kamika Ekadashi 2023 Shubha Muhurat: सावन की पहली कामिका एकादशी कब है, जानिए सही तिथि और मुहूर्त कथा

kamika Ekadashi 2023 Shubha Muhurat: कामिका एकादशी चौबीस एकादशियों में से सावन कृष्ण एकादशी सर्वोत्तम मानी गई है। इसका व्रत करने से सारी एकादशियों के व्रतों का फल मिल जाता है।

Update: 2023-07-05 11:54 GMT

kamika Ekadashi २०२३ कामिक एकादशी 2023: 

कामिका एकादशी(Kamika Ekadashi) 13 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि यह पवित्र एकादशी सभी पापों को क्षमा कर देती है और व्यक्ति को ‘मोक्ष’ की प्राप्ति होती है।कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा से हर कामना पूरी होती है। माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा से कार्य पूर्ती में आ रही बाधा दूर होती है।सावन की कामिका एकादशी का व्रत शुभ फलों की प्राप्ति कराता है।


 कामिका एकादशी 2023 मुहूर्त

एकादशी तिथि 12 जुलाई 2023, रात 10 बजकर 29 मिनट से शुरू

एकादशी समापन 13 जुलाई 2023, रात 10 बजकर 54 मिनट तक

एकादशी की पारण तिथि (व्रत तोड़ना) 14 जुलाई 2023, प्रातः 07:33 से 09:31 तक


कामिका एकादशी कथा

कुंतीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने जब श्री कृष्ण से कहा कि आप मुझे श्रावण कृष्ण एकादशी के बारे में बताएं। तब श्री कृष्ण ने कहा, “हे युधिष्ठिर, ब्रह्माजी ने जो कामिका एकादशी की कथा देवर्षि नारद को सुनाई थी, वही मैं तुम्हें सुनाता हूं।

ब्रह्माजी ने नारद मुनि से कहा कि श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है, जिसे सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान की पूजा विधि-विधा से करने पर मिलता है वह गंगा या काशी जैसी जगहों पर जाने से और सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से भी नहीं मिलता। श्रावण मास में भगवान की आराधना करने से देवता के साथ गंधर्व और सूर्य सब पूजित हो जाते हैं। पापों से मुक्ति के लिए कामिका एकादशी का व्रत करना चाहिए।

कामिका एकादशी व्रत करने से जीव कुयोनि को प्राप्त नहीं होता और विष्णु जी को तुलसी अर्पित करने पर समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है, साथ ही यह तुलसी दान रत्न, मोति, मणि, चार भार चांदी और एक भार स्वर्ण के दान के बराबर होता है। जो मनुष्य तुलसी का पौधा अपने घर में सींचता है उसके पाप, यातनाएं समाप्त हो जाती और मनुष्य पवित्र हो जाता है।

पद्म पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण युधिष्ठिर को एकादशी का महत्व समझाते हुए कहते है कि जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़, देवताओं में श्री विष्णु, वृक्षों में पीपल तथा मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार सम्पूर्ण व्रतों में एकादशी श्रेष्ठ है।

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