CG School Education News: जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी स्कूल शिक्षा के सहायक संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं, उल्टे बचाने की कोशिशें...
CG School Education News: छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में घपले, घोटाले में लिप्ट अफसरों को खटराल सिस्टम द्वारा बचाने का काम जारी है।
CG School Education News: बिलासपुर। स्कूल शिक्षा विभाग में गंभीर मामलों में दोषी अधिकारियों को बचाने का खेल बदस्तूर जारी है। अंधा बांटे रेवड़ी चुन चुन कर दे वाली स्थिति पिछली सरकार में भी थी और इसे लेकर विभाग की छवि खराब हुई थी। और यही वजह थी कि पदोन्नति घोटाले जैसे मामले में बिलासपुर संयुक्त संचालक कार्यालय में पदस्थ एक सहायक संचालक और उनकी टीम के कई खिलाड़ियों को राज्य कार्यालय से बचा लिया गया और सेम मामले में दूसरे अधिकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। यहां तक की जेडी तक नहीं बच सके। उस समय सहायक संचालक के खिलाफ कांग्रेस के ही कई नेताओं ने मोर्चा खोला लेकिन उनका कुछ नहीं बिगड़ा। अब ऐसा ही खेल इस सरकार में भी हो रहा है।
कोरबा जिला शिक्षा अधिकारी में नियम विरुद्ध सहायक संचालक बनकर बैठे एक व्याख्याता के आर डहरिया के खिलाफ गंभीर मामलों में शिकायत हुई। मामले की शिकायत मिलने के बाद जेडी कार्यालय ने इस मामले की जांच कराई और जांच में आरोपो की पुष्टि हुई। जिसके बाद पूरी जांच रिपोर्ट बनाकर जेडी कार्यालय ने लोक शिक्षण कार्यालय को प्रेषित किया लेकिन वहां के अधिकारी उस जांच रिपोर्ट पर कुंडली मार कर बैठ गए और किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिकायतकर्ता ने जब इस पूरे मामले की जानकारी लेनी चाहिए और पुनः कलेक्टर और अन्य अधिकारियों को शिकायत की तो जेडी कार्यालय से जो पत्र प्रेषित किया गया उससे यह स्पष्ट हुआ कि जेडी कार्यालय की जांच में आरोपो की पुष्टि हो चुकी है। और जेडी कार्यालय ने इस मामले में कार्रवाई के लिए 2 महीने पहले ही विभाग को पत्र प्रेषित कर दिया है और वहीं से मामले को दबा दिया गया है।
नियम विरुद्ध व्याख्याता को बना दिया गया है सहायक संचालक!
के आर डहरिया मूलतः व्याख्याता है और कर्मचारी संघ के पदाधिकारी भी। यही वजह है कि अपनी पहुंच के दम पर उन्होंने सहायक संचालक का पद हासिल कर लिया जबकि यह पद मूलतः वरिष्ठ प्राचार्य का होता है। प्रमोशन के समय पोस्टिंग के दौरान भी के आर डहरिया उस समय विवादों में आ गए थे जब एक सूची वायरल हुई थी। जिसमें उन्होंने पूरी एक लिस्ट बनाकर प्रमोशन करने वाले कर्मचारियों को सौपी थी और जहां-जहां उन्होंने अपने लोगों को प्रमोशन देने को कहा था वही प्रमोशन हुआ था। इसके अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सभी लिपिकों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोला था और इस बात की शिकायत की थी कि उनके द्वारा संगठन का नेता होने के नाम पर धमकी दी जाती है और दुर्व्यवहार करते हुए कहा जाता है कि मेरी बात नहीं मानोगे तो ट्रांसफर करवा दूंगा। ऐसी कई शिकायते सामने आने के बाद ही उनके खिलाफ जांच बैठाई गई थी और जांच में अब दोषी पाने के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं ।