महिलाएं सफलता की पराकाष्ठा बन सकती हैंः कुलपति चक्रवाल

Update: 2022-03-09 14:37 GMT

बिलासपुर, 8 मार्च 2022। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर में अन्तर्राष्ट्रीय महिलदिवसमारोपूर्वमनायगया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल ने कहा कि सभी महिलाएं प्रण कर लें तो वे सफलता की पराकाष्ठा बन सकती हैं। मेरा मानना है कि सिर्फ र्अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ही नहीं बल्कि महिलाओं का सम्मान पूरे वर्ष भर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में महिलाओं को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना मेरी प्राथमिकता में है। मैं पूरी कोशिश करता हूं कि जीवन के हर कार्य को न्यायोचित रूप से सौहार्दपूर्ण तरीके से करूं। यही मेरा प्रयास है।

मुख्य अतिथि के रूप में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ की कुलपति पद्मश्री मोक्षदा ममता चन्द्राकर उपस्थित थीं।अपने उद्बोधन में पद्मश्री मोक्षदा ममता चन्द्राकर ने कहा कि महिला दिवस केवल रस्म अदायगी न हो। महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत कुछ किया गया है और बहुत कुछ करना बाकी है। पहले भी स्त्रियां संघर्ष करती थीं और आज भी कर रही हैं। प्रयत्न की उंचाई जब बढ़ जाती है तो लक्ष्य छोटा हो जाता है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर यह मान लिया जाता है कि कला, संगीत महिलाओं के लिए नही ंहै लेकिन मैंने हार नहीं मानी, मैंने संघर्ष किया।

सौराष्ट्र विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति एवं होम साइंस की विभागाध्यक्ष प्रो. नीलांबरी दवे सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। प्रो. नीलांबरी दवे ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी संस्कृति में अर्द्धनारीश्वर की अवधारणा है। महिलाओं का सौभाग्य है कि ईश्वर ने संसार को आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं को चुना। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में लड़के को ज्यादा महत्व दिया जाता है, इसलिए लैंगिक असमानता ज्यादा है। उन्होंने कहा कि पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में जीवन प्रत्याशा ज्यादा होती है। महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य पुरूषों की अपेक्षा अच्छा रहता है और कैंसर दर कम होती है। सम्मानित अतिथि के रूप में राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली की प्रोफेसर आरती श्रीवास्तव उपस्थित थीं। अपने उद्बोधन में प्रो. आरती श्रीवास्तव ने कहा कि लैंगिक समानता के लिए शिक्षा पहली शर्त है। बिना शिक्षा के महिलाएं अपने मौलिक अधिकारां से वंचित रह जाती हैं। उन्होंने कहा कि वर्किंग वूमेन को दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है। उन्हें दफ्तर के साथ-साथ घर भी संभालना होता है।

कार्यक्रम में मीनाक्षी सैलून एवं एकेडमी की संस्थापक व निदेशक सुश्री मीनाक्षी टुटेजा सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। उन्होंने अपने जीवन संघर्ष से सभी को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को प्रोफेशनल बनाना और दक्ष बनाना बहुत जरूरी है।


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