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टेंडर कांड में CM भूपेश का बड़ा एक्शन: जल जीवन योजना के सारे टेंडर किये गये निरस्त…..10 हजार करोड़ के टेंडर को लेकर आ रही थी कई गड़बड़ियां….कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री ने दिये निर्देश

टेंडर कांड में CM भूपेश का बड़ा एक्शन: जल जीवन योजना के सारे टेंडर किये गये निरस्त…..10 हजार करोड़ के टेंडर को लेकर आ रही थी कई गड़बड़ियां….कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री ने दिये निर्देश
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By NPG News

रायपुर 26 अक्टूबर 2020। …आखिर जल जीवन मिशन का टेंडर राज्य सरकार ने रद्द कर दिया। कैबिनेट की बैठक में आज मुख्यमंत्री ने 10 हजार करोड़ के टेंडर को रद्द करने का निर्देश दिया है। दरअसल पिछले कई दिनों से जल जीवन मिशन के टेंडर को लेकर शिकायत आ रही थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस मामले में चीफ सिकरेट्री की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी भी बनी थी। इस मामले में शिकायत को सही पाये जाने के बाद इस टेंडर को रद्द करने का निर्देश दिया गया है। इस योजना के तहत कई स्तर पर गड़बड़िया सामने आयी थी।

एक तो आपत्र लोगों को भी करोड़ों के ठेके आवंटित कर दिये गये थे, वहीं कई जगहों पर ये शिकायत भी आयी थी कि राज्य के बाहर के लोगों को 6 हजार करोड़ से ज्यादा का ठेका दे दिया गया, वहीं स्थानीय ठेकेदार को बस्तर और सुदूर नक्सल क्षेत्र में 2 से 10 करोड़ का ठेका ही मिल पाया था। इसे लेकर गहरी नाराजगी थी, जिस पर पहले भी मुख्यमंत्री ने नाराजगी जतायी थी।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार की इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के भी 38.34 लाख घरों में पाइप लाइन के जरिये पानी की आपूर्ति की जानी थी। 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री के इस योजना के घोषणा के एक साल बाद भी इस योजना के टेंडर का मसला ही नहीं सुलझ पाया था। इस योजना के टेंडर में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की भी शिकायत आ रही थी। मुख्यमंत्री तक जब इस भ्रष्टाचार की शिकायत पहुंची, तो उन्होंने काफी नाराजगी जतायी थी और चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल की अध्यक्षता में एसीएस फाइनेंस और सिकरेट्री पीएचई की एक जांच टीम बना दी।

ये था विवाद : ठेका आवंटन में जमकर हुई मनमानी

दरअसल इस योजना के टेंडर को लेकर जो शर्तें थी, छत्तीसगढ़ में उन शर्तों का माखौल उड़ाया जा रहा था। जानकारी के मुताबिक इस टेंडर में ए ग्रेड के ठेकेदार के लिए काम लेने की पात्रता असीमित थी, जबकि बी ग्रेड के लिए 10 करोड़, सी ग्रेड के लिए 2 करोड़ और डी ग्रेड के 1 करोड़ की पात्रता थी, लेकिन कई ठेकेदार डी श्रेणी के होने के बावजूद उन्हें 10 करोड़ तक के ठेके दे दिये गये।

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