Haryana Political Crisis: हरियाणा में बीजेपी खेमे के निर्दलीय विधायक का निधन, क्या गिर जाएगी हरियाणा में बीजेपी सरकार?

Haryana Political Crisis: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अल्पमत सरकार के सामने संकट गहरा गया है। निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के हार्ट अटैक से निधन के बाद सरकार की बहुमत स्थिति और भी कमजोर हो गई है।

Update: 2024-05-25 15:50 GMT

Haryana Political Crisis: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अल्पमत सरकार के सामने संकट गहरा गया है। निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के हार्ट अटैक से निधन के बाद सरकार की बहुमत स्थिति और भी कमजोर हो गई है। वर्तमान में बीजेपी को 42 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। चलिए, हरियाणा विधानसभा के अंक गणित को समझते हैं।

विधानसभा की स्थिति

हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में 87 सीटें भरी हुई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और रणजीत चौटाला के इस्तीफे और निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की मौत के बाद तीन सीटें खाली हैं। बहुमत के लिए 44 विधायकों की आवश्यकता होती है। बीजेपी के पास 40 विधायक हैं और निर्दलीय विधायक तथा हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा के समर्थन से कुल 42 विधायकों का समर्थन है। बहुमत के लिए बीजेपी को अभी भी दो और विधायकों की जरूरत है।

विपक्ष की स्थिति

कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ कुल 33 विधायकों का समर्थन है। इसके अलावा, 12 विधायक न्यूट्रल भूमिका में हैं, जिनमें जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के 10 विधायक, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के अभय चौटाला और निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू शामिल हैं।

राजनीतिक समीकरण

हाल ही में, तीन निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी से अपना समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन दिया, जिससे बीजेपी की सरकार अल्पमत में आ गई। हालांकि, मौजूदा विधानसभा नियमों के अनुसार, 13 मार्च को नायब सिंह सैनी की सरकार ने बहुमत साबित किया है और अब 13 सितंबर तक कोई भी विश्वास मत परीक्षण प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।

इस स्थिति में, बीजेपी को सरकार बनाए रखने के लिए दो और विधायकों का समर्थन जुटाना आवश्यक है। बीजेपी को आगामी चुनावों में इन रिक्त सीटों पर जीत हासिल करने या न्यूट्रल विधायकों का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश करनी होगी। दूसरी ओर, कांग्रेस के पास फिलहाल बहुमत हासिल करने का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं है, लेकिन वे भविष्य में संभावित गठबंधन की संभावनाओं पर ध्यान दे सकते हैं। 

आने वाले महीनों में हरियाणा की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं, जिसमें राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन, समर्थन और सामरिक चालें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

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