मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों और कृषि विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही है, अपितु अवार्ड के माध्यम से इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी मिल रही है। लोकसभा की कृषि मामले की समिति ने भी इस योजना की सराहना करते हुए इसे अन्य राज्यों में भी लागू करने की सिफारिश की है।

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गोधन न्याय योजना का क्रियान्वयन सुराजी गांव योजना के तहत कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, सहाकारिता विभाग सहित विभिन्न विभागों के समन्वय से किया जा रहा है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठानों में 15 मार्च तक 1 लाख 18 हजार 611 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 83 हजार 900 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय भी किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना के माध्यम से प्रदेश के 1 लाख 62 हजार 497 पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं। जिनमें 70 हजार 299 भूमिहीन ग्रामीण शामिल हैं। गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों में 44.55 प्रतिशत महिलाएं हैं। गोधन न्याय योजना में अब तक पशुपालकों से 44 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का मानना है कि गोधन न्याय योजना से प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा, फसलों की चराई पर रोक लगेगी, कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होने के साथ ग्रामीणों को आमदनी का अच्छा जरिया मिलेगा।

लोकसभा में कृषि मामलों की स्थायी समिति ने मंगलवार को सदन में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की सराहना करते हुए केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि किसानों से मवेशियों के गोबर खरीद की ऐसी ही योजना पूरे देश के लिए शुरु की जानी चाहिए।

श्री पर्वतागौड़ा चंदनगौड़ा गद्दीगौडर की अध्यक्षता वाली लोकसभा की कृषि मामलों की स्थायी समिति ने केंद्र सरकार को दिए अपने सुझाव में कहा है कि किसानों से उनके मवेशियों का गोबर खरीदने से उनकी आय में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे, जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही आवारा मवेशियों की समस्या का भी समाधान होगा। लोकसभा में रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पूर्व यह समिति केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों को भी ऐसा ही सुझाव दे चुकी है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में 20 जुलाई 2020 से छत्तीसगढ़ में गोबर को गोधन बनाने की दिशा में सुविचारित कदम उठाते हुये गोधन न्याय योजना लागू की गई है, जिसमें पशु पालकों से गोबर क्रय करके गोठानों में वर्मीकंपोस्ट एवं अन्य उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना का संचालन सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में निर्मित गौठानों के माध्यम से किया जा है। इन गोठानों में पशुओं के चारे और स्वास्थ्य की देखभाल के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं। इन्हीं गोठानों में गोधन न्याय योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट टांकों का निर्माण किया गया है, जिनमें स्व सहायता समूहों की महिलाएं जैविक खाद का निर्माण कर रही हैं। गोबर की खरीद गोठान समितियों के माध्यम से 2 रुपए किलो की दर से की जाती है। अब तक गोबर विक्रेता किसानों, पशुपालकों और संग्राहकों को 80 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।

स्व सहायता समूहों द्वारा अब तक 71 हजार 300 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा चुका है। वर्तमान में 7 हजार 841 स्व-सहायता समूह गोठान की गतिविधि संचालित कर रहे है। इन समूहों के लगभग 60 हजार सदस्यों को वर्मी खाद उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी, गोबर दिया निर्माण इत्यादि विभिन्न गतिविधियों से 942 लाख की आय प्राप्त हो रही है। गोठान योजना के लिये वर्ष 2021-22 के बजट में 175 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। स्व सहायता समूहों द्वारा निर्मित जैविक खाद के विक्रय के लिए छत्तीसगढ़ में 10 रुपए प्रति किलो की दर तय की गई है। राज्य में वन, उद्यानिकी, कृषि समेत सभी शासकीय विभागों द्वारा आवश्यकतानुसार स्व सहायता समूहों से जैविक खाद की खरीद की जाती है, इसके साथ-साथ किसानों द्वारा भी जैविक खाद खरीदा जा रहा है। गोधन न्याय योजना से भूमिहीन कृषि श्रमिकों को भी नियमित आय हो रही है।
छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन से जैविक खेती एवं गौ-पालन को बढ़ावा, पशु पालकों को आर्थिक लाभ तथा रोजगार के नये अवसरों का सृजन हो रहा है। सरकार की इस पहल को भारत सरकार एवं अन्य राज्यों द्वारा भी सराहा जा रहा है।