NPG breaking : अजित जोगी अमित जोगी पर धारा 306 मामले में हाईकोर्ट ने फ़ैसला रिज़र्व किया.. FIR रद्द करने दायर याचिका पर सरकारी पक्ष का कड़ा विरोध, कोर्ट से कहा “गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं,मैडम रेणु जोगी मृतक के घर पैसे देने गईं थी”

Update: 2020-02-11 12:51 GMT

बिलासपुर,11 फ़रवरी 2020। छजका सुप्रीमो अजित जोगी और छजकां अध्यक्ष अमित जोगी के विरुद्ध सिविल लाईंस थाने में दर्ज FIR जिसमें आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरणा देने के आरोप याने धारा 306 दर्ज है, उसे निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित कर लिया है।
बीते पंद्रह फ़रवरी को बिलासपुर के सिविल लाईंस में अजित जोगी और अमित जोगी के विरुद्ध अपराध क्रमांक 31/2020 क़ायम कर धारा 306 के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था। FIR में आरोप दर्ज है कि, बिलासपुर स्थित बंगले मरवाही सदन में संतोष कौशिक नामक नीजि कर्मचारी ने ख़ुदकुशी की थी और इस ख़ुदकुशी के पीछे प्रताड़ना थी जिस प्रताड़ना के लिए अजित जोगी और अमित जोगी जवाबदेह हैं।
हाईकोर्ट की कोर्ट नंबर दस में जस्टिस आर पी शर्मा ने इस प्रकरण की सुनवाई की। FIR को निरस्त करने दायर 482 पर दलील देते हुए जोगी की ओर से कहा गया
“हमारे ख़िलाफ़ कोई मामला नहीं बनता.. हमारे द्वारा कोई मारपीट नहीं की गई..ना ही प्रताड़ना का कोई प्रमाण FIR में दर्ज है.. यह FIR ख़ारिज की जाए”
शासन की ओर से इस याचिका का विरोध किया गया साथ ही संतोष कौशिक के परिजनों की ओर से भी आपत्ति दर्ज की गई। शासन की ओर से कोर्ट को कहा गया –
“गवाहों को प्रभावित किया जा रहा है.. मैडम रेणु जोगी मृतक के घर पैसा देने गई थीं”
जस्टिस आर पी शर्मा ने इस याचिका पर क़रीब एक घंटे तक बहस सुनी और फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है।

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