किसानों की किस्मत बदलती छत्तीसगढ़ सरकार, 10 महीने में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किसानों के कल्याण के लिए कई बड़े फैसले लिए

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार प्रदेश के किसानों के चेहरे पर खुशी लाने कई किसान कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। इससे किसानों में बड़ी राहत है।

Update: 2024-10-14 12:45 GMT

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में किसान हितैषी निर्णयों से आर्थिक लाभ मिल रहा है, जिससे किसानों को खेती-किसानी करने में आसानी हो रही हैं। प्रदेश के किसान खुशहाल हो रहें हैं। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और प्रदेश में धान की अच्छी फसल होती है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों से धान खरीदी की जाती है। खरीफ वर्ष 2023-24 में समर्थन मूल्य पर 24 लाख 72 हजार किसानों से 144.92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई है। बालोद जिले के अधिकतर किसान प्रमुख रूप से कृषि कार्य करते हैं, उनके आर्थिक जीवन का आधार कृषि है। किसान प्रमुख रूप से धान की खेती करते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन किसानों की खुशहाली का नया दौर शुरू हुआ है। बालोद विकासखण्ड के ग्राम कोहंगाटोला के किसान डोमन लाल साहू ने बताया कि वे लगभग 05 एकड़ में धान की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के शासन में विगत खरीफ वर्ष का धान उसने 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से विक्रय किया जिसका उन्हें 3100 रूपये की दर से राशि प्राप्त हुआ है इसके साथ ही उसे 02 साल का बकाया बोनस भी प्राप्त हुआ है। उसने इन पैसों का उपयोग करके अपने बनाये हुए पक्का आवास के कर्ज को पूरी तरह चुकाया और बचे हुए पैसों को अपने बच्चों की शादी के लिए जमा किया है।

उसने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के किसान हितैषी योजना की सराहना करते हुए अपने जैसे किसानों के लिए अत्यंत मददगार बताया है। छत्तीसगढ़ में किसानों की खुशहाली का एक नया दौर आ गया है। यह खुशहाली का दौर आया है मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में किसान हितैषी योजनाओं एवं निर्णयों के बेहतर क्रियान्वयन से, जिसका परिणाम है कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है और वे खुशहाल हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में प्रमुख रूप से कृषि कार्य ही लोगों के आर्थिक जीवन का आधार है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में संचालित हो रहे किसान हितैषी योजनाओं से बालोद जिले के किसान लाभान्वित हो रहे हैं और अपनी आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर रहे हैं।

विश्वास, विकास और बदलाव की गारंटी बनी साय सरकार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी छत्तीसगढ़ की जनता के लिए विश्वास, विकास और बदलाव की गारंटी बन चुकी है। छत्तीसगढ़ सरकार की किसान कल्याण की नीतियों से खेती में किसानों का मुनाफा बढ़ा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में कई अहम निर्णय लिए गए हैं, जिनसे किसान परिवार अधिक सशक्त और फसल उगाने से लेकर उसे बेचे जाने तक की प्रक्रिया बेहद आसान हुई है। सरकार के परिवर्तनकारी फैसलों से छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र ऐसा राज्य बन गया है, जहां किसानों को उनके धान का उच्चतम मूल्य मिल रहा है।

कृषक उन्नति योजना के जरिए छत्तीसगढ़ के किसानों को 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीद की गारंटी दी जा रही है। इस फैसले से किसानों में उत्साह दिख रहा है। किसानों से अपना वादा निभाते हुए छत्तीसगढ़ में की विष्णु देव साय की सरकार ने 25 दिसंबर 2023 को सुशासन दिवस के अवसर पर 13 लाख किसानों के बैंक खातों में पिछले दो वर्ष का लंबित धान बोनस का 3,716 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

किसानों को मिल रहे प्रोत्साहन का ही परिणाम है कि वर्ष 2023-24 में 24.75 लाख किसानों से समर्थन मूल्य पर 144.92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया, जिसके एवज में उन्हें 31,913 करोड़ रुपये का भुगतान कियागया। 12 जनवरी, 2024 को धान के मूल्य की अंतर राशि के रूप में 24.75 लाख किसानों को 13,320 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान भी किया गया।

किसान हित में बदला कृषि उपज मंडी अधिनियम

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन करने का निर्णय भी लिया गया, जिसके लागू होने से अब अन्य प्रदेश के मंडी बोर्ड अथवा समिति के एकल पंजीयन अथवा अनुज्ञप्तिधारी, व्यापारी एवं प्रसंस्करणकर्ता भारत सरकार द्वारा संचालित ई-नाम पोर्टल के माध्यम से अधिसूचित कृषि उपज की खरीदी-बिक्री बिना पंजीयन के कर सकेंगे, इससे छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों और विक्रेताओं को अधिकतम मूल्य मिल सकेगा। छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन के अनुसार मंडी फीस के स्थान पर अब मंडी फीस तथा कृषक कल्याण शुल्क शब्द जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही कृषक कल्याणकारी गतिविधियों के लिए मंडी बोर्ड अपनी वार्षिक आय की 10 प्रतिशत राशि छत्तीसगढ़ राज्य कृषक कल्याण निधि में जमा करेगा। खेतों में काम करने वाले मजदूरों की समस्याओं को दूर करते हुए छत्तीसगढ़ की सरकार द्वारा दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना संचालित करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें भूमिहीन कृषि मजदूरों को सालाना 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जायेगी, इस योजना के लिए सरकार ने वर्ष 2024-2025 के बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, इसके साथ ही सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद, बीजों का वितरण भी समय के भीतर ही हो सके।

61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्में जारी

देश में कम जमीन में अधिक पैदावार लेने की पहल को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्में जारी की हैं। इनमें चावल की नौ, गन्ना एवं तिलहन की सात-सात एवं बागवानी फसलों की 40 किस्में शामिल हैं। सभी किस्में पोषणयुक्त हैं, जिन्हें जलवायु एवं क्षेत्र के अनुकूल विकसित किया गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में इन पर लंबे समय से काम किया जा रहा था। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों एवं वैज्ञानिकों से प्राकृतिक खेती की जरूरतों, लाभों एवं जैविक खाद्यान्नों की बढ़ती मांगों पर विमर्श किया। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि कृषि विज्ञान केंद्रों को प्रत्येक महीने विकसित की जा रही नई किस्मों के लाभ के बारे किसानों को बताया जाना चाहिए, ताकि खेती की लागत में कमी आ सके। सरकार का जोर विज्ञान को खेतों तक पहुंचाने पर है।

खेत तक पहुंच रहे शोध के नतीजे

शोध के निष्कर्षों को खेतों तक पहुंचाने के प्रयत्न किए जा रहे हैं। उन्नत बीजों से खेती करने पर किसानों को अधिक लाभ होगा, क्योंकि खेती की लागत कम होगी और पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। प्राकृतिक खेती के साथ-साथ जैविक खेती के प्रति किसानों के बढ़ते विश्वास की वजह से अब किसानों की तकदीर बदल रही है। लोगों ने पोषणयुक्त अनाज होने के चलते जैविक खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। इससे मांग में वृद्धि हो रही है। मोटे अनाज की ओर झुकाव इसका उदाहरण है। केंद्र सरकार का मानना है कि कम लागत में अधिक उपज के लिए उन्नत बीज चाहिए।

बागवानी फसलों की 27 नई किस्में

61 फसलों की 109 नई किस्में जारी की गई हैं, उनमें 34 खेत की फसलें और 27 बागवानी फसलें शामिल हैं। खेत की फसलों में बाजरा, चारा फसलें, तिलहन, दलहन, गन्ना, कपास, फाइबर समेत विभिन्न अनाज के उन्नत बीज जारी किए। बागवानी में आम, अनार, अमरूद, बेल जैसे फलों के साथ सब्जियों में टमाटर, लौकी आदि के साथ कंद, मसालों, फूलों एवं औषधीय पौधों की विभिन्न किस्में जारी की गईं।

अनाज में चावल, गेहूं, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, छीना, सांबा आदि। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नई किस्मों से प्रतिकूल मौसम में भी अच्छी पैदावार मिल सकती है।

किसानों कल्याण के लिए पूरी तत्परता से कामः साय

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण धरती गर्म हो रही है। ऐसे में हमें वैसे बीज की जरूरत है, जो जलवायु के अनुकूल हों, अधिक पैदावार दे सकें और जिसकी खेती में कीटनाशकों का प्रयोग कम हो। नई किस्मों को वैज्ञानिकों ने काफी अनुसंधान के बाद जलवायु और मिट्टी के अनुकूल तैयार किया है। इनमें धान की ऐसी किस्म भी है, जिसकी खेती में 20 प्रतिशत तक कम पानी लगेगा। कीटों का प्रकोप भी कम होगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा कृषि और किसानों के कल्याण के लिए पूरी तत्परता से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि कृषि वैज्ञानिकों ने धान की ऐसी किस्में तैयार की है, जिनके उत्पाद में 20 प्रतिशत कम पानी लगेगा। इसके अलावा दालों में अरहर और चने की 2-2, मसूर की 3 उन्नत किस्में किसानों को खेती के लिए उपलब्ध होंगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे कृषि के क्षेत्र में अभिनव एवं क्रांतिकारी कदम बताया है।

ओला पीड़ित किसानों को 9 लाख का मुआवजा

राज्य शासन द्वारा किसानों को खेती-किसानी में प्राकृतिक रूप से 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। इस कड़ी में बिलासपुर जिले के बेलगहना तहसील के 4 गावों के 164 ओला पीड़ित किसानों को 9 लाख रुपए की मुआवजा राशि के चेक का वितरण किया गया है। कलेक्टर श्री अवनीश शरण के निर्देश पर एसडीएम युगल किशोर उर्वशा ने कोनचरा में आयोजित कार्यक्रम में प्रभावित किसानों को मुआवजा राशि के चेक वितरित किए।

शेष किसानों को आरटीजीएस के जरिए राशि बैंक खातों में जमा करा दी गई। उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत प्रति हेक्टेयर नुकसान के लिए 8500 रुपए की मुआवजा दी जाती है। 33 प्रतिशत अथवा इससे अधिक नुकसान पर मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। बेलगहना के ग्राम पहांदा, कोनचरा, सुखेना और जरगा के किसानों का रबी धान की फसल को ओला वृष्टि से नुकसान पहुंचा था। उन्होंने जनदर्शन में कलेक्टर को आवेदन देकर मुआवजा की मांग की थी।

कलेक्टर ने टीएल में रखकर इसकी प्रगति की समीक्षा की। राजस्व निरीक्षक और पटवारियों को तेजी से सर्वे कर प्रकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। लाभान्वित किसानों में पहांदा के 116, कोनचरा के 33, सूखेना के 11 और जरगा के 4 किसान शामिल हैं।

Tags:    

Similar News