मजदूर पिता के कांस्टेबल बेटे ने पास की UPSC परीक्षा, ड्यूटी करते हुए 6 से 7 घंटे करते थे पढाई, 8 वें प्रयास में आया 667 वां रैंक...

Update: 2023-05-25 13:45 GMT

नईदिल्ली। 23 मई को जारी यूपीएससी के नतीजों में दिल्ली पुलिस के एक आरक्षक ने भी स्थान बनाया हैं। बहुत ही गरीब घर से आने वाले आरक्षक राम भजन सिंह के पिता मजदूरी करते थे। परिवार को सहारा देने के लिए राम भजन ने स्कूल के समय में खुद भी मजदूरी की फिर 12वीं के बाद आरक्षक के रूप में नौकरी ज्वाइन कर अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाई और आज यूपीएससी के लिए चुने गए हैं। यूपीएससी के नतीजे घोषित होने के बाद राम भजन सिंह देशभर में काफी चर्चित हो गए हैं।

राम भजन सिंह मूल रूप से राजस्थान के दौसा जिले के रहने वाले हैं। जिला मुख्यालय के पास ही स्थित बापी उनका ग्रहग्राम है। उनके माता-पिता दोनों श्रमिक थे और दैनिक जरूरतें पूरा करने के लिए हाड़-तोड़ मेहनत करते थे। माता-पिता के संघर्षों को देखकर रामभजन सिंह भी स्कूल के समय में स्कूल के बाद माता पिता के साथ मजदूरी करने जाया करते थे। उन्होंने गांव के सरकारी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की और हायर सेकेंडरी स्कूल उतीर्ण होने के बाद रामभजन सिंह का दिल्ली पुलिस में आरक्षक के पद पर चयन हो गया। 34 वर्षीय राम भजन सिंह फिलहाल दिल्ली पुलिस के साइबर सेल थाने में तैनात है। दैनिक जरूरतों को पूरा करते हुए अपने परिवार को सपोर्ट करने और आगे की पढ़ाई के लिए संसाधन जुटाने के लिए रामभजन सिंह ने बतौर आरक्षक नौकरी तो ज्वाइन कर ली पर उनका सपना बड़ा था। इसी सपने को लेकर उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से नौकरी करते हुए स्वाध्यायी छात्र के रूप में ग्रेजुएशन फिर पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी विषय से किया। हिंदी में रामभजन सिंह को काफी रुची थी और उन्होंने 2012 में नेट जेआरएफ परीक्षा हिंदी विषय लेकर क्वालीफाई किया। इसी वर्ष उनका विवाह अंजली कुमारी से

पुलिस की नौकरी करते हुए रामभजन सिंह अपने सीनियर अधिकारियों से काफी प्रेरित हुए और 2015 से यूपीएससी की तैयारी शुरू की। राम भजन ने इसके लिए कुछ दिनों तक कोचिंग भी ली और परीक्षा का पैटर्न समझ दिल्ली में यूपीएससी का गढ़ माने जाने वाले मुखर्जी नगर से अध्ययन सामग्री खरीदी और सेल्फ स्टडी कर तैयारियों में जुट गए। रामभजन सिंह के अनुसार ड्यूटी के बाद वे अपना थोड़ा सा भी समय नष्ट नहीं करते थे और पढ़ाई में जुट जाते थे। रामभजन ने बताया कि पुलिस की नौकरी में चुनौतीपूर्ण कर्तव्य का पालन करते हुए अनुशासन की सीख उन्हें मिली थी जो यूपीएससी की तैयारियों में भी काम आयी और ड्यूटी के बाद बाकी समय का प्रयोग वे तैयारियों के लिए ही करते थे।

रामभजन ने बताया कि फिरोज आलम सर ने उनके लिए प्रेरणा स्त्रोत बनने के साथ ही उनके गाइड के रूप में भी काम किया। फिरोज आलम दिल्ली पुलिस में उसी की तरह एक सिपाही हुआ करते थे फिर हाड़-तोड़ मेहनत कर 2019 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर सहायक आयुक्त बने और लगातार लोगों की मदद करते थे। जिनको देखकर रामभजन को भी कड़ी मेहनत की प्रेरणा मिली। रामभजन के अनुसार फिरोज आलम सर के द्वारा गरीब तबके और नौकरी करते हुए तैयारियां करने वाले उम्मीदवारों के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था जिसके माध्यम से वे टिप्स साझा करते थे और यूपीएससी की तैयारी तथा साक्षात्कार की बारीकी को समझाते थे। उनके द्वारा लगातार प्रोत्साहित किया जाता था और उन्होंने मुख्य परीक्षा निकलने के बाद मॉक इंटरव्यू लेकर साक्षात्कार के लिए भी मेरी तैयारी करवाई।

रामभजन बताते हैं कि उनकी सफलता में उनके सीनियर्स व परिवार का बहुत बड़ा योगदान है। उनके सीनियर उनको तैयारी के लिए काफी सपोर्ट देकर प्रोत्साहित करते थे और आवश्यकतानुसार तैयारी हेतु छुट्टियां भी देते थे। हालांकि कुछ बार ऐसा हुआ कि मुख्य परीक्षा से पहले ही राम भजन सिंह को छुट्टी नहीं मिल पाई। राम भजन सिंह के अनुसार इसलिए ही उनका सिलेक्शन होना चूक गया। राम

भजन ने बताया कि उनके परिवार ने उनका तैयारियों में बहुत साथ दिया। हालांकि उन्हें यूपीएससी के एग्जाम के बारे में कुछ भी नहीं पता ना उन्हें कुछ समझ में आता है। वह तो बस इतना ही जानते थे कि उनके घर का बेटा बड़ा अफसर बनना चाहता है, जिसके लिए वह दिन रात पढ़ता रहता है । राम भजन ने बताया कि घर की सारी जिम्मेदारियां उनकी मां और उनकी पत्नी उठाते थे और वह घर पर ही रह कर पढ़ाई करते थे। उनके बच्चों को भी उनकी मां व उनकी पत्नी संभालती थी। राम भजन का परिवार गांव में रहता है राम भजन के अनुसार उनके परिवार ने उनकी तैयारियों को देखते हुए कभी भी समय देने या गांव आने की उनसे मांग नहीं की।

रामभजन के अनुसार ड्यूटी के बाद वे 6 से 7 घंटे पढ़ाई कर लेते थे। मुख्य परीक्षा से पहले उन्होंने एक महीने की छुट्टी ली थी और डट कर तैयारी की। जिसके बाद उनका इस बार सिलेक्शन हो गया। रामभजन बताते हैं कि सफलता के लिए उन्होंने एक ही पुस्तक को 17 से 18 बार पढ़ा। उन्होंने आंसर राइटिंग की भी बहुत प्रैक्टिस की। राम भजन के अनुसार उन्होंने 2015 से तैयारी शुरू की थी और 2018 में पहली बार यूपीएससी की मुख्य परीक्षा तक पहुँचे पर वह इंटरव्यू तक नहीं पहुंच पाए। फिर भी लगातार वह डटे रहे व अपने आठवें प्रयास में 667 भी रेंक लाकर सफल हुए।

सफलता के बाद राम भजन को परिवार के सदस्य, सहकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों के शुभकामना संदेश मिल रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने अपने टि्वटर हैंडल पर भी रामभजन को बधाई दी है। रिजल्ट आने के बाद जब मीडिया उनके घर पर पहुंची तब वे भावुक हो उठे और उन्होंने कहा कि मैंने सकारात्मक सोच के साथ परीक्षा की तैयारी की थी ताकि मैं कुछ बेहतर कर सकूं। क्योंकि मेरे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं था, मैं राजस्थान के गांव में मजदूर के घर जन्मा हूं, मेरे माता-पिता ने मुझे पढ़ाने और मेरी जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी संघर्ष किया है और जब मुझे भी मौका मिला तो मैंने इसे अपना सर्वश्रेष्ठ देकर तैयारियां की है। रामभजन बताते हैं कि ओबीसी कैटेगरी के होने के चलते उन्हें कुल नौ प्रयास मिलते। यह उनका आठवां चांस था। इस बार भी सेलेक्ट नहीं होने पर वह आगे अपनी तैयारियां जारी रखते। हालांकि उनके अनुसार अपनी रैंक सुधारने के लिए 28 मई को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा में फिर बैठेंगे व अपना अंतिम प्रयास करेंगे।

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