CG Private School: सरकार का 180 करोड़ पानी में! प्रायवेट स्कूलों को हर साल जितने पैसे दिए जा रहे, उतने में हर साल 50 बडे स्कूल बन जाएंगे

CG Private School: छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी और गरीब बहुल राज्य से चौंकाने वाली खबर है...सरकार को कलेक्टरों ने रिपोर्ट भेजी है, उसके अनुसार छत्तीसगढ़ में आरटीई में प्रायवेट स्कूलों में दाखिला पाए 50 फीसदी गरीब बच्चे हर साल स्कूल छोड़ दे रहे, बड़े शहरों की स्थिति इसमें और खराब है। जबकि, केंद्र और राज्य सरकार मिलकर हर साल छत्तीसगढ़ के स्कूलों को लगभग 180 करोड़ दे रहे।

Update: 2024-06-13 13:32 GMT

CG Private School: छत्तीसगढ़ सरकार ने कलेक्टरों से राइट टू एजुकेशन के तहत प्रायवेट स्कूलों ेसे ड्रॉप आउट बच्चों के आंकड़े निकलवाएं, वो चौंकाने वाले हैं। छत्तीसगढ़ में हर साल जितने बच्चे एडमिशन लेते हैं, उसके आधे स्कूल छोड़ देते हैं। ये फीगर तो स्कूलों ने दिया है, सत्यापन कराया जाए तो यह संख्या और बढ़ सकती है। 

रायपुर। राइट टू एजुकेशन के तहत गरीब बच्चों को पढ़ाने के एवज में सरकार हर साल प्रायवेट स्कूलों को 180 करोड़ के आसपास रकम देती है। बावजूद इसके 50 फीसदी गरीब बच्चे हर साल ड्रॉप आउट हो रहे याने स्कूल छोड़ रहे हैं। याने कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़़ में सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन पर बना राइट टू एजुकेशन कानून फेल हो रहा है।

बता दें, राइट टू एजुकेशन के नियमों के तहत राज्य में लाटर पद्धति से गरीबों के बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में दाखिला दिया जाता है। इसके लिए प्रायवेट स्कूलों में सीटों की संख्या के आधार पर प्रायवेट स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए सीटें रिजर्व रखी जाती हैं। मगर आश्चर्यजनक यह है कि एडमिशन लेने के बाद छत्तीसगढ़ में हर साल लगभग 50 परसेंट गरीब बच्चे प्रायवेट स्कूल छोड़ दे रहे।

हर साल 50 नए स्कूल

प्रायवेट स्कूलों में गरीब बच्चों को पढ़ाने के एवज में विभिन्न मदों में लगभग 180 करोड़ दिया जाता है। इसमें 60 प्रतिशत केंद्र सरकार देती है और 40 परसेंट राज्य सरकार। इसके बाद भी 2023-24 सत्र में 48 हजार में से 24 हजार बच्चे ड्रॉप आउट हो गए। यदि इसका सत्यापन कराया जाए तो ये संख्या आधे से भी कम हो जाएंगे। क्योंकि स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देश पर कलेक्टरों ने डेटा कलेक्ट कराया, उसे स्कूलों ने दिया है। यदि स्कूलों में जाकर हेड काउंट किया जाए, तो 10 हजार बच्चे भी निकल जाएं, तो बहुत है। सरकार का ये 180 करोड़ पानी में जा रहा है। इतने पैसे में हर साल सर्वसुविधायुक्त 50 स्कूल खुल जाएंगे।

ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या चौंकाने वाली

स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कलेक्टरों को पत्र लिखकर इसकी जांच करने कहा था। उन्होंने 15 दिन के भीतर प्रायवेट स्कूलों के साथ मीटिंग कर ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या का पता लगाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रायवेट स्कूलों में महंगे यूनिफार्म, पुस्तकों की वजह से तो बच्चे स्कूल नहीं छोड़ रहे, इसकी भी जांच की जाए। कलेक्टरों ने सरकार को ड्रॉप आउट बच्चों की रिपोर्ट भेज दी है।

कलेक्टरों की रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ में प्रायवेट स्कूलों द्वारा गरीब बच्चों को प्रोटेक्शन न दिए जाने की वजह से आधे से अधिक बच्चे स्कूल छोड़ दे रहे। खबर के नीचे पिछले तीन सत्रों में ड्रॉप आउट लेने वाले बच्चों की संख्या वाली कलेक्टररों की रिपोर्ट लगी है, इसे आप देखेंगे तो आपका भी माथा ठनकेगा कि छत्तीसगढ़ के प्रायवेट स्कूलों में हो क्या रहा है। 2020-21 में 10 हजार, 2021-22 में 18 हजार और 2023-24 में 24 हजार गरीब बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। पिछले सत्र याने 2023-24 में छत्तीसगढ के प्रायवेट स्कूलों में 48 हजार गरीब बच्चों के दाखिले हुए थे, इनमें से 24 हजार ड्रॉप आउट ले लिया।

रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, कोरबा की स्थिति खराब

ड्रॉप आउट होने वाले बच्चां में रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और जांजगीर शामिल हैं। रायपुर में सबसे अधिक 2496 गरीब बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। राज्य सरकार का भी मुख्य फोकस इन बड़े शहरों के बड़े स्कूलों पर है। 60 से 70 परसेंट आरटीई वाले बच्चे इन्हीं शहरों के प्रायवेट स्कूलों में पढ़ते हैं।

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