माओवादियों की जानलेवा साजिश.. ट्रेन ड्रायवर की समझदारी से नाकाम.. बच गई पचास यात्रियों की जान

Update: 2021-04-24 03:15 GMT

दंतेवाड़ा,24 अप्रैल 2021। माओवादियों की जानलेवा साज़िश किरंदुल विशाखापटनम ट्रेन के ड्रायवर की सतर्कता और सजगता से नाकाम हो गई। देर रात क़रीब नौ बजकर चालीस मिनट पर किरंदुल विशाखापटनम पैसेंजर जो कि क़रीब आधे घंटे विलंब से चल रही थी, भानसी बचेली के बीच पुलिया पर पहुँची तो ड्रायवर को गड़बड़ी की आशंका लगी और उसने फुर्ती से ब्रेक लगा दिया, हालाँकि इमर्जेंसी ब्रेक के बाद भी इंजन और ठीक पीछे का डब्बा डिरेल हो गए।लेकिन कोई भी बड़ा हादसा नहीं हुआ।
विशाखापटनम और किरंदुल के बीच पैसेंजर ट्रेन चलती है, यह एक अप्रैल से फिर से शुरु हुई है। सुबह नौ बजे विशाखापटनम से छूटकर रात नौ बजे यह किरंदुल पहुँचती है, बीती रात ये ट्रेन क़रीब आधे घंटे के विलंब से चल रही थी। भानसी और बचेली के बीच एक बड़ा रेल पुल पड़ता है जो क़रीब पचास फ़ीट की उंचाई पर है, माओवादियों ने ठीक उसी जगह की फ़िश प्लेट निकाल दी थी।पैसेंजर ट्रेन उस पुल पर क़रीब नौ बजकर चालीस मिनट पर पहुँची जबकि ठीक दस मिनट पहले एक माल गाड़ी वहाँ से गुजरी थी। पुलिस यह मान रही है कि मालगाड़ी के गुजरने के ठीक बाद माओवादियों ने फ़िश प्लेट को ढीला कर दिया।
पैसेंजर ट्रेन जैसे ही रुकी, वर्दीधारी माओवादी और गैर वर्दीधारी माओवादियों ने सबसे पहले ट्रेन के गार्ड और ड्रायवर से वॉकी टॉकी छिना, और डब्बों के अंदर घुसकर जगह जगह पर्चे चिपका दिए। कई पर्चे यात्रियों को भी दिए गए। यह पर्चे माओवादियों के भारत बंद आह्वान से जुड़े थे।
दंतेवाड़ा कप्तान डॉ अभिषेक पल्लव ने NPG को बताया
“ यह बड़ी साज़िश थी, जो अंजाम को पहुँचती तो क़रीब पचास यात्रियों की मौत होती, लेकिन पैसेंजर ट्रेन चालक की सजगता से हादसा नहीं हुआ। माओवादियों की मौजुदगी की खबर के बीच फ़ोर्स क़रीब साढ़े ग्यारह बजे घटनास्थल पहुँची और सभी पचास यात्रियों को ढाँढस बँधाया और सभी को सुरक्षित उनके घरों तक पहुँचाया”

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