arpa-Bhainsajhad: जिस SDM को जेल जाना था, उसे मलाई काटने आरटीओ बना दिया गया, 11 अफसरों का बाल बांका नहीं, कलेक्टर, कमिश्नर की कार्रवाई वाली चिठ्ठी कूड़ेदान में...
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By Gopal Rao

Arpa-Bhainsajhad: रायपुर। कलेक्टर, कमिश्नर जिलों और संभाग में सरकार के प्रतिनिधि होते हैं। सरकार अपने हिसाब से चुनकर कमिश्नर और कलेक्टर की नियुक्ति करती है। वे अगर सरकार को किसी मुलाजिम के खिलाफ कार्रवाई करने पत्र लिखते हैं, तो उस पर बकायदा कार्रवाई होती है। मगर बिलासपुर जिले के अरपा-भैंसाझाड़ का मामला जुदा है। कोविड के दौरान पिछली कांग्रेस सरकार में इस नहर परियोजना में मुआजवे का खेल हुआ। विधानसभा में मंत्री द्वारा जांच का आदेश देने पर कलेक्टर ने उसकी जांच कराई। जांच में तत्कालीन एसडीएम समेत राजस्व विभाग के आधा दर्जन मुलाजिम दोषी पाए गए। इसके अलावा सिंचाई विभाग के आधा दर्जन इंजीनियरों को भी इस प्रकरण में लिप्त पाया गया।

कलेक्टर के पत्र में 11 दोषी

कोटा के तत्कालीन एसडीएम समेत 11 अधिकारी इस मामले में दोषी पाए गए, ये उनकी जांच रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा गया है। नीचे पढ़ियेगा बिलासपुर के तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण द्वारा कमिश्नर को भेजा गया पत्र। उसमें स्पष्ट तौर पर लिखा है कि जिला स्तरीय जांच में एसडीएम समेत 11 अधिकारी दोषी पाए गए हैं। अवनीश शरण ने इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी। कलेक्टर के पत्र को बिलासपुर कमिश्नर ने अपनी अनुशंसा के साथ राजस्व विभाग को भेज दिया था। विधानसभा के बजट सत्र 2025 में विधानसभा में सरकार ने जानकारी दी कि इस मामले में कमिश्नर ने कार्रवाई करने राजस्व विभाग को पत्र लिखा है, उस पर कार्रवाई हो रही है। मगर आज तक उसमें कुछ नहीं हुआ।


सिस्टम को आखिर और क्या सबूत चाहिए। अरपा-भैंसाझाड़ नहर परियोजना के मुआवजा वितरण में व्यापक भ्रष्टाचार मामले में कलेक्टर ने स्पष्ट तौर पर लिखा कि एसडीएम आनंद स्वरूप तिवारी समेत आधा दर्जन दोषी पाए गए हैं, इनके खिलाफ कार्रवाई अपेक्षित है। कलेक्टर ने 24 फरवरी 2024 को बिलासपुर कमिश्नर को पत्र लिखा। कमिश्नर ने इसके दो दिन बाद कार्रवाई की अनुशंसा के साथ राजस्व विभाग को पत्र प्रेषित कर दिया। इस एपिसोड को सवा साल से अधिक हो गया।

1131 करोड़ के अरपा-भैंसाझाड़ नहर निर्माण में एसडीएम और सिंचाई अधिकारियों ने ऐसा गड़बड़झाला किया कि जिन किसानों की जमीन थी, उन्हें मुआवजा नहीं मिला। एसडीएम ने एक व्यापारी को 3.42 करोड़ दे दिया। और जिन किसानों की जमीनें नहर में गई, वे भटक रहे हैं।

बता दें, कोविड महामारी के समय लोगों के बदहवासी का फायदा उठाते हुए बिलासपुर के कोटा एसडीएम और पटवारी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर किसानों का हकों पर डाका डाल दिया। अफसरों ने किसानों की जगह एक व्यापारी को कागजों में भूस्वामी बनाकर 48 गुना अधिक रेट से 3.42 करोड़ रुपए मुआवजा दे दिया। जिन किसानों की जमीन पर नहर बनी, वे मुआवजा के लिए भटक रहे हैं।


बिलासपुर जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है, अरपा-भैंसाझाड़ नहर के मुआवजे में 30 करोड़ से उपर का इसी तरह का खेल हुआ। भंडा तब फूटा जब एक भूस्वामी की जमीन पर खुदाई के लिए जेसीबी पहुंच गई। वो भागते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा कि मुझे न मुआवजा मिला और न ही मुझे जमीन अधिग्रहण के बारे में कुछ बताया गया। इस पर कोहराम मचा। चूकि मामला कागजों में अपराधिक कृत्य का था, इसलिए बचाना संभव नहीं था। लिहाजा, जिला स्तर पर इसकी जांच कराई गई। जांच में कोटा के एसडीएम आनंदस्वरूप तिवारी समेत राजस्व विभाग के छह और सिंचाई विभाग के पांच अधिकारी दोषी पाए गए।

कागजों में बना दिया नहर

अरपा भैंसाझार नहर निर्माण में गजब का घोटाला हुआ है। घोटाला करने वाले पटवारी व तत्कालीन कोटा एसडीएम ने कागज में नहर बना दिया और किसानों की जमीन हड़प ली। किसान आज भी दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। जमीन भी गई और मुआवजा भी नहीं मिला। किसानों की जमीन को पटवारी मुकेश साहू ने अपनी कलम की करामात से व्यवसायी मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल के नाम चढ़ा दी और 3 करोड़ 42 लाख रुपए का वारा-न्यारा कर दिया। यह पूरा खेला कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंदरूप तिवारी और पटवारी मुकेश साहू ने किया है।

गजब का खेल

अरपा-भैंसाझार नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में पटवारी मुकेश साहू, कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंदरूप तिवारी के अलावा राजस्व अमला और जल संसाधन विभाग के अफसरों ने गजब का खेल किया है। एनपीजी के पास उपलब्ध दस्तावेजों में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे पढ़कर आप भी हैरान रह जाएंगे। पटवारी मुकेश साहू ने नहर के एलाइमेंट को ही कागजों में बदल दिया। नहर को 200 मीटर आगे खिसका दिया और व्यवसायी मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की बंजर जमीन से नहर निकलना बताते हुए 3 करोड़ 42 लाख रुपए का खेला कर दिया है।

मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की जिस जमीन पर नहर निर्माण होना बताया जा रहा है वह नहर से तकरीबन 200 मीटर दूर है। नहर का एलाइमेंट बदलकर 200 मीटर पहले बने नहर को कागजों में 200 मीटर दूर बता दिया और मनोज अग्रवाल के स्वामित्व वाली जमीन खसरा नंबर 1/4, 1/6 की कुल 29 डिसमिल जमीन का पहले अधिग्रहण किया और फिर मुआवजा प्रकरण बनाकर 3 करोड़ 42 लख रुपए का भुगतान कर दिया। जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए बंजर जमीन को पटवारी ने दोफसली बता दिया। झोपड़ी को कागज में मकान बना दिया।

किसान भटक रहे, व्यापारी को मुआवजा मिल गया

राजस्व अधिकारी और सिंचाई अधिकारियों ने एक व्यापारी से मिलकर और खेल किया। जिन किसानों की जमीन नहर निर्माण की जद में आई और वर्तमान में नहर बन गया है उन किसानों को आजतलक मुआवजा नहीं मिल पाया है। ये किसान आज भी मुआवजा के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। अशोक कुमार संतोष कुमार की खसरा नंबर 4/1, 4/2 की 12 डिसमिल जमीन और तुलसीराम व अन्य किसानों की 17 डिसमिल जमीन का भुगतान नहीं किया गया।

बगैर प्रकाशन कर दिया भुगतान

मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की जिस 29 डिसमील जमीन का मुआवजा देने के लिए नहर का एलाइमेंट बदला गया है, उस जमीन का अधिग्रहण के लिए शासन स्तर पर राजपत्र में प्रकाशन भी नहीं हुआ है। राजस्व अमले और अफसरों ने एक मनोज अग्रवाल नाम के व्यापारी को फायदा पहुंचाने के लिए कागजों में पूरा खेल कर दिया और सरकारी खजाने को चूना लगा दिया।

कलेक्टर की जांच में ये दोषी

जांच में दो तत्कालीन एसडीएम समेत पांच राजस्व कर्मी दोषी पाए गए।

1. तत्कालीन एसडीएम कोटा आनंदस्वरुप तिवारी।

2. तत्कालीन एसडीएम कोटा कीर्तिमान सिंह राठौर।

3. नायब तहसीलदार मोहरसाय सिदार।

4. आरआई हुल सिंह।

5. पटवारी दिलशाद अहमद।

6. पटवारी मुकेश साहू सकरी।

सिंचाई विभाग के पांच अधिकारियों की इस केस में भूमिका रही। इन्हें भी जांच में दोषी पाया गया।

1. तत्कालीन ईई कोटा आरएस नायडू।

2. ईई कोटा एके तिवारी।

3. तत्कालीन एसडीओ कोटा राजेंद्र प्रसाद मिश्रा।

4. तत्कालीन एसडीओ तखतपुर आरपी द्विवेदी।

5. सब इंजीनियर तखतपुर आरके राजपूत।

Gopal Rao

गोपाल राव: रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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