पर्यटन को नई पहचानः आइकॉनिक टूरिज्म प्रोजेक्ट्स से टूरिज्म मैप में उभर रहा छत्तीसगढ़, विष्णुदेव की कोशिशों से केंद्र से मिला 147 करोड़
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेश के पर्यटन पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है। उनकी कोशिशों से पर्यटन विकास के लिए केंद्र सरकार ने दी 147.66 करोड़ की सौगात दी है। वे जशपुर और बस्तर को टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने पर विचार कर रहे हैं।
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रयासों से छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड को केंद्र सरकार से एक बड़ी उपलब्धि प्राप्त हुई है। केंद्र सरकार ने स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट 2024-25 के तहत राज्य की दो महत्वपूर्ण पर्यटन परियोजनाओं के लिए 147.66 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत की है। इसके अंतर्गत 95.79 करोड़ रूपए की लागत से माना तूता रायपुर में चित्रोत्पला फिल्म सिटी का निर्माण तथा 51.87 करोड़ रूपए की लागत से माना तूता रायपुर में जनजातीय और सांस्कृतिक कन्वेंशन सेंटर का निर्माण शामिल है। छत्तीसगढ़ में इन परियोजनाओं के शुरू होने से राज्य में पर्यटन ढांचे को मजबूत करने और स्थानीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने में मदद मिलेगी। ये योजनाएं रोजगार सृजन, विकास और छत्तीसगढ़ को पर्यटन के वैश्विक मानचित्र में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक विवेक आचार्य ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से 15 अक्टूबर 2024 को नई दिल्ली में मुलाकात कर छत्तीसगढ़ की पर्यटन गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट योजना के तहत राजधानी रायपुर में फिल्म सिटी, कन्वेंशन सेंटर, वेलनेस रिसॉर्ट और नेचर सिटी के लिए लगभग 300 करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्रस्तुत किए थे जिसके परिप्रेक्ष में फिल्म सिटी और कन्वेंशन सेंटर निर्माण के लिए केंद्र सरकार से 147.66 करोड़ रूपए की स्वीकृति प्राप्त हुई है। पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के इस ठोस कदम से छत्तीसगढ़ में फिल्म मेकिंग और फिल्म टूरिज्म के लिए फिल्म सिटी निर्माण के माध्यम से अपार संभावनाओं के द्वार खुल गए हैं। यह सफलता छत्तीसगढ़ के पर्यटन विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और राज्य को एक वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में नए अवसर खोल रही है।
छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला सुंदर वादियों और नदी पहाड़ झरना से परिपूर्ण खूबसूरत और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है अब जिला तेजी से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। यहां के घने जंगल, पर्वतीय क्षेत्र, और अनोखी आदिवासी संस्कृति ने जशपुर को एक विशेष पहचान दिलाई है। जिला प्रशासन द्वारा पर्यटन के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किया जा रहा है। जहां विगत दिवस 4 दिवसीय देश देखा में जम्बूरी उत्सव का आयोजन किया गया है। जहां बड़ी संख्या में युवाओं ने यहां पर्यटन का आनंद लिया नजदीक से जशपुर की लोकल संस्कृति परम्परा और कर्मा नृत्य का अनुभव जाना। पर्यटकों को रोमांचक अनुभव प्रदान करना है, बल्कि उन्हें जशपुर की प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदा से भी जोड़ना है। जशपुर की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को विश्व स्तर पर पहचान दिलाना है। उनका उद्देश्य एक ऐसा पर्यटन मॉडल तैयार करना है, जो न केवल पर्यटकों के लिए रोमांचक हो, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को भी बनाए रखे पर्यटन को प्रकृति के करीब पहुंचाने का प्रयास किया है। प्राकृतिक संपदा जैसे घने जंगलों, पहाड़ियों और जल संसाधनों को भी पर्यटकों के अनुभव का हिस्सा बनाया है, जिससे न केवल पर्यटकों को एक अनोखा अनुभव मिलता है, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी रोजगार मिलता है।
पर्यटन को समृद्ध बनाने हमारी सरकार कृत संकल्पितः साय
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा है कि वैश्विक पर्यटन के नक्शे में जशपुर जिले का शामिल होना सभी प्रदेशवासियों के लिए गर्व का विषय है। छत्तीसगढ़ में पर्यटन के क्षेत्र को समृद्ध बनाने हेतु हमारी सरकार कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि पर्यटकों के बीच लोकप्रिय पर्यटन वेबसाइट में शामिल होने वाला जशपुर छत्तीसगढ़ का पहला जिला है। जशपुर जिले के कुनकुरी ब्लॉक में मयाली गांव से 35 किलोमीटर दूर स्थित मधेश्वर पहाड़, शिवलिंग के आकार की अपनी अद्भुत प्राकृतिक संरचना के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है, जहां स्थानीय ग्रामीण इसे विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग के रूप में पूजते हैं। यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है।
सौर ऊर्जा से जगमगाएंगे 23 पर्यटक स्थल
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोनाखान की धरती से बलौदाबाजार भाटापारा जिले के 23 प्रमुख ऐतिहासिक एवं पर्यटक स्थलो के लिए सोलर हाईमास्ट लगाने की महत्वपूर्ण घोषणा की है। इसमें 23 स्थानों में कुल 50 से अधिक नग सोलर हाईमास्ट लाईट लगाने की तैयारी की जा रही है। सोलर हाईमास्ट लाईट लगने से पर्यटकों को काफी सुविधा मिलेगी साथ ही पर्यावरण संरक्षण के साथ स्थल सुरक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा। इन पर्यटक और ऐतिहासिक स्थलों में विकासखण्ड बलौदाबाजार अंतर्गत सिंहासनपाट मंदिर केशला सोनाडीह, कबीरसंत समागम आश्रम चंगोरीपुरी,मावली माता मंदिर सिंगारपुर ,महामाया मंदिर तरेंगा,दुमनाथ मंदिर रामपुर ,विकासखण्ड कसडोल अंतर्गत सिध्दखोल वॉटर फॉल,अचानकपुर देव हिल्स् नेचर रिसॉर्ट,बारनवापारा सेंचुरी तुरतुरिया, वीरनारायण सिंह सोनाखान, जैतखाम गिरौदपुरी धाम गिरौदपुरी, तुरतुरिया मातागढ विकासखण्ड पलारी अंतर्गत सिध्द बाबा बालसमुद, विकासखण्ड सिमगा अंतर्गत दामाखेडा चैतवारी देवी मंदिर धोबनी, खल्लारी माता मंदिर सुहेला शामिल है। उक्त कार्य के लिए नोडल एजेंसी क्रेडा को निर्धारित किया गया
मधेश्वर पहाड़ विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थित मधेश्वर पहाड़ को शिवलिंग की विश्व की सबसे बड़ी प्राकृतिक प्रतिकृति के रूप में मान्यता मिली है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिला है। रिकॉर्ड बुक में ’लार्जेस्ट नेचुरल फैक्सिमिली ऑफ शिवलिंग’ के रूप में मधेश्वर पहाड़ को दर्ज किया गया है। सीएम साय ने इसे प्रदेश के पर्यटन की उपलब्धियों में एक नया आयाम बताया। गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड के प्रतिनिधि हेमल शर्मा और अमित सोनी ने सीएम को वर्ल्ड रिकार्ड का सर्टिफिकेट सौंपा। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल, वन मंत्री केदार कश्यप, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े उपस्थित थीं।
वैश्विक पर्यटन के नक्शे में शामिल हुआ जशपुर
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को पर्यटन के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं और उसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहा है। अब देशभर के पर्यटन प्रेमी जशपुर की हरी-भरी वादियों की जानकारी के लिए पर्यटन वेबसाइट ूू.मेंमउलजतपच.बवउका उपयोग कर सकते हैं। जशपुर पर्यटन वेबसाइट में शामिल होने वाला प्रदेश का पहला जिला बन गया है। अब पर्यटन वेबसाइट के माध्यम से पर्यटन प्रेमियों को जशपुर के नैसर्गिक जगहों की जानकारी आसानी से मिलेगी। उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन द्वारा जशपुर में पर्यटन को बढ़ावा देने के क्षेत्र में अनेक गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित जशपुर जिला शहरी जीवन शैली से और भागदौड़ की जिंदगी से सुकून का अहसास दिलाता है। प्रकृति को नजदीक से जानने के लिए जशपुर एक आदर्श स्थान है।
चाहे वह हरे-भरे चाय बागान हो, रॉक क्लाइम्बिंग का रोमांच हो, आदिवासी समुदायों की जीवंत परंपराओं को नजदीक से जानना हो, जशपुर हर यात्री के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। अपने मनमोहक परिदृश्य, ठंडी जलवायु और आदिवासी संस्कृति, रीति रिवाज, रहन-सहन, खान-पान, पारंपरिक व्यंजन और आत्मीयता से समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ, जशपुर एक ऐसा अनुभव प्रदान करता है जो यात्रा के बाद लंबे समय तक पर्यटकों के साथ रहता है। जशपुर में रूकने के लिए एक सुंदर और आकर्षक सुविधा युक्त सरना एथनिक रिज़ॉर्ट है। जशपुर में दमेरा, देशदेखा, चाय बगान, सोगड़ा आश्रम, रानीदाह, बगीचा विकास खंड में कैलाश गुफा, खुडियारानी, राजपुरी, दनगरी, मकरभंजा, कुनकुरी विकास खंड में एशिया का सबसे दूसरा बड़ा चर्च, मधेश्वर पहाड़ सबसे बड़ा शिवलिंग, मयाली नेचर कैम्प आदि बहुत सारे पर्यटन स्थल का आनंद लिया जा सकता है।
एडवेंचर टूरिज्म पर जोर
रॉक क्लाइम्बिंग, ट्रेकिंग, और नदी के किनारे कैंपिंग जैसी गतिविधियाँ पर्यटकों के लिए रोमांचक अनुभव साबित होती हैं। जशपुर के प्राकृतिक परिदृश्य में आयोजित इन गतिविधियों के जरिए पर्यटक न केवल जशपुर की प्राकृतिक सुंदरता को देख सकते हैं, बल्कि साहसिक खेलों का आनंद भी ले सकते हैं। जशपुर जिला प्रशासन द्वारा समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत करने के लिए अनुभवात्मक पर्यटन का प्रारूप तैयार किया है। पर्यटक यहां स्थानीय व्यंजनों का स्वाद, आदिवासी कला और शिल्प वर्कशॉप्स, और पारंपरिक नृत्य-संगीत का आनंद ले सकते हैं। स्थानीय समुदाय को रोजगार के अवसर प्रदान कर, सामुदायिक विकास में अपना योगदान दिया है।
स्थानीय गाइड्स, शिल्पकार, और साथ जुड़कर न केवल अपने परिवार की सहायता कर रहे हैं बल्कि जशपुर की सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित कर रहे हैं। इसका उद्देश्य केवल पर्यटकों को आकर्षित करना नहीं है, बल्कि स्थानीय कला और संस्कृति को जीवित रखना भी है। जिला प्रशासन स्थानीय कलाकारों के हस्तशिल्प और पारंपरिक उत्पादों को उनके स्टोर पर प्रदर्शित करता है, जिससे स्थानीय शिल्पकारों को अपनी कला को प्रदर्शित करने का मंच मिलता है। साथ ही, यह स्थानीय उत्पादों का उपयोग करके किसानों और शिल्पकारों को आर्थिक समर्थन प्रदान कर रहा है।