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वैक्सीन पर बड़ी खबर: अब इस वैक्सीन को मिली मंजूरी… कोरोना के खिलाफ देश के पास एक और हथियार… जानिए इसके बारे में सब कुछ

वैक्सीन पर बड़ी खबर: अब इस वैक्सीन को मिली मंजूरी… कोरोना के खिलाफ देश के पास एक और हथियार… जानिए इसके बारे में सब कुछ
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By NPG News

नईदिल्ली 12 अप्रैल 2021। आखिरकार भारत में कोरोना के खिलाफ जंग में एक और शस्त्र मिल ही गया। भारत की विशेषज्ञ समिति ने रूस की स्पुतनिक-वी (Sputnik-V) वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। स्पुतनिक-वी वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 91.6 फीसदी असरकारी साबित हुई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की मंजूरी के बाद भारत का औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) अंतिम फैसला लेगा।

अंतिम मंजूरी के साथ ही अब देश में तीन कोरोना टीके होंगे। देश में एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से तैयार कोविशील्ड और भारत बायोटेक-आईसीएमआर के टीके कोवैक्सीन को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है और इनकी 10 करोड़ से अधिक खुराक लोगों को दी जा चुकी है।

हैदराबाद आधारित दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने पिछले सप्ताह भारत सरकार से स्पूतनिक वी के लिए मंजूरी मांगी थी। रसियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) ने सितंबर 2020 में डॉ. रेड्डीज से भारत में क्लीनिकल ट्रायल के लिए पार्टनरशिप की थी। रूसी वैक्सीन का 9.1.6 फीसदी प्रभावी है और यूएई, भारत, वेनेजुएला और बेलारूस में फेज 3 के क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है।

डॉ. रेड्डीज के अलावा आरडीआईएफ ने भारत में प्रतिवर्ष 20 करोड़ डोज के उत्पादन के लिए मार्च में विरचो बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड से समझौता किया था। इसने स्टेलिस बायोफार्मा प्राइवेट लिमिटेड और पैंसिया बायोटेक से 20 और 10 करोड़ डोज उत्पादन के लिए पार्टनरशिप की है।

रूसी वैक्सीन को ऐसे समय पर मजूरी दी गई है जब देश में अब तक के सर्वाधिक 1,68,912 कोरोना केस सामने आए हैं और संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1,35,27,717 हो गई है। 11 से 14 अप्रैल तक मनाए जा रहे टीका उत्सव के बीच कई राज्य कोरोना टीकों की कमी का आरोप लगा रहे हैं।

59 देश दे चुके हैं मंजूरी
स्पुतनिक-वी को अब तक 59 देश मंजूरी दे चुके हैं। इनमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बेलारूस, सर्बिया, बोलिविया, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, फिलिस्तीन, अल्जीरिया, तुर्कमेनिस्तान और पैराग्वे शामिल हैं।

रूस की पहली सैटेलाइट से मिला वैक्सीन को नाम
इस वैक्सीन का नाम रूस की पहली सैटेलाइट स्पूतनिक से मिला है। जिसे रूस ने 1957 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने लॉन्च किया था। उस समय भी रूस और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष होड़ चरम पर थी। कोरोना वायरस वैक्सीन के विकास को लेकर भी अमेरिका और रूस के बीच प्रतिद्वंदिता चल रही थी।

रूस के वेल्थ फंड के मुखिया किरिल दिमित्रीव ने वैक्सीन के विकास की प्रक्रिया को ‘स्पेस रेस’ जैसा बताया था। उन्होंने US TV को बताया, ‘जब अमेरिका ने Sputnik (सोवियत यूनियन की बनाई दुनिया की पहली सैटलाइट) की आवाज सुनी तो वे हैरान रह गए, यही बात वैक्सीन के साथ है।

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