छत्तीसगढ़ की महिला उद्यमियों को सरकार ने लगाया हौसलों का पंख शरबत, दूध मलाई, तेंदू का बना रही टेस्टी आइसक्रीम

Update: 2023-06-16 08:53 GMT

रायपुर 16 जून 2023। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार की कोशिशों से महिला उद्यमियों के हौसलों को नई उड़ान मिल रही है। एक नये उत्साह एवं नई ऊर्जा से लबरेज उद्यमियों के हौसलों को पंख रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना से नए पंख मिले हैं। सरकार की रीपा योजना ग्रामीण क्षेत्रों में समूह की महिलाओं एवं उद्यमियों के चेहरों पर विकास की उजास ला रही है। लघु उद्यम को बढ़ावा देने की यह सार्थक पहल प्रभावी साबित हो रही है। डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम कलकसा के रीपा गौठान में बेहतरीन अधोसंरचना का निर्माण किया गया है। हर्बल सॉफ्ट ड्रिंक यूनिट, कारपेंटर यूनिट, फ्रूट आईसक्रीम यूनिट, नमकीन उद्योग, गोबर पेंट निर्माण, अगरबत्ती निर्माण, सिलाई यूनिट के लिए वर्कशेड बनाए गए हैं। यहां जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में रीपा के कार्य ने तेज गति से आकार लिया है। सखी समूह की महिलाओं ने जूस और आईसक्रीम निर्माण का कार्य प्रारंभ किया है। बेल, अमारी और आम के खास जायकेदार शरबत के साथ ही दूध-मलाई की आईसक्रीम और तेन्दू के आईसक्रीम की स्थानीय स्तर पर डिमांड है। तेन्दू का आईसक्रीम नवाचार करते हुए बनाया गया है, जिसका स्वाद खास है। उषा नेताम ने बताया कि गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए यह कार्य प्रारंभ किये हैं। जिससे जब तक लगभग 17 हजार की आमदनी हुई है। खट्टे अमारी भाजी का शरबत बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। यह भाजी ग्रामीण क्षेत्रों में सहज उपलब्ध है। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध भाजी एवं तेन्दू तथा अन्य सामग्री से प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं। समूह की महिलाएं हिसाब-किताब करने के साथ ही बचत करना सीख रही हैं। गीता बाई मंडावी ने बताया कि कुल्फी, आईस्क्रीम बनाने के लिए अच्छा प्रशिक्षण दिया गया है।

घर के पास रोजगार का अवसर मिला

समूह की महिलाओं द्वारा मिक्चर-नमकीन निर्माण के लिए मशीन का सेटअप लग गया है। जय मां दुर्गा स्वसहायता समूह की 10 महिलाएं मिलकर नमकीन निर्माण का कार्य कर रही है। जिसमें ड्रायर मशीन, मिक्चर निकालने तथा तेल छानने की मशीन 6 लाख 32 हजार रूपए की लागत से लगाई गई है। वहीं दाल पीसने की मशीन भी लगी है। संतोषी उईके ने बताया कि सभी महिलाएं यहां संगठित होकर कार्य कर रही हैं। महेश्वरी ने कहा कि घर के पास ही रोजगार का अवसर मिल गया है। अब धूप में नहीं जाना पड़ता। वर्क शेड में छांव में बैठकर सभी मिलकर कार्य कर रहे हैं। आमीन माता स्वसहायता समूह की गुनी बाई ने बताया कि गोधन न्याय योजना के तहत यहां गौठान में 2359.38 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। जिससे किसानों एवं पशुपालकों को 4 लाख 71 हजार रूपए का फायदा हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री से उन्हें 2 लाख 60 हजार रूपए की आमदनी हुई है।


गौठान ने बनाया स्वावलंबी

गोधन न्याय योजना के तहत निर्मित गौठानों में न सिर्फ गोबर की खरीदी, खाद निर्माण और बिक्री भी की जा रही है, बल्कि इसके इतर आजीविका सृजन के नवीन मापदण्ड अपनाए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्वावलम्बी, सम्बल और मजबूत बनती जा रही है। गोबर खरीदी के एवज में भुगतान की जा रही राशि में स्वावलंबी गौठानों की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत तक रहने लगी है। आज की स्थिति में 50 फीसदी से अधिक गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो स्वयं की राशि से गोबर एवं गौमूत्र की खरीदी के साथ-साथ गौठान की अन्य गतिविधियों को स्वयं की राशि से पूरा कर रहे हैं। गौठान अब न केवल गोबर खरीदी-बिक्री केन्द्र हैं, बल्कि जीवनयापन का सशक्त माध्यम बन चुके हैं। इन गौठानों में वर्मी खाद और विक्रय के अलावा सब्जी उत्पादन, मशरूम स्पॉन, मुर्गी पालन, बकरीपालन, अण्डा उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, मसाला निर्माण, कैरीबैग एवं दोना-पत्तल निर्माण, बेकरी निर्माण, अरहर एवं फूलों की खेती सहित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को समूह के सदस्य भलीभांति अंजाम दे रहे हैं। जिले के कुरूद विकासखण्ड के गौठानों में आजीविकामूलक गतिविधियों की सफलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्पादन कार्य के लागत व्यय को अलग करने के बाद लगभग लाखों रूपए की अतिरिक्त आय इन समूहों को हुई है, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।

साकार होती सुराजी गांव योजना‘ की परिकल्पना

कृषक परिवार से जुड़े छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जमीनी हकीकत पर केन्द्रित ‘सुराजी गांव योजना‘ की परिकल्पना की है। उनके कुशल मार्गदर्शन में इस योजना पर तेजी से अमल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देशन में किसानों से धान खरीदी, उनकी कर्जमाफी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना जैसी अभिनव योजनाओं से प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। जल संरक्षण, पशु संवर्धन, मृदा स्वास्थ्य एवं पोषण प्रबंधन की कार्यवाही को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परम्परा से जोड़ा गया है। आम जन के सहयोग से योजना को सफल करने सुराजी गांव योजना के माध्यम से नरवा, गरूवा, घुरुवा, बाड़ी संरक्षण एवं संवर्धन का अभियान प्रारंभ किया है। सांस्कृतिक परंपरा से परिपूर्ण इस कार्यक्रम को सरकार ने अपनाते हुए इसको एक अभियान के रूप में लिया है।

ई-गवर्नेंस अवार्ड 2022

दिल्ली टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी नई दिल्ली के डॉ. बीआर अम्बेडकर सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना को ई-गवर्नेंस अवार्ड 2022 से नवाजा गया है। यह पुरस्कार कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया यानी स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप ऑन ई-गवर्नेंस द्वारा दिया जाता है। गोधन न्याय योजना को राज्य और प्रोजेक्ट केटेगरी में चयनित किया गया है। उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना को पूर्व में स्कॉच गोल्ड अवार्ड और राष्ट्रीय स्तर पर एलेट्स इनोवेशन अवार्ड भी मिल चुका है।

अब तक 538 करोड़ 89 लाख रूपए का भुगतान

मुख्यमंत्री ने गोधन योजना के हितग्राहियों के खाते में जून के पहले हफ्ते में ऑनलाईन 21.31 करोड़ रूपए की राशि अंतरित की। इस राशि में 16 मई से 31 मई तक गौठानों में क्रय किए गए गोबर के एवज में ग्रामीण पशुपालकों 4.91 करोड़ रूपए तथा गौठान समितियों को 8.98 करोड़ एवं स्व-सहायता समूहों को 6.29 करोड़ रूपए की लाभांश राशि तथा गौठान समितियों ने अध्यक्षों और सदस्यों के मानदेय की 1.13 करोड़ रुपए की राशि शामिल है। गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 538 करोड़ 89 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। इसमें से योजना के प्रारंभ होने के बाद से अब तक गोबर विक्रेताओं को 237.28 करोड़ रूपए तथा स्व- सहायता समूहों एवं गौठान समितियों को 223.60 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्षों और सदस्यों को मिलाकर समिति के कुल 21 हजार 360 सदस्यों की मानदेय की 1.13 करोड़ रुपए की राशि जारी की। स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्ष को 750 रुपए और अशासकीय सदस्यों को 500 रुपए का मानदेय दिया जा रहा है।

10 हजार 235 गौठानों का निर्माण पूरा

प्रदेश में 10 हजार 409 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, इनमें से 98 प्रतिशत, 10 हजार 235 गौठानों का निर्माण पूरा हो गया है। 4 हजार 584 गौठान ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले 15 दिनों में 30 क्विंटल या उससे अधिक गोबर की खरीदी की है। इससे पूर्व के पखवाड़े की तुलना में इतनी अधिक मात्रा में गोबर खरीदने वाले गौठानों की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार पिछले वर्ष 16 से 31 मई 2022 की तुलना में इस वर्ष इसी अवधि में गोबर खरीदी में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रदेश के 05 हजार 911 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। इन गौठानों द्वारा अब तक गोबर खरीदी के एवज में कुल 53 करोड़ 80 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। आज गोबर खरीदी के एवज में जारी की गई 04 करोड़ 91 लाख रुपए की राशि में से 03 करोड़ 05 लाख रुपए का भुगतान स्वावलंबी गौठानों द्वारा तथा विभाग द्वारा 01 करोड़ 86 लाख रुपए का भुगतान किया गया है।

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