डीजल का खेल खत्म? टाटा ने शुरू किया भारत में हाइड्रोजन ट्रकों का बड़ा ट्रायल, जानें कैसे बदलेगा लॉजिस्टिक्स सेक्टर
Tata Motors Hydrogen Truck Trials: टाटा मोटर्स ने भारत में हाइड्रोजन ट्रकों का ट्रायल शुरू किया है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसे हरी झंडी दिखाई। यह ट्रायल 24 महीने चलेगा और 16 ट्रकों को अलग-अलग रूटों पर टेस्ट किया जाएगा।

Tata Motors Hydrogen Truck Trials: भारत में डीजल ट्रकों का दबदबा अब खत्म होने की कगार पर है? देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी, टाटा मोटर्स ने एक ऐसा कदम उठाया है जो ट्रांसपोर्ट सेक्टर को पूरी तरह से बदल सकता है। टाटा ने हाइड्रोजन से चलने वाले ट्रकों का ट्रायल शुरू कर दिया है। यह खबर टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल ट्रांसपोर्ट की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली में एक शानदार कार्यक्रम में इस ट्रायल को हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर सरकार के कई बड़े अधिकारी और टाटा मोटर्स के बड़े अफसर भी मौजूद थे। यह ट्रायल भारत सरकार के 'राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन' के तहत किया जा रहा है। इसका मकसद यह देखना है कि क्या हाइड्रोजन ट्रक माल परिवहन के लिए सही विकल्प हैं या नहीं। आइए जानते हैं कि यह ट्रायल क्यों महत्वपूर्ण है और इससे लॉजिस्टिक्स सेक्टर में क्या बदलाव आ सकते हैं।
क्यों हो रहा है हाइड्रोजन ट्रकों का ट्रायल?
भारत सरकार पर्यावरण को लेकर काफी गंभीर है। डीजल ट्रक प्रदूषण का एक बड़ा कारण हैं, और भारत सरकार प्रदूषण को कम करना चाहती है। इसके अलावा, भारत हर साल विदेशों से तेल खरीदने में 22 लाख करोड़ रुपये खर्च करता है। हाइड्रोजन ट्रक इस समस्या को हल करने में मदद कर सकते हैं। हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है, और इसे भारत में ही बनाया जा सकता है। इससे प्रदूषण भी कम होगा और तेल के आयात पर निर्भरता भी घटेगी।
16 हाइड्रोजन ट्रकों का होगा ट्रायल
यह ट्रायल 24 महीने तक चलेगा, जिसमें 16 हाइड्रोजन ट्रकों को अलग-अलग रूटों पर चलाया जाएगा। इन ट्रकों में हाइड्रोजन इंटरनल कम्बशन इंजन (H2-ICE) और फ्यूल सेल (H2-FCEV) जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। ट्रकों का परीक्षण मुंबई, पुणे, दिल्ली-एनसीआर, सूरत, वडोदरा, जमशेदपुर और कलिंगनगर जैसे प्रमुख शहरों में होगा। इससे पता चलेगा कि अलग-अलग मौसम और सड़कों पर हाइड्रोजन ट्रक कैसा प्रदर्शन करते हैं।
नितिन गडकरी ने बताया गेम चेंजर
इस मौके पर नितिन गडकरी ने कहा कि हाइड्रोजन ट्रक भारत के लिए गेम चेंजर साबित होंगे। उन्होंने कहा, "अभी हम फ्यूल इम्पोर्ट पर 22 लाख करोड़ रुपये खर्च करते हैं और प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है। हाइड्रोजन की वजह से भारत ऊर्जा का निर्यातक बनेगा, आयातक नहीं।" उन्होंने यह भी बताया कि हाइड्रोजन को पराली (धान के अवशेष) और बायो-सीएनजी से भी बनाया जा सकता है, जिससे किसानों को भी फायदा होगा और प्रदूषण भी कम होगा।
ग्रीन हाइड्रोजन में भारत बनेगा लीडर - प्रल्हाद जोशी
रिन्यूएबल उर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि हाइड्रोजन एनर्जी भविष्य है। उन्होंने कहा, "भारत जल्द ही ग्रीन हाइड्रोजन के मामले में दुनिया का नेतृत्व करेगा।" उन्होंने यह भी कहा कि सरकार हाइड्रोजन स्टोरेज के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर जोर दे रही है, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा और अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतों पर निर्भरता भी कम हो जाएगी।
लॉजिस्टिक्स सेक्टर में बदलाव
हाइड्रोजन ट्रकों का ट्रायल सफल होने पर लॉजिस्टिक्स सेक्टर में कई बड़े बदलाव आ सकते हैं:
▪︎डीजल पर निर्भरता कम: सबसे बड़ा बदलाव तो यही होगा कि लॉजिस्टिक्स सेक्टर डीजल पर कम निर्भर हो जाएगा। अभी ट्रकों के लिए डीजल ही मुख्य ईंधन है, जिससे प्रदूषण और लागत दोनों बढ़ती हैं। हाइड्रोजन ट्रक इस निर्भरता को कम करेंगे।
▪︎प्रदूषण में कमी: हाइड्रोजन ट्रक शून्य उत्सर्जन करते हैं, यानी इनसे धुआं नहीं निकलता। अगर लॉजिस्टिक्स सेक्टर में हाइड्रोजन ट्रकों का इस्तेमाल बढ़ता है, तो शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी कम हो जाएगा।
▪︎लागत में कमी: हालांकि हाइड्रोजन ट्रकों की शुरुआती लागत डीजल ट्रकों से ज़्यादा हो सकती है, लेकिन लंबे समय में इनकी रनिंग कॉस्ट कम हो सकती है। हाइड्रोजन ईंधन सस्ता होने पर ट्रांसपोर्ट कंपनियों का खर्च घटेगा, जिसका फायदा ग्राहकों को भी मिल सकता है।
▪︎नए इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत: हाइड्रोजन ट्रकों के लिए देश में हाइड्रोजन फ्यूलिंग स्टेशन बनाने होंगे। यह एक नया इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, जिसमें सरकार और प्राइवेट कंपनियों को मिलकर काम करना होगा। इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
▪︎लॉन्ग-डिस्टेंस ट्रांसपोर्ट में बदलाव: हाइड्रोजन ट्रक लंबी दूरी के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं, खासकर उन रूटों पर जहां इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन बनाना मुश्किल है। इससे लंबी दूरी की माल परिवहन और भी आसान हो जाएगी।
कब तक बाजार में आएंगे हाइड्रोजन ट्रक?
यह सवाल सबके मन में है कि हाइड्रोजन ट्रक बाजार में कब तक आएंगे। इस सवाल का जवाब ट्रायल के नतीजों पर निर्भर करता है। टाटा मोटर्स के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर गिरीश वाघ ने बताया कि ट्रायल रन के दौरान ट्रकों की क्षमता और इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरतों का आकलन किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रायल से यह भी पता चलेगा कि हाइड्रोजन ट्रक ट्रांसपोर्ट बिजनेस के लिए कितने किफायती साबित होंगे।
हाइड्रोजन ट्रक: भविष्य का ईंधन?
हाइड्रोजन ट्रक निश्चित रूप से प्रदूषण कम करने और तेल आयात पर निर्भरता घटाने का एक शानदार तरीका है। यह भारत को स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकता है। अगर ट्रायल सफल रहा, तो आने वाले समय में डीजल ट्रकों की जगह हाइड्रोजन ट्रक सड़कों पर दौड़ते हुए दिख सकते हैं। यह न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा होगा, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि यह ट्रायल किस दिशा में जाता है और हाइड्रोजन ट्रक भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर को कैसे बदलते हैं।