Bilaspur KK Srivastava: कौन हैं केके श्रीवास्‍तव, जिनके घर अक्‍सर जाते थे पूर्व सीएम: रायपुर पुलिस ने दर्ज किया 15 करोड़ की ठगी का मुकदमा

Bilaspur KK Srivastava: छत्तीसगढ़ के पावर गलियारों में बिलासपुर वाले केके श्रीवास्तव का नाम अनजान नहीं है। केके श्रीवास्तव पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान सत्ता प्रतिष्ठान के बेहद करीबी रहे। खुद मुख्यमंत्री महीने में उनके घर एक चक्कर लगा लिया करते थे। उनके यहां पूजा-अनुष्ठान होने की बातें भी आती थी।

Update: 2024-08-08 07:51 GMT

Bilaspur KK Srivastava: बिलासपुर। केके श्रीवास्तव की कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदेश में धाक थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी होने के कारण रसूख भी कम नहीं था। श्रीवास्तव पूर्व सीएम से आध्यात्म के चलते करीब आए। सरगांव में अनुरागी धाम का आश्रम है। अनुरागी धाम में पूजा अर्चना के दौरान ही पूर्व सीएम से उनकी पहचान हुई। आध्यात्म से जुड़े होने के कारण वे धीरे-धीरे करीब आते गए। नजदीकियां बढ़ती ही गई।

अनुरागीधाम में पूजा अर्चना के बाद उसलापुर स्थित श्रीवास्तव के घर में पूर्व सीएम पूजा के लिए आने लगे। महीने में पूर्व सीएम का उसलापुर एक चक्कर हो ही जाता था। श्रीवास्तव का रसूख ऐसा कि पूजा के दौरान पूर्व सीएम के अलावा किसी को एंट्री नहीं मिल पाती थी। बाउंसर खड़े रहते थे। करीबियों को मुलाकात करनी होती थी तो रास्ते में खड़े रहते थे। तब पूर्व सीएम रायपुर से सीधे बिना किसी तामझाम के कभी चकरभाठा एयरपोर्ट से उसलापुर या फिर कभी सीधे सीएम हाउस से सड़क मार्ग होते उसलापुर। उनकी तरफ से भी हिदायत रहती थी कि पूजा के दौरान उसलापुर कोई ना आए।

करीबियों की मुलाकात या तो उसलापुर रेलवे फाटक के आसपास हो जाया करती थी। हेलिकाप्टर से आना होता तो जैन इंटरनेशल स्कूल, डीपीएस या फिर चकरभाठा एयरपोर्ट, जहां उनका हेलिकाप्टर लैंड करता था। रायपुर के लिए उड़ने से पहले मुलाकात हो जाया करती थी। पूर्व सीएम के करीबी तब दावा भी करते थे कि सीएम निजी प्रवास पर हैं। सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े शीर्ष नेतृत्व के महीने में एक बार उसलापुर का फेरा लगाने की बात राजनीति से लेकर प्रशासनिक हलकों में तेजी के साथ फैली। पूर्व सीएम के उसलापुर का महीने में एक फेरा ने श्रीवास्तव को हाईप्रोफाइल पर्सन बना दिया।

कांग्रेस की राष्‍ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा जब बिलासपुर आई थीं तब भी केके श्रीवास्‍तव की उनसे मुलाकात कराई गई थी। केके श्रीवास्‍तव ने प्रियंका वाड्रा को प्रसाद भेंट किया था। (इस खबर में लगी तस्‍वीर केके श्रीवास्‍तव की प्र‍ियंका वाड्रा से मुलाकात के दौरान की है) 

मौजूदा सरकार के नेताओं से भी संपर्क

चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि पूर्व कांग्रेस सरकार के सत्ता प्रतिष्ठानों से जितनी करीबी श्रीवास्तव की रही है वर्तमान में सत्तासीन भाजपा के प्रभावशाली नेताओं से भी उतनी ही करीबी है।

ब्लैक स्मिथ कंपनी बनाकर शुरु किया कारोबार

पूर्व सीएम से नजदीकी का लाभ उठाते हुए श्रीवास्तव ने ब्लैक स्मिथ कंपनी बनाई। इसके जरिए फ्लाई एश के धंधे में उतरा। कोरबा से लेकर रायगढ़ और सीपत एनटीपीसी पावर प्लांट से निकलने वाले फ्लाई एश के परिवहन में एकाधिकार कर लिया। उस दौर में चर्चा भी इस बात की खूब रही कि कोरबा जिले में उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप भी खूब हुआ करता था।

साडा के सीईओ से कंपनी के डॉयरेक्‍टर तक का सफर

श्रीवास्तव मूलत: चिरमिरी के रहने वाले हैं। वर्ष 1994-95 में रतनपुर साडा के सीईओ के पद पर काम किया। नौकरी छोड़ने के बाद कोरबा के एक औद्योगिक घराने से जुड़े, आजतक उनके लिए काम करते आ रहे हैं। कांग्रेस शासनकाल में नहर निर्माण से लेकर सड़क का ठेका भी लेते रहे हैं। जल संसाधन विभाग ने उनके रिश्तेदार ऊंचे ओहदे पर काम कर रहे थे। पूर्व सीएम से सीधे ताल्लुकात और रिश्तेदार के जल संसाधन विभाग में महत्वपूर्ण पदों पर होने का भी फायदा मिला।

मार्च में ईडी ने मारा था छापा

केके श्रीवास्‍तव के यहां ईडी भी दबिश दे चुकी है। कोयला में लेवी वसूली के मामले की जांच कर रही ईडी ने जांच की थी। श्रीवास्‍तव कोयला और राख परिवहन से जुड़े हैं। ईडी की टीम उनके बिलासपुर आवास और कोरबा में कार्यालय में 28 मार्च को पहुंची थी।

ठगी का अपराध कायम 

कृष्ण कुमार याने केके श्रीवास्तव के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और कूट रचना का अपराध दर्ज किया गया है। केके श्रीवास्तव के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की कंस्ट्रक्शन कंपनी से स्मार्ट सिटी का काम दिलवाने की एवज में 15 करोड रुपए की ठगी कर ली। इसके बाद रकम वापसी के लिए मांग करने पर कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक और परिवार को जान से मारने की धमकी दी। केके श्रीवास्तव के अलावा कंचन श्रीवास्तव को भी पुलिस ने आरोपी बनाया है। मामला तेलीबांधा थाना क्षेत्र का है।

उत्तर प्रदेश के नोएडा की कंपनी रावत एसोसिएट्स में अजय कुमार एडमिन मैनेजर के पद पर पदस्थ है। जिनकी शिकायत पर अपराध दर्ज किया गया है। रावत एसोसिएट्स का कार्यालय उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित है। साथ ही उनका रायपुर के अलावा लाभांडी में भी कार्यालय स्थित है। कंपनी के मालिक अर्जुन रावत है। वह पिछले 30 साल से सड़क निर्माण, सरकारी बिल्डिंग निर्माण, हाईवे कंस्ट्रक्शन, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का ठेका ले ठेका पूरा करने का काम करते हैं। प्रार्थी अजय कुमार ने अपनी शिकायत में बताया है कि आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णन के माध्यम से वे केके श्रीवास्तव से मिले। आचार्य प्रमोद कृष्णन से उनके कई वर्षों से संबंध है। उन्होंने बताया कि मैं छत्तीसगढ़ में एक ऐसे व्यक्ति से मिलवाऊंगा जो आपका व्यापार बढ़ाने में मदद करेगा। वे अपने साथ मुझे इंडिगो की फ्लाइट से 24 जून 2023 को रायपुर लेकर आए और क्लार्क इन होटल में के के श्रीवास्तव से मिलवाया। केके श्रीवास्तव ने खुद को छत्तीसगढ़ के बड़े राजनेता का ओएसडी बताया और कहा कि मैं आपके व्यापार में काफी मदद कर सकता हूं। बातचीत के बाद उसी दिन कंपनी के मालिक वापस नोएडा चले गए।

जिसके बाद लगातार केके श्रीवास्तव कंपनी के मलिक अर्जुन श्रीवास्तव के संपर्क में फोन के माध्यम से रहने लगे। उनके ग्रेटर नोएडा स्थित कार्यालय और रायपुर स्थित कार्यालय भी गए। केके श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्व मंत्री के भाई असगर ने नवा रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड से 500 करोड़ का ठेका लिया है और इसे सबलेट अर्थात पेटी में देना चाहते हैं। प्रोजेक्ट लेने के लिए सरकार को उन्होंने 15 करोड रुपए की राशि परफॉर्मेंस सिक्योरिटी और गारंटी मनी के रूप में जमा करवाई है। यदि आपको ठेका चाहिए तो 15 करोड रुपए की राशि दे देंगे तो यह ठेका आपको मिल जाएगा। केके श्रीवास्तव ने प्रोजेक्ट के फर्जी दस्तावेज भी दिखाएं जिससे उन्हें यकीन हो गया। इसके बाद केके श्रीवास्तव ने कहा कि मैं जिन अकाउंट नंबर में बोलूंगा उसमें रुपए डलवा देना फिर आपका काम हो जाएगा। केके श्रीवास्तव के द्वारा जो–जो अकाउंट बताए गए उनमें कुल 15 करोड रुपए ठेका पाने की चाह में कंपनी के मालिक अर्जुन रावत ने जमा करवा दिए।

शिकायत के अनुसार यह अकाउंट सिर्फ जालसाजी के लिए केके श्रीवास्तव ने खुलवाए थे और पैसे भेजते ही उन्हें निकलवा कर अकाउंट खाली कर दिया। विश्वास दिलाने के लिए खुद केके श्रीवास्तव ने कंपनी मालिक को पीडब्ल्यूडी में रजिस्ट्रेशन व जीएसटी नंबर बनवा कर दिया। काफी दिनों बाद भी जब ठेका नहीं मिला तब कंपनी मालिक ने केके श्रीवास्तव के खिलाफ शिकायत करने की बात कही। तो केके श्रीवास्तव ने पैसों की एवज में बेशकीमती 125 एकड़ जमीन दिलवाने की बात कही। जिसके लिए उनकी कंपनी ग्लौमैक्स इंडिया के नाम से छत्तीसगढ़ सरकार का एक फर्जी मेमोरेंडम पत्र तैयार करवाया और 4 अगस्त 2023 को उनके व्हाट्सएप नंबर पर भेजा। जिसमें किए हुए सारे हस्ताक्षर नकली है जिसे भी प्रार्थी ने अपनी शिकायत पत्र के साथ सौंपा है।

प्रार्थी ने अपनी शिकायत में बताया है कि 15 दिन बाद भी टेंडर नहीं मिलने पर 10 अगस्त 2023 को केके श्रीवास्तव ने छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े राजनेता से मिलवाया। उक्त राजनेता ने उन्हें कहा कि केके श्रीवास्तव विश्वास वाले व्यक्ति हैं,आपका काम हो जाएगा। आप बिल्कुल भी चिंता ना करें। प्रार्थी ने अपनी शिकायत में कहा है कि मुझे नहीं पता था कि मेरे पैसे हड़पने के लिए यह सब साजिश है। ठेका नहीं मिलने पर फिर से पैसा देने के लिए कहा तो केके श्रीवास्तव ने 17 सितंबर 2023 तक पैसे लौटा देने का वादा किया। फिर से पैसे नहीं देने पर पुलिस को शिकायत देने की बात कही तो कंचन श्रीवास्तव के अकाउंट से विभिन्न खातों में 3 करोड़ 40 लाख रुपए वापस लौटाया।

इसके अलावा तीन-तीन करोड रुपए के तीन चेक भी दिए। 30 मार्च 2024 को व्हाट्सएप पर मैसेज किया कि मैं यह चेक बैंक में डाल रहा हूं और बैंक में चेक लगाने पर बैंक ने चेक वापस कर दिया। जब बैंक से पता किया गया तो बताया गया कि तीनों चेक पर केके श्रीवास्तव ने स्टाप पेमेंट लगा रखा है। फोन पर संपर्क करने पर लगातार गुमराह करता रहा। फिर धमकी देते हुए कहने लगा कि मेरे नक्सलियों और प्रदेश के बड़े नेताओं से संबंध है। तुम्हें और तुम्हारे परिवार को जान से मरवा दूंगा। पीड़ित ने केके श्रीवास्तव के खिलाफ प्रदेश के कुछ बड़े राजनीतिक लोगों से मिलकर गिरोह बनाकर आपराधिक षड्यंत्र करने की शिकायत पुलिस में की। जिस पर पुलिस ने धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र समेत विभिन्न धाराओं में केके श्रीवास्तव, कंचन श्रीवास्तव अपराध दर्ज कर जांच में जुट गई हैं।

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