College Recruitment 2024: कॉलेजों में होने जा रही 550 प्रोफ़ेसरों की भर्ती, राज्य बनने के बाद पहली बार प्रोफेसरों की भर्ती

College Recruitment 2024: छत्तीसगढ़ के हायर एजुकेशन के लिए यह मजाक से कम नहीं है कि राज्य बनने के बाद 24 साल में प्रदेश के किसी भी कालेज में प्रोफेसरों की भर्ती नहीं हुई। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार पहली बार प्रोफसरों की भर्ती करने जा रही है।

Update: 2024-06-26 14:00 GMT

College Recruitment 2024: रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद विधानसभा के हर सत्र में कॉलेजों में प्रोफेसरों के खाली पदों पर सवाल लगते थे और सिस्टम से बड़े बेशर्मी से जवाब आता था कोई प्रोफसर नहीं हैं...सारे पद खाली है। अब आप समझ सकते हैं कि बिना प्रोफसर के छत्तीसगढ़ के 365 कालेजों में कैसे पढ़ाई होती होगी और उसका स्तर क्या होगा। दरअसल, जो प्रमोशन से पद भरे जाने थे, सरकारों ने उसे भी भरने की अनुमति नहीं दी। वरना, ये शर्मनाक स्थिति नहीं होती कि छत्तीसगढ़ में एक भी प्रोफेसर नहीं हैं। आलम यह है कि छत्तीसगढ़ के कॉलेजों में एक हजार से अधिक प्रोफेसरों के पद स्वीकृत हैं, मगर भर्ती नहीं हो पाई। वजह सरकारों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उच्च शिक्षा विभाग ने फायनेंस को फाइल भेजकर अपना कर्तव्य पूरा कर दिया। और फायनेंस को एजुकेशन से कोई मतलब नहीं था। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में हायर एजुकेशन की दुदर्शा हो गई।

550 पदों पर भर्ती

हायर एजुकेशन विभाग अब एक्शन में है। कॉलेजों में तीन हजार सहायक प्राध्यापकों और प्राध्यापकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रोफेसरों के 550 पदों का विज्ञापन निकालने के लिए विभाग ने पीएससी को लेटर भेज दिया है। हालांकि, राज्य सरकार ने बिना वित्त की अनुमति से स्वीकृत पदों को भी न भरने का आदेश निकाल दिया है। मगर प्रोफेसरों के पद के विज्ञापन पीएससी से पहले निकल गए थे। मगर हाई कोर्ट से स्टे लग जाने की वजह से भर्ती प्रॉसेज आगे नहीं बढ़ पाई थी। हायर एजुकेशन विभाग ने हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार भर्ती शतें बनाकर पीएससी को भेज दिया है। पीएससी से अब किसी भी दिन प्रोफेसरों की भर्ती का विज्ञापन जारी हो जाएगा। जानकारों का कहना है, छत्तीसगढ़ बनने के दसेक साल पहले से मध्यप्रदेश के समय प्रोफेसरों की भर्ती नहीं हुई थी। सो, प्रोफेसर रिटायर होते चले गए और पद खाली होता गया। बहरहाल, छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार प्रोफेसरों की भर्ती होगी।

टीचर नहीं, खुलते जा रहे नए कॉलेज

राजनीतिक मांगों पर छत्तीसगढ़ में हर साल दो-चार कॉलेज खोलने की घोषणा कर दी जाती है। मगर शहरों को छोड़ दिया जाए, तो दूरस्थ इलाकों में आधे से ज्यादा असिस्टेंट प्रोफेसरों के पद खाली हैं। प्रोफेसरों की तो बात ही नहीं...सारे कॉलेजों में प्रोफेसरों के पद रिक्त हैं। 50 प्रतिशत कॉलेजों में न लायब्रेरियन हैं और न क्रीडा अधिकारी। लिहाजा, न लायब्रेरी खुलता और न कोई खेल की गतिविधियां हो पाती। जाहिर है, बिना फैकल्टी के ह्यूमन रिसोर्स की कल्पना कैसे की जा सकती है। संसाधनों के अभाव का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ के करीब 25 परसेंट बच्चे स्कूली शिक्षा के बाद दूसरे राज्यों का रुख कर लेते हैं।

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