Big Breaking News: 104 घंटे बाद 80 फीट गहरे बोरवेल से बाहर आया राहुल, लोगों ने लगाए सेना जिंदाबाद के नारे
देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा। शुक्रवार शाम से राहुल को बचाने के लिए चल रही थी कोशिशें।
जांजगीर, 14 जून 2022। देश के सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन में राहुल साहू आखिरकार 104 घंटे बाद बोरवेल से बाहर आ गया है। जैसे ही रेस्क्यू टीम उस तक पहुंची, तब बाहर में भारतीय सेना और एनडीआरएफ जिंदाबार के नारे लगे। राहुल को तत्काल सेना के जवानों ने घेरकर एंबुलेंस तक पहुंचाया और उसे बिलासपुर अपोलो हॉस्पिटल के लिए रवाना किया। एंबुलेंस में पहले ही मेडिकल टीम तैनात थी, जो जरूरी चिकित्सा देते हुए हॉस्पिटल तक पहुंचेगी। सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर राहुल के बाहर आने की जानकारी दी और उसके स्वास्थ्य के लिए कामना की। सीएम ने रेस्क्यू टीम को बधाई दी है। राहुल को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग जुटे थे। राहुल की पहली झलक मिलने के बाद इनकी संख्या बढ़ गई। इसे देखते हुए प्रशासन को यह अनाउंसमेंट करना पड़ा कि लोग गड्ढे से दूर रहें, जिससे गिरने का खतरा न रहे।
माना कि चुनौती बड़ी थी
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) June 14, 2022
हमारी टीम भी कहाँ शांत खड़ी थी
रास्ते अगर चट्टानी थे
तो इरादे हमारे फौलादी थे
सभी की दुआओं और रेस्क्यू टीम के अथक, समर्पित प्रयासों से राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है।
वह जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, ऐसी हमारी कामना है। pic.twitter.com/auL9ZMoBP7
जांजगीर जिले के मालखरौदा ब्लॉक के पिहरिद गांव में 10 साल का राहुल साहू शुक्रवार को करीब चार बजे अपने ही घर के पीछे की बाड़ी में गिरा था। यह सूचना मिलने के बाद पुलिस टीम और अधिकारी पहुंचे। मामले की गंभीरता को समझते हुए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान भी रेस्क्यू करने के लिए पहुंचे। बेहद गंभीर परिस्थिति में राहुल को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया। राहुल के दिव्यांग होने के कारण कई तरह की चुनौतियां सामने आईं। वह बोल और सुन नहीं सकता। मानसिक स्थिति भी कमजोर है, इसलिए उसे बाल्टी की मदद से बाहर निकालने की कोशिश सफल नहीं हो पाई। शुक्रवार शाम से मंगलवार देर रात तक कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल, एसडीआरएफ के डायरेक्टर मयंक श्रीवास्तव, एनडीआरएफ के जवान, पुलिस, प्रशासन और हेल्थ की टीम डटी रही।
फौलादी इरादों के आगे हारे मजबूत चट्टान
राहुल साहू को बचाने में रेस्क्यू टीम को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी चुनौती डोलोमाइट की चट्टानें थीं। खदानों में इन चट्टानों को ब्लास्ट कर तोड़ा जाता है या हैवी मशीनों के जरिए तोड़ा जाता है। एसईसीएल से मशीनें भी मंगाई गईं। यहां सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि हैवी मशीनों से यदि बोरवेल में मिट्टी धसक जाती तो राहुल को नुकसान होता। इस वजह से मैनुअल तरीके से हैंड ड्रिलिंग की प्रक्रिया की गई। आखिरकार रेस्क्यू टीमों के फौलादी इरादों के आगे चट्टान भी ढह गए और राहुल को बाहर निकाल लिया गया।