हाई रिस्क कोरोना पेंसेंट के इलाज में बेहद कारगर है “कैसीरिवीमैब , इमडेविमैब”…..MP-CG में पहली बार बिलासपुर में डाक्टर दंपत्ति पर डॉक्टर बेटे ने किया दवा का प्रयोग…..डॉ सिद्धार्थ से जानिये- कब और किस तरह के मरीजों पर हो सकता है इसका इस्तेमाल

Update: 2021-05-31 03:43 GMT

बिलासपुर 31 मई 2021। ” कैसीरिवीमैब , इमडेविमैब” मेडिसिन कोरोना मरीजों के लिए रामबाण दवा साबित हो सकती है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पहली बार इस दवा का प्रयोग बिलासपुर में डाक्टर दंपत्ति डॉ एसके वर्मा और डॉ सुनीता वर्मा पर किया गया। केयर एंड क्योर हॉस्पीटल के संस्थापक डाक्टर दंपत्ति को पिछले दिनों कोरोना हुआ था, जिनका ट्रीटमेंट उनके बेटे क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डॉ सिद्धार्थ वर्मा और उनकी टीम ने किया।

डॉ एसके वर्मा और डॉ सुनीता वर्मा कोरोना संक्रमित होने के साथ ही उम्र, सुगर, ब्लड प्रेशर व हार्ट की बीमारी की वजह से हाई रिश्क पर थे, लिहाजा इलाज में ना सिर्फ काफी सतर्कता बरती गयी, लेकिन इलाज में भी दवाओं को लेकर बड़ा प्रयोग किया गया। डॉ सिद्धार्थ के मुताबिक उन्होंने अपने माता-पिता के इलाज में “कैसीरिवीमैब , इमडेविमैब” नाम की दवाओं का इस्तेमाल किया। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में यह पहली दफा था जब इन दवाओं का इस्तेमाल किया गया। डॉ सिद्धार्थ के मुताबिक अपने माता-पिता के इलाज में दवाओं को लेकर प्रयोग करना बड़ा खतरा भी था, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और इलाज शुरू किया। ये वही दवाई थी जिसका इस्तेमाल पहली बार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर किया गया था और इस इलाज ने बेहतर नतीजे दिखाये थे।

 

इस दवा का इस्तेमाल कब, कहां और कैसे किया जाता है

“कैसीरिवीमैब, इमडेविमैब” दवाई ऐसे मरीजों को दी जाती है जो सामान्य या सामान्य से थोड़ा अधिक (माध्यम) रूप से ग्रसित हैं, जिन्हे ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं है और जो हॉस्पिटल में भर्ती नहीं है। लेकिन इन मरीजों में हाई रिस्क कम्प्लीकेशन की संभावना बहुत ज्यादा है। जैसे कि मोटापा, ब्लड प्रेशर की बीमारी, डॉयबिटीज़ कैंसर, किडनी की बीमारी, ट्रांसप्लांट पेशेंट , प्रतिरोधक क्षमता का कम करने वाली दवाओं पर निर्भर मरीज , ह्रदय रोग, सी ओ पी डी , सिकलिंग के मरीज, जन्मजात ह्रदय रोग, अस्थमा , कैंसर पीड़ित शामिल हैं | इन मरीजों को कोरोना होने पर गंभीर होने का खतरा काफी रहता है, यह दवाई इन मरीजों के इलाज़ में एवं किसी भी जटिलता के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होने की आवश्यकता को 70 % तक कम कर देती है |

यह दवाई वैक्सीन की जगह नहीं ले सकती क्योंकि वैक्सीन का अपना एक अलग महत्व है | यह दवाई 12 वर्ष से ऊपर के बच्चे, जिनका वजन 40 किलोग्राम से अधिक है को भी दिया जा सकता है। यह दवाई रिपोर्ट आने 3-5 दिन के अंदर ही लिया जाना आवश्यक है | मरीज के अधिक सीरियस हो जाने के पश्चात् अथवा रिपोर्ट आने के 5-7 दिन के बाद इस दवा का उपयोग प्राणघातक हो सकता है | ये इंजेक्शन मरीज को आईसीयू केयर में रहकर डे केयर थेरेपी के रूप में लगवाना होता है और मरीज उसी दिन अपने घर वापस जा सकता है | यहाँ इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि इंजेक्शन लगने के बाद भी मरीज को आइसोलेशन प्रोटोकॉल के सारे नियमो का पालन करना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और हाथों को समय समय पर सेनिटाइज़ करना भी आवश्यक है |

हाल ही में भारत सरकार ने को इमरजेंसी उपयोग हेतु अनुमति प्रदान की है , इसके पहले यह दवा अमेरिका, सिंगापुर , यूरोपीय देशो और दुबई में उपयोग किया जा रहा था, जो कि वहां काफी कारगर सिद्ध हुई है और नतीजे काफी सकारात्मक मिले हैं , जिससे कोरोना के उपचार में एक नयी उम्मीद कि किरण दिखाई दी है |

Tags:    

Similar News