Rain Water Harvesting: बारिश में करें रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, जानें इसे करने के तरीके, अगर कर लिया तो कभी नहीं होगी पानी की कमी

बढ़ते समय के साथ देश में पानी की भारी किल्लत होने लगी है। प्रकृति के दोहन का असर बारिश पर भी पड़ा है। कई राज्यों में सूखे के हालात हैं। जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और पीने के पानी की कमी साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में पानी की दिक्कत को हम रेन हार्वेस्टिंग के जरिए दूर कर सकते हैं।

Update: 2024-07-17 13:21 GMT

रायपुर, एनपीजी न्यूज। बढ़ते समय के साथ देश में पानी की भारी किल्लत होने लगी है। प्रकृति के दोहन का असर बारिश पर भी पड़ा है। कई राज्यों में सूखे के हालात हैं। जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और पीने के पानी की कमी साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। नदी, तालाब, कुएं सूख गए हैं या फिर शहरीकरण और औद्योगीकरण की भेंट चढ़ गए हैं, ऐसे में पानी की दिक्कत को हम रेन हार्वेस्टिंग के जरिए दूर कर सकते हैं।

वहीं कई राज्य और जिले ऐसे हैं, जहां हर साल बाढ़ आ जाती है और पानी यूंही बर्बाद हो जाता है। हम रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को अपनाकर पानी को बर्बाद होने से बचा सकते हैं। वैसे भी कहा गया है- जल ही जीवन है। ये भी कहा जाता है कि अगर विश्व में तीसरा युद्ध हुआ तो वो पानी के लिए ही होगा, क्योंकि दुनिया के कई देशों में भीषण सूखे के हालात हैं।


रेन वॉटर हार्वेस्टिंग क्या होता है?

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग बारिश के पानी को जमा करने का एक तरीका होता है। इस पानी को बाद में फिल्टर किया जाता है और फिर इस्तेमाल करने के लिए जमा कर दिया जाता है। इस तरह पानी की हार्वेस्टिंग करने से पानी का लेवल दोबारा पहले जैसा नॉर्मल हो जाता है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो फिर बारिश का पानी बेकार ही इधर-उधर बहकर बर्बाद हो जाता है।

तालाब या झील के अलावा जमीन के नीचे बनाए गए स्पेशल टैंक के जरिए भी बारिश के पानी को जमा किया जा सकता है। इसमें घरों की छतों पर पड़ने वाले बारिश के पानी को कंक्रीट की छत की मदद से जल जमा करने के लिए बनी टंकियों से जोड़ दिया जाता है। इस तरह पानी का इस्तेमाल सामान्य घरेलू उपयोग के अलावा भूजल स्तर बढ़ाने में भी किया जाता है।


रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के फायदे

भारी बारिश और बाढ़ के दौरान मिट्टी की ऊपरी सतह बारिश के पानी के साथ बह जाती है, लेकिन अगर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है, तो यह पानी बहकर बर्बाद नहीं होता है। भारत में बारिश के पानी का केवल 8 फीसदी ही संचयन होता है, इसलिए भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है। भारत सरकार ने मिशन अमृत सरोवर की शुरुआत 24 अप्रैल 2022 को की थी, जिसका उद्देश्य भविष्य के लिए जल संरक्षण करना है।

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के इन तरीकों को अपनाकर आप भी संचय कर सकते हैं वर्षा जल

रेन बैरल लगाएं- रेन बैरल लगाकर आप बारिश के पानी को बचा सकते हैं। किसी बड़े और पुराने ड्रम का इस्तेमाल करते हुए रेन बैरल बनाया जा सकता है। घर की छत और बरामदे से बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए पाइप का इस्तेमाल किया जाता है। बैरल को बंद रखा जाता है। मच्छरों से बचने के लिए स्टोर किए गए बारिश के पानी में एक बड़ा चम्मच वेजिटेबल ऑयल भी मिलाया जा सकता है।

रेन गार्डन- ये एक Rain Water Harvesting तकनीक है, जो जमीन के निचले या धंसे हुए हिस्से में बनाया गया एक बगीचा होता है, जिसमें पानी से प्रदूषकों को हटाने के लिए देशी पौधों, स्थानीय मिट्टी और गीली घास का उपयोग किया जाता है। यहां जमा हुआ पानी जमीन में रिसता है।

रेन चेन- ये आसानी से बन भी जाता है और दिखने में भी खूबसूरत भी होता है। इसे रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले पीवीसी (पॉलीविनाइल क्लोराइड) पाइप डाउनस्पॉउट्स की जगह लगाया जा सकता है। ये इकोफ्रेंड्ली होते हैं। यहां बारिश का पानी पाइप के जरिए कंटेनर में जमा होता है।

जलाशय- बारिश का जो पानी छत पर गिरता है, वह एक पाइप के माध्यम से एक बड़े नाद या टैंक में स्टोर किया जाता है। बारिश का पानी टैंकों में जमा होने से पहले फिल्टर के माध्यम से शुद्ध किया जा सकता है। कारों की धुलाई और बगीचों में पौधों को पानी देने के लिए जमा किए गए बारिश के पानी का उपयोग किया जा सकता है। इससे ग्राउंड वॉटर के इस्तेमाल को कम करने में मदद मिलती है।


आप ऐसे भी तैयार कर सकते हैं सिस्टम

जमीन पर 3 से 5 फुट चौड़ा और 10 फुट गहरा एक गड्ढा खोद लें। छत से आने वाले पानी को पाइप के सहारे गड्ढे में ले जाएं। गड्ढे में कंक्रीट और रेत डालें। ऐसे में पानी छनकर जमीन के अंदर जा सकेगी और भूजल स्तर रिचार्ज हो पाएगा। पहाड़ों से आने वाले पानी को रोकने के लिए चेक डैम बनाया जाता है। इसके सहारे पानी को रोकने की कोशिश की जाती है।

रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के प्रकार

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम 3 तरह के होते हैं- डायरेक्ट पम्प्ड, इनडायरेक्ट पम्प्ड, ग्रैविटी ओनली और इनडायरेक्ट ग्रैविटी।

डायरेक्ट पम्प्ड के बारे में जानें- यह सबसे आम और प्रोफेशनल तरीके का रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होता है और यह घरेलू इस्तेमाल के लिए सबसे बेहतर होता है। इसमें पंप अंडरग्राउंड टैंक (सबमर्सिबल) के अंदर होता है या एक एक्सटर्नल कंट्रोल यूनिट (सक्शन) के अंदर होता है और पानी सीधा वहीं पंप होता है, जहां उसका यूज करना होता है। अगर टैंक में कम पानी रहता है, तो उसमें बाहर से थोड़ा पानी डाला जाता है, ताकि पानी की सप्लाई लगातार बनी रहे।


इनडायरेक्ट पम्प्ड तकनीक- इनडायरेक्ट पंप और डायरेक्ट पंप के बीच ज्यादा अंतर नहीं है। दोनों में बस इतना फर्क है कि इनडायरेक्ट पंप ग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण) पर निर्भर नहीं करते हैं और टैंक को कहीं भी रखा जा सकता है। पानी को टैंक में प्रेशर से सप्लाई देने के लिए बूस्टर पंप सेट का इस्तेमाल किया जाता है।

इनडायरेक्ट ग्रैविटी तकनीक- इस सेटअप में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग टैंक में इकट्ठा किए गए पानी को वरहेड टैंक में पंप कर दिया जाता है। पाइप को इस ओवरहेड टैंक के साथ जोड़ा जाता है और फिर घरों में पानी की सप्लाई होती है। अगर पानी खत्म होने लगता है, तो मेन सप्लाई से आने वाले पानी को रेनवॉटर हार्वेस्टिंग टैंक में भेजने की जगह सीधे ओवरहेड टैंक में पंप कर दिया जाता है।

ग्रैविटी ओनली तकनीक- ऐसा बहुत कम मामलों में होता है कि आपके पास ऐसा रेनवॉटर सिस्टम हो जो सिर्फ ग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण) पर ही काम करता है। मगर ऐसा करना मुश्किल होता है, क्योंकि हार्वेस्टिंग टैंक को कलेक्शन टैंक और घर में जाने वाले वॉटर सप्लाई सिस्टम से ऊपर रखने की जरूरत होती है।


विशेषज्ञों का कहना है कि एक बरसाती मौसम में एक हजार वर्ग फुट की छोटी सी छत से लगभग एक लाख लीटर पानी जमीन के अंदर उतारा जा सकता है। वर्षा जल संचय के लिए बारिश के पानी को हैंडपंप, बोरवेल या कुएं के माध्यम से भूगर्भ जल में मिलाया जा सकता है। छत के बरसाती पानी को गड्ढे के जरिए सीधे जमीन के भीतर उतारा जा सकता है या फिर छत के पानी को किसी टैंक में जमा कर सीधे उपयोग में लाया जा सकता है।

भारत सरकार की योजनाएं

जल संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों के सभी जिलों में ‘कैच द रेन’ अभियान चलाया है। 2019 में शुरू हुए इस अभियान के तहत हर साल मार्च-अप्रैल से नवंबर तक बारिश के पानी के संचयन का काम होता है। इसमें जिलों के सभी शासकीय, अर्द्धशासकीय भवनों पर अनिवार्य रूप से रेन वॉटर हार्वेस्टिंग तकनीक की स्थापना कराने की योजना है।

कई जगहों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम किया गया है अनिवार्य

कई राज्यों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होना अनिवार्य है। अक्सर ये होता है कि कुछ पिट दिखाकर बिल्डर अप्रूवल लेते हैं, जबकि कायदे से कंप्लीशन सर्टिफिकेट तब देना चाहिए, जब रेन वॉटर हार्वेसटिंग का पूरा सिस्टम चेक हो जाए।

कानून क्या कहता है, जान लीजिए?

वैसे तो सरकार की तरफ से अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-नियम हैं। दिल्ली में जून 2001 से शहरी विकास मंत्रालय ने 100 वर्ग मीटर से अधिक छत वाले सभी नए मकानों और 1000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले सभी भूखंडों के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया है।

वहीं मध्य प्रदेश में 250 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाली सभी नई इमारतों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पर प्रोत्साहन के रूप में संपत्ति कर पर 6 प्रतिशत की छूट का प्रावधान है। आंध्र प्रदेश में 300 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाली सभी नई इमारतों में चाहे छत का क्षेत्रफल कुछ भी हो, वर्षा जल संचयन अनिवार्य कर दिया गया है।

राजस्थान राज्य सरकार ने सभी सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और शहरी क्षेत्रों में 500 वर्ग मीटर से अधिक के भूखंडों की सभी संपत्तियों के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया। 

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