CG Teacher Transfer: युक्तियुक्तकरण के बाद 13 हजार शिक्षकों के ट्रांसफर के अधिकार कलेक्टरों को क्यों? जानिये इसकी वजह

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या का समाधान करने स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने जा रही है। इसके लिए ड्राफ्ट तैयार हो गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हरी झंडी के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुकतकरण का प्रॉसेज प्रारंभ कर दिया है। मगर शिक्षकों को उत्सुकता ये है कि ट्रांसफर का अपना अधिकार सरकार कलेक्टरों को क्यों सौंप रही है।

Update: 2024-08-05 08:46 GMT

रायपुर। शिक्षक हो या कोई भी सरकारी कर्मचारी, उनका ट्रांसफर सरकारी स्तर पर होता है। बिना सरकार की अनुमति के मंत्रालय के बड़े-से-बड़े अधिकारी भी किसी सरकारी मुलाजिम का तबादला नहीं कर सकते। छत्तीसगढ़ में इस समय तबादलों पर बैन लगा हुआ है। जब बैन खुलता है, तब भी विभागीय मंत्री के अनुमोदन से ही ट्रांसफर होते हैं। ट्रांसफर के बैन के दौरान स्पेशल केस में मुख्यमंत्री को अधिकार है कि वे ट्रांसफर कर सकते हैं। वो भी बहुत जरूरी होने पर या विषय विशेष की गंभीरता को समझने के बाद। मगर छत्तीसगढ़ में सरकार अतिशेष शिक्षकों के ट्रांसफर का अधिकार कलेक्टरों को देने जा रही है तो इस पर लोगों का चौंकना स्वाभाविक है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार शिक्षकों की कमी को देखते स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने जा रही हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तरण कैसे किया जाएगा, इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। सीएम हाउस में प्रेजेंटेशन के बाद मुख्यमंत्री भी ड्राफ्ट पर अपनी सहमति दे चुके हैं। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी एक्शन मोड में हैं। युद्ध स्तर पर काम चल रहे हैं।

स्कूलों को मर्ज

सरकार पहले स्कूलों का युक्तियुक्तकरण करेगी। इसके लिए होम वर्क लगभग कंप्लीट कर लिया गया है। हफ्ते भर के भीतर आदेश जारी हो जाएगा कि किन जिलों के कितने स्कूल इसके जद में आएंगे। करीब 4 हजार स्कूल ऐसे हैं, जो एक ही कैंपस में और स्कूलों के साथ चल रहे हैं। और लगभग डेढ़ हजार स्कूल ऐसे हैं, जिनमें राष्ट्रीय मानके हिसाब से बच्चे 10 से कम हैं। इनमें 100 से अधिक ऐसे स्कूल हैं, जहां बच्चे 10 से कम हैं और शिक्षक राष्ट्रीय मानक से कहीं अधिक हैं। ऐसे स्कूलों को आसपास के स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। 7300 शिक्षक अतिशेष हैं और स्कूलों के युक्तियुक्तकरण के बाद करीब छह हजार शिक्षक और अतिशेष हो जाएंगे। इस तरह करीब 13 हजार शिक्षक मिल जाएंगे। अफसरों का दावा है कि इतने शिक्षकों के बाद शिक्षक विहीन और सिंगल टीचर वाले स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या दूर हो जाएंगी। याने फिर शिक्षक भर्ती करने की फिलहाल जरूरत नहीं पड़ेंगी।

कलेक्टरों को अधिकार क्यों?

अतिशेष शिक्षकों की पोस्टिंग का पावर जिले के कलेक्टरों को दिया जा रहा है। सहायक शिक्षक, शिक्षक और व्याख्याता के ट्रांसफर जिले के कलेक्टर करेंगे। वे जमीनी हकीकत को देखते हुए निर्णय लेंगे। बताते हैं, सरकार ने कलेक्टरों को अधिकार दे दिया है। सहायक शिक्षकों का कंप्लीट ट्रांसफर कलेक्टर करेंगे। शिक्षक और व्याख्याता में कलेक्टरों द्वारा ट्रांसफर करने के बाद जो बच जाएंगे, उस पर ज्वाइंट डायरेक्टर और डीपीआई फैसला लेंगे। याने शिक्षकों का ज्वाइंट डायरेक्टर और व्याख्याता का डीपीआई ट्रांसफर करेंगे...मगर कलेक्टरों द्वारा ट्रांसफर करने के बाद बच गए तो। दरअसल, कलेक्टरों को युक्तियुक्तकरण के बाद ट्रांसफर करने का अधिकार देने का मतलब यह है कि प्रक्रिया स्मूथली निबट जाए। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कलेक्टरों को जिले में प्रभाव होता है। फिर अपने जिले की स्थिति को अच्छे तरह से समझते हैं। उन्हें यह भी पता होता है कि किस इलाके में या किन स्कूलों में कितने शिक्षकों की पोस्टिंग करनी है। अफसरों का कहना है कि सहायक शिक्षकों का जिला कैडर होता है, सो इसमें कोई दिक्कत नहीं। शिक्षक और व्याख्याता का भी कलेक्टर पहले अपने जिले में ट्रांसफर करेंगे, जो बच जाएंगे उसे ज्वाइंट डायरेक्टर और डीपीआई से किया जाएगा।

13 हजार शिक्षक अतिशेष

छत्तीसगढ़ में 13 हजार अतिशेष शिक्षक बिना काम के पगार ले रहे हैं। इनमें 7300 अतिशेष हैं और स्कूलों के युक्तियुक्तरण के बाद करीब छह हजार शिक्षक और अतिशेष निकल रहे हैं। याने 13 हजार से अधिक शिक्षक एक्सट्रा हैं। कई स्कूलों में बच्चे कम और टीचर ज्यादा हो गए हैं। खासकर शहरो के स्कूल शिक्षकों से भरे पड़े हैं और गांवों में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां एक भी टीचर नहीं हैं। 100 से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां चार-से-पांच शिक्षक हैं और इससे अधिक शिक्षक। दुर्ग शहर के एक मीडिल स्कूल में 90 बच्चों पर 11 शिक्षक तैनात हैं। ये शिक्षकों की पोस्टिंग में भर्राशाही का नमूना है।

300 स्कूल शिक्षक विहीन

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में एक तरफ 300 से अधिक स्कूल शिक्षक विहीन हैं और 5500 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक तैनात हैं। विधानसभा के मानसून सत्र में रायपुर के स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सदन को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए युक्यिक्तकरणकी प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। इससे काफी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर होगी। इसके बाद फिर शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। मगर अफसरों ने युक्तियुक्तकरण से पहले सरकार को अतिशेष स्कूलों का आंकड़ा दिया है, वह चौंकाने वाला है।

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