भाजपा की नई तिकड़ी: बृजमोहन-अजय के साथ राजभवन पहुंचे धरमलाल कौशिक, तीन साल का कार्यकाल पूरा करने पर दी शुभकामनाएं

Update: 2022-08-01 20:35 GMT

रायपुर। राजभवन में सोमवार को भाजपा की नई तिकड़ी दिखाई दी। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के साथ बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिलने के लिए राजभवन पहुंचे थे। अचानक इन नेताओं के राजभवन जाने से राजनीतिक दल के नेताओं के साथ खुफिया एजेंसियां भी हरकत में आ गईं। हालांकि, बाद में यह बात सामने आई कि तीनों नेता राज्यपाल उइके को सफलतापूर्वक तीन साल का कार्यकाल पूरा करने पर बधाई देने पहुंचे थे।

दरअसल, 29 जुलाई को उइके ने छत्तीसगढ़ की राज्यपाल के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा किया। इस बीच 29, 30 और 31 जुलाई को भाजपा के सभी नेता प्रशिक्षण शिविर में थे, इसलिए वे राज्यपाल से सौजन्य भेंट कर शुभकामना नहीं दे पाए थे। इस कारण राजनीतिक कार्यक्रमों से फ्री होकर एक अगस्त को राजभवन पहुंचे थे। हालांकि, बृजमोहन और अजय के साथ कौशिक को राजभवन में साथ देखकर कई तरह की बातें भी होने लगी।बता दें कि हाल ही में मानसून सत्र के दौरान पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह कोरोना की वजह से शामिल नहीं हो पाए। विद्यारतन भसीन भी स्वास्थ्य गत कारणों से नहीं थे। इस दौरान कौशिक के नेतृत्व में महज 12 विधायकों ने ही राज्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में आरोपों की झड़ी लगा दी। इसमें बृजमोहन और अजय ने चिर परिचित शैली में राज्य सरकार के सामने कई ऐसी बातें रखीं कि सत्ता पक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया। कम संख्या के बावजूद 13 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई थी। इस दौरान भाजपा विधायक टीम वर्क के साथ मोर्चे पर डटे रहे।


छत्तीसगढ़ की पहली पूर्णकालिक महिला राज्यपाल

बता दें कि अनुसुइया उइके ने 29 जुलाई 2019 को पहली महिला पूर्णकालिक राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी। हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी। इससे पहले आनंदी बेन पटेल मध्यप्रदेश के साथ साथ छत्तीसगढ़ की प्रभारी राज्यपाल थीं। वे छत्तीसगढ़ की छठवीं राज्यपाल हैं।

अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकी हैं राज्यपाल उइके

उइके का जन्म 10 अप्रैल 1957 को हुआ। वे छिंदवाड़ा की रहने वाली हैं। वे अर्थशास्त्र की व्याख्याता रही हैं। शासकीय कॉलेज तामिया छिंदवाड़ा में पदस्थ रहीं। इस्तीफा देकर राजनीति में आई थीं। मध्यप्रदेश बीजेपी से लंबे समय से जुड़ी थीं। 1988 में मध्य प्रदेश में महिला एवं बाल विकास मंत्री भी रहीं। मध्यप्रदेश से साल 2006 से 2012 तक राज्यसभा सांसद रहीं। इसके अलावा अनुसूचित जनजाति आयोग की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं। 

Tags:    

Similar News