CG BJYM युवा मोर्चा में आधी रात बवाल : चुनाव जीतने की रणनीति बनाने जुटे थे दिग्गज और कई जिलाध्यक्षों ने प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ खोला मोर्चा

Update: 2023-04-09 04:27 GMT

रायपुर. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने की रणनीति बनाने के लिए शनिवार को पहली बार सभी दिग्गज नेता जुटे थे. इसमें चुनाव तक सभी मोर्चा की बड़ी भूमिका तय की जा रही थी. दूसरी ओर, आरएसएस की समन्वय बैठक चल रही थी, जिसमें सारे आनुषांगिक संगठनों की भूमिका तय हो रही थी और आधी रात भाजपा युवा मोर्चा में बवाल हो गया. कई जिलाें के अध्यक्ष अपने ही प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत के खिलाफ बागी हो गए. वाट्सएप ग्रुप में तीखी टिप्पणियों के साथ शुरू हुई चर्चा ग्रुप कॉल तक पहुंची और लगभग दर्जनभर जिलों के अध्यक्ष भगत को बदलने के लिए प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और संगठन महामंत्री पवन साय से मिलने की योजना बनाने लगे. आखिरकार बात साव तक पहुंची और उन्होंने मामले को शांत कराया. साव को इसलिए सामने आना पड़ा, क्योंकि पार्टी के मुखिया होने के साथ-साथ बवाल की कड़ी उनकी गृह जिले मुंगेली से जुड़ी थी. मुंगेली के भाजयुमो अध्यक्ष ने ही प्रदेश अध्यक्ष भगत को खुली चुनौती दी थी कि बार-बार इस्तीफे लेने की धौंस दिखाने के बजाय जो करना है, कर लें. जिसे शिकायत करना है, कर लें. अपने गृह जिले से जुड़ा मामला होेने के कारण प्रदेश अध्यक्ष साव ने मामले को शांत कराया. हालांकि अभी भी सोशल मीडिया पर भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ तीखी टिप्पणियां जारी हैं.

दूसरा अध्यक्ष, लेकिन विवाद अब भी

छत्तीसगढ़ भाजपा ने पहले युवा मोर्चा की कमान ओबीसी समाज से अमित साहू को सौंपी थी. आरएसएस बैकग्राउंड के साहू से पार्टी को बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन तल्ख रवैए और मनमानी के आरोपों के साथ पदाधिकारियों ने बगावत कर दिया. आखिरकार अरुण साव के अध्यक्ष बनने के बाद आदिवासी समाज से और एबीवीपी में बड़ी जिम्मेदारी संभाल चुके रवि भगत को कमान सौंपी गई. जब कार्यकारिणी बनाने की बारी आई, तब भगत ने पूर्व में भाजपा में काम कर रहे कार्यकर्ताओं के बजाय विद्यार्थी परिषद को महत्व दिया. कार्यकर्ताओं की नाराजगी यहां तक थी कि सोशल मीडिया पर भारतीय जनता विद्यार्थी परिषद लिखने से नहीं चूके. कुछ व्यक्तिगत टिप्पणियां भी की गईं. इसके बाद भी संगठन की ओर से मामले को शांत कराने की कोई कोशिश नहीं की गई. न ही कार्यकर्ताओं की समस्याओं को समझा गया. यही वजह है कि विवाद अब भी जारी है.

एबीवीपी पहले ही सुस्त, अब मोर्चा भी

छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का काम पहले ही निराशाजनक है. भाजपा शासन में तो परिषद के कई बड़े आंदोलन प्रदर्शन अपने ही मंत्रियों के खिलाफ हुए, लेकिन विपक्ष में आने के बाद छात्र हित में कोई बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं कर सके. जब युवा मोर्चा में परिषद से आए कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया तो यही स्थिति मोर्चा की हो गई है. भगत के अध्यक्ष बनने के बाद युवा मोर्चा भी कोई बड़ा आंदोलन प्रदर्शन नहीं कर पाया. कार्यकर्ताओं का आरोप है कि प्रदेश अध्यक्ष अपने ही पदाधिकारियों के फोन का जवाब देने के लिए उपलब्ध नहीं है. प्रदेश से कोई कार्यक्रम नहीं दिया जाता और व्यक्तिगत स्तर पर किसी को भी काम करने की छूट नहीं है. आरोप यहां तक हैं कि प्रदेश अध्यक्ष बात-बात पर अपनी ही टीम के पदाधिकारियों को इस्तीफा देने की धौंस देते हैं. आधी रात कार्यकर्ताओं के बगावत की बड़ी वजह यही थी.

आगे देखें क्या लिखा मुंगेली जिलाध्यक्ष ने...



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