Balod district : बालोद जिले को जानिए : बालोद जिले का इतिहास और सामान्य परिचय

Update: 2023-02-28 06:38 GMT

Full View

NPG DESK            

बालोद जिला छत्तीसगढ़ के आंतरिक दक्षिणी भाग में स्थित है। तान्दुला नदी के तट पर बसा यह जिला 1 जनवरी 2012 से स्वतंत्र अस्तित्व में आया। बालोद वन, जल एवं खनिज संसाधन से सम्पन्न है। साथ ही अच्छा कृषि उत्पादन भी प्राप्त करता है। जिले के तान्दुला, खरखरा एवं गोंदली डैम सिंचाई के प्रमुख स्रोत हैं। जिले में 11वीं से 15वीं शताब्दी के बीच के अनेक मंदिर मिले हैं। तान्दुला जलाशय, चितवा डोंगरी गुफा, सीतादेवी मंदिर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी ने यहां के नगर दल्ली-राजहरा में 1977 में छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ का गठन किया और मजदूरों के हित में संघर्ष किया। 1946 में यहां के डौंडीलोहारा में ज़मीदार के अत्याचार के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ था। जिले में महापाषाण कालीन और लौहयुगीन साक्ष्य मिलते हैं।जिले के बारे में अन्य जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी।

इतिहास

बालोद जिले का मातृ जिला दुर्ग है। लगभग 105 वर्ष पुराने दुर्ग जिले को विभाजित कर 1 जनवरी 2012 में बनाए गए बालोद जिले की मांग वर्ष 1956 से ही हो रही थी। बताया जाता है कि क्षेत्र के नेता लाल श्याम शाह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिलकर उनके सामने यह मांग रखी थी। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद करीब 55 वर्ष बाद यह सपना पूरा हुआ और स्वतंत्र बालोद जिला अस्तित्व में आया।

प्रशासनिक जानकारी

बालोद जिले का क्षेत्रफल 3527 वर्ग किमी है। जिले का मुख्यालय बालोद है।2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 8,26,165 है। इसके अंतर्गत 6 तहसील, 5 विकासखंड, 2 नगरपालिका परिषद, 708 गांव और 421 ग्राम पंचायत हैं।

कृषि

जिला बालोद धान, चना, गन्ना एवं गेहूं जैसे उपज के लिए जाना जाता है। जिला बालोद में तान्दुला, खरखरा एवं गोंदली डैम की बदौलत सिंचाई की अच्छी सुविधा उपलब्ध है इसलिए यहाँ कृषि उत्पादन भी अच्छा है ।

बालोद आर्गेनिक खेती के लिए भी जाना जाता है।

अर्थव्यवस्था

बालोद का एक नगर दल्ली राजहरा लौह अयस्क की खदानों के लिए मशहूर है।यहाँ हेमेटाइट प्रकार का लौह अयस्क पाया जाता है। 'भिलाई इस्पात संयंत्र' के लिए 1955 से दल्ली राजहरा की खदानों से ही लौह अयस्क का उत्खनन किया जा रहा है। इसलिए माइनिंग यहां की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है।

साथ ही बालोद हथकरघा उत्पाद बनाने के लिए प्रसिद्ध है जिसमें काॅटन बेड शीट, टॉवल, रूमाल, तकिया कवर आदि शामिल हैं।

मां दंतेशवरी सहकारी शक्कर कारखाना और राइस मिलें भी जिले में हैं।

शिक्षण संस्थान

प्रमुख काॅलेज

श्री घनश्याम सिंह गुप्त शासकीय महाविद्यालय

गवर्नमेंट पालीटेक्निक काॅलेज

गवर्नमेंट एकलव्य कॉलेज

गवर्नमेंट GSGPG इंजीनियरिंग कॉलेज गवर्नमेंट शहीद कौशल यादव कॉलेज

लाइवलीहुड कॉलेज आदि

प्रमुख स्कूल

गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल

गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल

डीएवी इस्पात सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल

अरिहंत अकादमी

अग्रसेन इंटरनेशनल स्कूल

सरस्वती शिशु मंदिर

संस्कार शाला स्कूल

ड्रीम इंडिया स्कूल

श्री हरि पब्लिक स्कूल

जवाहर नवोदय विद्यालय

एकलव्य मॉडल रेजिडेंटल स्कूल

संत कबीर पब्लिक स्कूल

प्रमुख पर्यटन स्थल

तांदुला जलाशय

तांदुला जलाशय तांदुला एवं सूखा नदी पर बना हुआ हैं। 1912 में बनाए गए इस बांध से सिंचाई की सुविधा तो मिलती ही है साथ ही यहां से भिलाई स्टील प्लांट में पानी पहुंचाया जाता है। यह पर्यटन के लिए भी एक सुंदर जगह है। खास कर बरसात के दिनों मे यहां पर बहुत लोग घूमने के लिए आते हैं। बांध के पास सुआ रिसॉर्ट है जो छत्तीसगढ़ पर्यटन द्वारा संचालित है। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त के नज़ारे बहुत सुंदर नजर आते हैं।

सियादेवी मंदिर

चारों ओर सुंदर प्राकृतिक दृश्यावली के बीच स्थित सियादेवी मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां एक छोटा सा झरना और सियादेवी जलाशय भी है। यहां माता सीता की बहुत सुंदर प्रतिमा है। कहा जाता है कि श्री राम वनवास काल के दौरान पत्नी सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ यहां आए थे।

चितवा डोंगरी गुफा

चितवा डोंगरी बालोद शहर का एक सुंदर पर्यटन स्थल है। एक प्राकृतिक गुफा के भीतर यहां मंदिर है। गुफा में प्राचीन काल मे उकेरे गए शैलचित्र हैं। यहां से आपको गोंदली जलाशय का बहुत सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। चारों ओर हरियाली से परिपूर्ण यह एक सुंदर स्थल है।

गंगा मैया मंदिर

यह मंदिर बालोद-दुर्ग रोड पर झलमला में स्थित है| बताया जाता है कि मूल रूप से, गंगा मैया मंदिर का निर्माण एक स्थानीय मछुआरे द्वारा एक छोटी सी झोपड़ी के रूप में किया गया था। बाद में कई भक्तों ने मिलकर इसे विशाल स्वरूप में विकसित किया।

कपिलेश्वर मंदिर समूह

कपिलेश्वर मंदिर समूह बालोद शहर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां 11 वीं से 15 वीं शताब्दी के बीच पत्थर से बने 7 मंदिर हैं जो नाग वंश के शासकों द्वारा बनाए गए थे। कपिलेश्वर शिव मंदिर के गर्भगृह मे शिवलिंग स्थापित हैं। यहां गणेश जी, दुर्गा देवी, राम- जानकी,राधे-कृष्ण, हनुमान मंदिर आदि हैं।

कैसे पहुँचे

प्लेन से

बालोद पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा विवेकानंद हवाई अड्डा रायपुर है।

ट्रेन से

बालोद रेलवे स्टेशन एक तरफ दुर्ग जंक्शन से और एक तरफ दल्ली राजहरा से जुड़ा हुआ है। निकटवर्ती बड़ा स्टेशन दुर्ग में है। अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत बालोद और दल्ली-राजहरा स्टेशनों को विकसित किया जाएगा।

सड़क मार्ग से

राष्ट्रीय राजमार्ग NH 930 यहां से होकर गुजरता है। बालोद दुर्ग, धमतरी, दल्ली राजहरा और राजनांदगांव आदि से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

Tags:    

Similar News