Begin typing your search above and press return to search.

बिग ब्रेकिंग : राज्य सरकार ने प्रदेश के सैंकड़ो असिस्टेंट मेडिकल आफिसर को दिया झटका…. AMO का पद किया खत्म, अब RMA कहलायेंगे…. पदनाम बदलने का आदेश लिया वापस… 2012 में रमन सरकार ने मेडिकल आफिसर का पद सरेंडर कर किया था RMA को नियुक्त

बिग ब्रेकिंग : राज्य सरकार ने प्रदेश के सैंकड़ो असिस्टेंट मेडिकल आफिसर को दिया झटका…. AMO का पद किया खत्म, अब RMA कहलायेंगे…. पदनाम बदलने का आदेश लिया वापस… 2012 में रमन सरकार ने मेडिकल आफिसर का पद सरेंडर कर किया था RMA को नियुक्त
X
By NPG News

रायपुर 17 जनवरी 2020। राज्य सरकार ने प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात सैंकड़ों सहायक चिकित्सा अधिकारी यानि AMO को बड़ा झटका दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी कर AMO का पदनाम खत्म कर दिया है…अब AMO को पूर्व की भांति RMA पदनाम से जाना जायेगा। हाईकोर्ट में लगी याचिका पर फाइनल हेयरिंग के ठीक पहले राज्य सरकार ने ये आदेश जारी किया है। दरअसल प्रदेश में अभी करीब 1300 AMO यानि असिस्टेंट मेडिकल आफिसर तैनात हैं। हालांकि पहले इन्हें RMA पद पर तैनात किया गया था, लेकिन बाद में 3 जनवरी 2017 को आदेश जारी कर AMO पदनाम दे दिया गया।

हालांकि 2012 में जब पहली बार RMA की यानि रूरल मेडिकल अस्सिटेंट की नियुक्ति की गयी थी, तभी से ये नियुक्ति विवादों में था। RMA के पद का सृजन साल 2012 में मेडिकल आफिसर के पद को सरेंडर कर किया गया था, लिहाजा शासकीय चिकित्सा संघ ने साल 2012 से ही इसके विरोध में उतर आया। संघ की ओर से सीनियर वकील कनक तिवारी के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी और RMA की नियुक्ति का विरोध जताया था। 817 पदों पर RMA की नियुक्ति के अलावे NHM के जरिये कईयों को संविदा नियुक्ति भी दे दी गयी। कमाल की बात ये रही कि मेडिकल आफिसर के 817 पद सरेंडर होने पर कहीं से कोई आपत्तियां नहीं आयी। वहीं RMA पद के सृजन में वित्त विभाग ने भी किसी तरह की आपत्ति नहीं जतायी।

संघ ने इस बात की दलील ये थी कि जिस त्रिवर्षीय कोर्स के जरिये RMA पास हुए हैं, ऐसे कोर्स को MCI से किसी तरह की मान्यता है ही नहीं, वहीं ग्रामीण चिकित्सा सहायक का पद होने के बावजूद उन्हें शहरों में तैनात किया गया था, सामान्य लोगों का इलाज तो RMA करते थे, लेकिन VIP ड्यूटी में इन्हें नहीं भेजा जाता था। याचिका में ये भी बातें कही गयी थी कि अगर ये कोर्स ज्यादा प्रभावी था, तो फिर राज्य सरकार ने 2005 में इसे बंद क्यों कर दिया। ऐसे ही कुछ अन्य दलीलें याचिका में दी गयी थी।

हाईकोर्ट में याचिका पर तारीख दर तारीख चलती रही, लेकिन तत्कालीन रमन सरकार इस मुद्दे पर लगातार आगे बढ़ती रही। 2017 में तो हद हो गयी, जब तत्कालीन राज्य सरकार ने RMA के पद को बदलकर इन्हें सहायक चिकित्सा अधिकारी का पद दे दिया। हद तो ये हो गयी कि आज के वक्त में प्रदेश के 800 से ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इन्हें इंचार्ज बना दिया गया है। वो इलाज करते हैं, सर्जरी करते हैं, डाक्टरों की भांति अन्य तमाम काम करते हैं और उनमें से कई तो निजी प्रैक्टिश भी करते हैं। जबकि हकीकत ये है कि इन्हें मेडिकल की बुनियादी पढ़ाई ही नहीं करायी गयी थी।

इस मामले में हाईकोर्ट में फैसला आखिरी दौर में है, उससे पहले राज्य सरकार ने ये बड़ा आदेश जारी किया है और AMO का पदनाम बदलकर फिर से RMA कर दिया है। अभी प्रदेश में करीब 600 नियमित व 650 से अधिक एनएचएम के तहत सविंदा में कार्यरत हैं। राज्य सरकार के इस आदेश के बाद बड़ा झटका लगने वाला है।

Next Story