Big News-बिल्डरों को सरकार देने जा रही सिंगल विंडो की बड़ी सौगात, आवास सिस्टम से अब कलेक्ट्रेट से ही सारे क्लियरेंस मिल जाएंगे, टाईम भी बचेगा, सिंगल विंडो शुरू करने वाला छत्तीसगढ़ बनेगा देश का पहला राज्य
कुमार संदीप@NPG.NEWS
रायपुर, 12 मार्च 2020। छत्तीसगढ़ के बिल्डरों एवं कालोनाइजरों को अब आवासीय परियोजनाओं के एप्रूवल के लिए सरकारी कार्यालयों के खामोख्वाह चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। और न ही अब उन्हें लाल फीताशाही का शिकार होना पड़ेगा। भूपेश बघेल सरकार सिंगल विंडों के रूप में रीयल इस्टेट को अहम सौगात देने जा रही है। सूबे के बिल्डर भी मान रहे हैं कि सरकार के इस साकारात्मक पहल से सरकारी प्रक्रियाओं की जटिलताएं दूर होंगी…सिस्टम में पारदर्शिता आएगी। छत्तीसगढ में रीयल इस्टेट में निवेश बढ़ेंगे। जाहिर है, इससे सूबे में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
अविनाश ग्रुप के प्रबंध निदेशक आनंद सिंघानिया कहते हैं, राहत की बात है कि ये सरकार बिल्डरों की सुन रही है। सिंगल विंडो प्रणाली से प्रोजेक्ट का एप्रूवल जल्दी होगा….सिस्टम में पारदर्शिता आने के साथ ही प्रोजेक्ट कॉस्ट कम होगा। इसमें यह भी सहूलियत है कि ऑनलाइन हम इसे ट्रैक करते रहेंगे कि हमारा आवेदन किस स्टेज पर है।
ज्ञातव्य है, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने गए क्रेडाई के सदस्यों ने बताया था कि एप्रूवल के लिए उन्हें काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। कई बार तो एक प्रोजेक्ट को शुरू होने में दो-से-ढाई साल निकल जाते हैं। इस कारण प्रोजेक्ट की लागत बढ़ जाती है। ब्याज पर पैसे लेकर बिल्डर जमीन खरीदते हैं, उपर से टाईम लंबा लगने से रॉ मटेरियल का रेट बढ़ जाता है। इसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ता है। लागत बढ़ने की वजह से उसे महंगे रेट पर मकान खरीदना पड़ता है।
हालांकि, बिल्डरों की संस्था क्रेडाई के सदस्यों ने पिछली सरकार में कई मौके पर आवाज उठाई थी कि परियोजनाओं के एप्रूवल में आने वाली जटिलताओं को दूर करने के लिए सरकार कोई योजना बनाएं….लालफीताशाही हॉवी होने से अनावश्यक लेटलतीफी का उन्हें शिकार होना पड़ता है।
बताते हैं, सीएम भूपेश बघेल ने क्रेडाई के सदस्यों को अश्वस्त किया था कि वे ऐसी कोई व्यवस्था कराएंगे, जिससे बिल्डरों को भटकना न पडे। एक ही विंडो से काम हो जाए और टाईम भी कम लगे।
सीएम के निर्देश पर आवास एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने सिंगल विंडों की परिकल्पना को आगे बढ़ाया। इस योजना का नाम दिया गया है, आवास। याने आटोमेटेड वर्कफ्लो ऑफ एप्रूवल सिस्टम।
बिल्डरों का कहना है, अभी तक कालोनाइजरों को प्रोजेक्ट के एप्रूवल के लिए लैंड डायवर्सन के लिए कलेक्ट्रेट, इसके बाद ले आउट के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, फिर नक्शा पास कराने नगर निगम का चक्कर लगाना पड़ता था। इसमें फाइल, नोटशीट के फेर में प्रोजेक्ट में डेढ़- दो साल लग जाते थे।
टाउन एंड कंट्री विभाग के रायपुर के ज्वाइंट डायरेक्टर संदीप बांगड़े ने एनपीजी न्यूज को बताया, आवास सिस्टम याने आटोमेटेड वर्कफ्लो एप्रूवहल सिस्टम के तहत सभी जिलों के कलेक्ट्रेट में एक एडिशनल कलेक्टर को इसका नोडल अफसर बनाया जाएगा। बिल्डरों को अब विभिन्न आफिसों में भटकने की बजाए अपने जिलों के एडिशनल कलेक्टर के आफिस में ऑनलाइन आवेदन लगाना पड़ेगा। एडिशनल कलेक्टर आफिस का जिम्मा होगा कि टाउन एंड कंट्री से लेकर नगर निगम से उसका एप्रूवल दिलाए। इसके लिए महीने में एक बार कलेक्ट्रेट के नोडल आफिस में इन तीनों शाखाओं के अधिकारियों की बैठक होगी।
इस ऑनलाइन सिस्टम का संबंधित जिले के कलेक्टर सतत मानिटरिंग करेंगे। उनको लगेगा कि किसी प्रोजेक्ट में नीयत समय से अधिक लेट हो रहा है तो वे अधिकारियों को तलब कर सकते हैं। इसमें महत्वपूर्ण यह भी है कि किसी भी विभाग के अधिकारी सिर्फ एक बार क्वेरी निकालेंगे। अगर दूसरे बार क्वेरी निकालेंगे तो माना जाएगा कि अफसर की मंशा ठीक नहीं। संबंधित अधिकारी के खिलाफ इसमें कार्रवाई करने के भी प्रावधान हैं। सीएम भूपेश बघेल का स्पष्ट निर्देश है कि आवास एवं पर्यावरण विभाग के सिकरेट्री भी आवास योजना पर नजर रखेंगे। बांगड़े का कहना है कि इससे सिस्टम में काफी पारदर्शिता आएगी।
राजधानी रायपुर के पुराने बिल्डर एवं जेके गोयल कंपनी के एमडी जीतेंद्र गोयल इसे सरकार की सकारात्मक पहल मानते हैं। गोयल का कहना है कि सिंगल विंडो सरकार की अच्छी योजना होगी। इससे बिल्डरों का अनावश्यक भटकाव दूर होगा। टाईम लिमिट होने की वजह से काम भी समय पर होंगे। गोयल दो टूक कहते हैं कि पिछली सरकार बिल्डरों के लिए पॉजिटिव नहीं थी। सरकार का पूरा फोकस नया रायपुर और कमल विहार पर था। इस चलते बिल्डरों का काफी नुकसान हुआ। यही बात आनंद सिंघानिया भी कहते हैं। उन्होंने कहा, कम-से-कम इस सरकार में बिल्डरों की सुनवाई तो हो रही है।
उधर, अफसरों का कहना है, आवास स्कीम की पूरी तैयारी हो चुकी है। ज्वाइंट डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग संदीप बांगड़े ने बताया कि फायनल स्टेज में इसका ट्रायल चल रहा है। संदीप भी मानते हैं कि बिल्डरों के लिए ये राहत देने वाली योजना होगी। क्योंकि, उन्हें अब एक ही जगह ऑनलाइन अप्लाई करना होगा और वहीं से पूरा चेक करने के बाद उन्हें प्रोजेक्ट का एप्रूवल मिल जाएगा।
वैसे, जानकारों का कहना है, क्रेडाई के प्रदेश में करीब 200 मेम्बर हैं। इनके अलावे करीब तीन सौ छोटे बिल्डर हैं, जो कम लागत के छोटे प्रोजेक्ट बनाते हैं। इनमें वे भी शामिल हैं, जो दो-दो, तीन-तीन प्लाट लेकर मकान बनाते हैं और उसे बेचकर फिर प्लाट खरीदते हैं। इसके अलावा हर साल 20 हजार से अधिक लोगों को लेआउट और नक्शा पास कराने के लिए भटकना पड़ता है। इस योजना से वे भी लाभान्वित होंगे।
आरसीपी इंफ्राटेक प्रायवेट लिमिटेड के सीएमडी राकेश पाण्डेय इसे सरकार का बोल्ड स्टेप बताते हैं। उन्होंने कहा कि रीयल इस्टेट के लिए सिंगल विडो शुरू करने वाला छत्तीसगढ़ देश का संभवतः पहला राज्य होगा। इससे सबसे बड़ा फायदा कस्टमर को मिलेगा। क्योंकि, प्रोजेक्ट लेट होने से ब्याज की लागत बढ़ती है। और, आखिरकार इसका लोड मकानों पर पड़ता है। कैपिटल बिल्डकॉन प्रायवेट लिमिटेड के एमडी नीतिन शाह ने भी रीयल इस्टेट के प्रति इसे सरकार का साकारात्मक कदम बताया है। शाह का कहना है, इस नए सिस्टम में एक अच्छी बात यह है कि टाईम लिमिट है। क्वेरी भी सिर्फ एक बार निकाली जाएगी। इससे बिल्डरों की परेशानियां कम होगी। साथ ही पारदर्शिता भी आएगी।
व्यापार और रोजगार बढ़ेगा
ऐश्वर्या ग्रुप के डायरेक्टर मोहन नीले ने सरकार के सिंगल विंडो के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे बिल्डरों को राहत तो मिलेगी ही प्रदेश के व्यापक परिप्रेक्ष्य में लाभ मिलेगा। एप्रूवल की जटिलताएं कम होने से बाहर से बिल्डर भी छत्तीसगढ़ आएंगे। अभी बाहर का एक भी बिल्डर छत्तीसगढ़ नहीं आया है। इसके साथ ही अब और लोग भी इस फील्ड में आएंगे। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। जाहिर है, इससे मकानों की क्वालिटी सुधरेगी बल्कि किफायती दर पर आम आदमी को मकान मुहैया हो सकेगा। नीले का कहना है, बिल्डर आमतौर पर प्रोजेक्ट के लिए लगभग 300 आयटम खरीदता है। रीयल इस्टेट में अगर काम फास्ट होगा तो निश्चित तौर पर अन्य व्यापारों में भी ग्रोथ आएगा। इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को गति मिलेगी।