Begin typing your search above and press return to search.

ASP यशपाल सिंह के IPS अवार्ड को EOW से लगा बड़ा झटका….BSF से राज्य कैडर में शामिल होने पर पहले से ही चल रहा था विवाद….जानिये अब 1998 बैच के IPS अवार्ड में क्या होगा

ASP यशपाल सिंह के IPS अवार्ड को EOW से लगा बड़ा झटका….BSF से राज्य कैडर में शामिल होने पर पहले से ही चल रहा था विवाद….जानिये अब 1998 बैच के IPS अवार्ड में क्या होगा
X
By NPG News

रायपुर 23 सितंबर 2020। IPS अवार्ड में पहले से ही विवादों में चल रहे यशपाल सिंह के प्रमोशन का पेंच अब और फंस गया है। IPS अवार्ड के पहले विभिन्न विभागों की NOC के बीच EOW में यशपाल सिंह के खिलाफ करोड़ों की संपत्ति की शिकायत दर्ज होने का मामला सामने आ गया है। PHQ को 8 सितंबर को अपने भेजे पत्र में EOW ने कहा है कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विशेष आसूचना में पदस्थ यशपाल सिंह के खिलाफ 2019 में करोड़ों की संपत्ति हासिल करने की शिकायत दर्ज करायी गयी है, जिसकी जांच चल रही है। जाहिर है EOW की इस रिपोर्ट के बाद यशपाल सिंह का IPS अवार्ड अटक सकता है।

वहीं धर्मेंद्र सिंह छावई, दर्शन सिंह मरावी, उमेश चौधरी, मनोज कुमार खिलारी और रवि कुमार कुर्रे के खिलाफ किसी भी तरह की कोई शिकायत दर्ज नहीं है। बता दें कि इस साल राज्य पुलिस सेवा के दो अफसरों का IPS अवार्ड होना है, जिसके लिए 1998 बैच के 6 अफसर लाइन में हैं। इनमें पहला नंबर धर्मेंद्र सिंह छवई का, दूसरा दर्शन सिंह मरावी और तीसरा यशपाल सिंह का नाम है। इसके बाद उमेश चौधरी, मनोज खिलारी और रवि कुरे हैं। छवई मध्यप्रदेश पीएससी से 1996 में डीएसपी सलेक्ट हुए थे।

IPS अवार्ड में क्यों आयेगी मुश्किलें

दरअसल पीएचक्यू की तरफ से किसी भी राज्य पुलिस सेवा के अफसर के IPS अवार्ड के पहले अलग-अलग जांच एजेंसियों से रिपोर्ट मांगता है। ऐसा इसलिए कि किसी पुलिस अफसर के खिलाफ कोई गंभीर अपराध तो पंजीबद्ध नहीं है। शिकायत शून्य होने या गंभीर नहीं होने पर ही आईपीएस अवार्ड के लिए प्रस्ताव भेजा जाता है।

कौन हैं यशपाल सिंह, जो विवाद की वजह हैं

यशपाल सिंह बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट थे, जो 2009- 10 में प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ आए हैं। आरोप है कि राजनीतिक रसूख का फायदा उठाते हुए उन्होंने 2016 में अपना गलत ढंग से छत्तीसगढ़ पुलिस में संविलियन कर लिया गया और कमाल की बात तो ये उन्हें 1997 की सीनियरिटी भी दी गई। छत्तीसगढ़ का अस्तित्व ही वर्ष 2000 में आया था, तब वर्ष 2009 में दूसरे राज्य से प्रतिनियुक्ति में छत्तीसगढ़ आने वाले को राज्य पुलिस सेवा में वर्ष 1997 की वरिष्ठता कैसे दे दी गयी, ये समझ से परे हैं। इस कारण अब वे आईपीएस अवार्ड के दावेदार हो गए हैं, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस सेवा के कई अफसर उनसे सीनियर हैं। लेकिन अब वे पीछे रह जाएंगे। सीनियर होने के बाद भी उनका आईपीएस अवार्ड रूक जाएगा। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने यशपाल सिंह का संविलियन और सीनियरिटी दिए जाने की प्रक्रिया को ही अवैधानिक और नियम विरूद्ध बताया है।

इसी तरह दूसरे राज्यों से छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा में संविलियन का जुगाड़ कर रहे अधिकारियों के संविलियन पर रोक लगाने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 1997 बैच के राज्य पुलिस सेवा के करीब 7 पुलिस अफसरों को आईपीएस अवार्ड हो चुका है और बाकी अधिकारियों का अगले दो चरणों में आईपीएस अवार्ड होना है। इसमें वर्ष 1998 बैच के पुलिस अधिकारियों को भी लाभ मिलने की संभावना है। लेकिन दूसरे राज्यों से संविलियन कराकर सीनियरिटी लेने वालों से राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के आईपीएस अवार्ड होने पर खतरा मंडरा रहा है।

Next Story