Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ में 29+20=49 सीटें आदिवासी बहुल: इन सीटों पर सर्व आदिवासी समाज खड़ी करेगा कांग्रेस-भाजपा के लिए मुश्किलें!...
Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के लिए 29 सीटें आरक्षित हैं. इसके अलावा 20 सीटें ऐसी हैं, जहां 30-40 प्रतिशत आदिवासी मतदाता हैं...
Chhattisgarh Assembly Election 2023 : रायपुर. छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज की हमर राज पार्टी ने 19 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. इनमें आदिवासी समाज के लिए आरक्षित 10 सीटों के अलावा एससी समाज के लिए आरक्षित 2 सीटों के प्रत्याशी शामिल हैं. इसके अलावा सामान्य वर्ग की 7 सीटों पर आदिवासी समाज से उम्मीदवार तय किया गया है. दरअसल, छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के लिए 29 सीटें आरक्षित हैं. इसके बाद भी 20 ऐसी सीटें हैं, जहां आदिवासी मतदाता 30-40 प्रतिशत हैं. हमर राज पार्टी का फोकस इन्हीं सीटों पर हैं. इससे पहले सर्व आदिवासी समाज ने भानुप्रतापपुर उपचुनाव में रिटायर्ड डीआईजी अकबर राम कोर्राम को उतारकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी कि वे कांग्रेस या भाजपा के भुलावे में नहीं आएंगे और अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए चुनाव में अपना कैंडिडेट खड़ा करेंगे. कोर्राम के मुताबिक कई सामान्य सीटें ऐसी हैं, जहां ट्राइबल वोटर्स ज्यादा हैं. 20 से ज्यादा सामान्य सीटों पर दस हजार से लेकर 50 हजार तक ट्राइबल वोटर्स हैं. खुज्जी, जगदलपुर और अंबिकापुर जैसी सीटों पर शहरी क्षेत्र छोड़ दें तो ट्राइबल या ओबीसी ज्यादा हैं.
"सोशल मूवमेंट से राजनीति में उतरने का यह प्रयोग है. सर्व आदिवासी समाज कोई पार्टी नहीं है. समाज को राजनीति में उतरना नहीं चाहिए, लेकिन सरकारें मजबूर करेंगी तो आदिवासियों के पास और कोई विकल्प नहीं बचता है.' NPG.News से हुई बातचीत में सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने ये बातें कही थीं. उस समय सर्व आदिवासी समाज द्वारा प्रत्याशी उतारने की चर्चा थी. समाज के नेता इस पर विचार विमर्श कर रहे थे और धरातल पर अपनी पकड़ देख रहे थे.
दरअसल, आदिवासी समाज के लिए आरक्षित सीटों के अलावा कई सीटें ऐसी हैं, जो सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है, लेकिन वहां आदिवासियों की संख्या अच्छी खासी है. इसी तरह लोरमी, अकलतरा, जैजैपुर जैसी कई सीटें ऐसी हैं, जो सामान्य हैं, लेकिन वहां एससी वर्ग के लोगों की संख्या अच्छी खासी है. इसी को आधार बनाकर सर्व आदिवासी समाज ने प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया जिससे बड़े वर्ग को प्रतिनिधित्व मिल सके. भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी ने कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी की थी. इन सीटों पर हमर राज पार्टी पूरी ताकत से लड़ेगी तो चौंकाने वाली परिणाम मिल सकते हैं.
आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट
भरतपुर सोनहत, प्रतापपुर, रामानुजगंज, सामरी, लुंड्रा, सीतापुर, जशपुर, कुनकुरी, पत्थलगांव, लैलुंगा, धरमजयगढ़, रामपुर, पाली तानाखार, मरवाही, बिंद्रा नवागढ़, सिहावा, डौंडीलोहारा, मोहला मानपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा.
इन सीटों पर भी आदिवासी वोटर
मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर, प्रेमनगर, भटगांव, अंबिकापुर, रायगढ़, कोरबा, कटघोरा, कोटा, लोरमी, बसना, खल्लारी, महासमुंद, पंडरिया, कवर्धा, खैरागढ़, खुज्जी, जगदलपुर.
प्रदेश में करीब 80 लाख आबादी
समाज के लोगों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में करीब 80 लाख आदिवासी आबादी है. इनमें से करीब 70 लाख लोग बस्तर और सरगुजा में रहते हैं. बचे हुए 10 लाख लोग मैदानी क्षेत्रों में हैं. 80 लाख में से 54 लाख के आसपास मतदाता हैं. 2018 में इन 54 लाख में से लगभग 40 लाख मतदाताओं ने अपना वोट दिया था. इनमें से 24 लाख वोट कांग्रेस को मिले थे. 2 लाख तक आदिवासी वोट जनता कांग्रेस के खाते में गई थी. भाजपा को सिर्फ 14 लाख आदिवासी वोट मिले थे. बाकी वोट स्थानीय पार्टियों के खाते में चल गई थी.