गर्मी का असर: 7000 मेगावॉट पहुंची बिजली की डिमांड, पीक लोड अवर में 800 मेगावाट बिजली सेंट्रल पुल से पड़ रही खरीदनी

छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी पड़ रही है। पूरे प्रदेश में बिलासपुर सबसे ज्यादा गर्म है। बीते वर्ष मई की तुलना में मौजूदा दौर में 638 मेगावाट बिजली की खपत ज्यादा है। बीते वर्ष मई महीने में बिजली की खपत 6,368 मेगावॉट के करीब थी। वर्तमान में यह बढ़कर 7,006 मेगावाट हो गया है। लिहाजा एक साल में तकरीबन 10 प्रतिशत मांग बढ़ गई है। पीक लाेड अवर में मांग और ज्यादा बढ़ जा रही है। इसे पूरा करने के लिए राज्य सरकार को केंद्रीय पुल से महंगे दाम पर 800 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ रही है।

Update: 2025-04-27 07:57 GMT
गर्मी का असर: 7000 मेगावॉट पहुंची बिजली की डिमांड, पीक लोड अवर में 800 मेगावाट बिजली सेंट्रल पुल से पड़ रही खरीदनी
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बिलासपुर। समूचा छत्तीसगढ़ गर्मी की चपेट में है। अप्रैल महीने के शुरुआत से ही भीषण गर्मी पड़नी शुरू हो गई है। इसका सबसे ज्यादा असर बिजली कंपनी को झेलनी पड़ रही है। डिमांड और जनरेशन के बीच भारी अंतर आना शुरू हो गया है।बीते वर्ष मई के महीने में अधिकतम डिमांड 6,368 मेगावॉट पहुंची थी। इस साल एक महीने पहलेअप्रैल में ही 10 प्रतिशत बढ़कर 7,006 मेगावाट तक डिमांड पहुंच गई। पीक लोड अवर में यह आंकड़ा और भी बढ़ जा रहा है। डिमांड और जनरेशन के बीच बढ़ते अंतर का असर फ्यूजकाल सेंटर में बैठे कर्मचारियों पर भी हो रहा है। सेंट्रल काल सेंटर में प्रदेश के 65 लाख उपभोक्ताओं में से 1 लाख 56 हजार बिजली गुल होने को लेकर शिकायतें दर्ज कराई है।

भीषण गर्मी के दौर में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी ने किसानों, व्यवसायियों और उद्योगपतियों के अलावा आम उपभोक्ताओं को सुविधा मुहैया कराने के लिए पॉवर एक्सचेंज और बैंकिंग के साथ ही एचपीडीएएम (High Prices Day Ahed Market) के जरिये मंहगी दरों पर बिजली खरीदकर आपूर्ति की जा रही है।

0 पावर जनरेशन के बाद ग्रिड में डालते हैं बिजली

पावर जनरेशन कंपनी द्वारा वन नेशन, वन ग्रिड के आधार पर देशभर के सभी विद्युत घरों की उत्पादित बिजली ग्रिड में डाली जाती है, उसे राज्य आवश्यकतानुसार खरीदी कर अपने राज्य में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था करते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक दिन पहले राज्यों को अपनी डिमांड बतानी पड़ती है। डिमांड के अनुसार हर 15 मिनट के स्लैब में बिजली की दरें जारी होती हैं, जिस राज्य की दर अधिक रहती है, उसे विद्युत उत्पादक कंपनियां बिजली बेचती हैं।

0 दिन में कम और रात में बढ़ जाती है डिमांग

छत्तीसगढ़ में बिजली की औसत मांग दिन में 5,120 मेगावॉट रहती है। पीक लोड ऑवर (शाम 6 बजे से रात तक) में यह मांग 6,500 से 7,000 मेगावॉट से अधिक पहुंच जा रही है। डिमांड और जनरेशन के बीच अंतर को पूरा करने के लिए तकरीबन 800 मेगावॉट बिजली HDPM के जरिये ली जा रही है। 14.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जा रही है। जब देश के अन्य राज्यों की मांग खुलती है तब प्रति यूनिट बिजली की दर भी बढ़ जाती है।

0 डिमांड पूरी करने ऐसे कर रहे मैनेज

प्रतिदिन एक अलग टीम प्रदेश में संभावित डिमांड और जनरेशन के बीच तालमेल बैठाते हुए पॉवर परचेज करती है। सामान्य तौर पर राज्य में उत्पादित बिजली की दर 4 से 8 रूपए प्रति यूनिट तक रहती है। पीक लोड अवर में बिजली कंपनी चार गुना अधिक दाम पर बिजली खरीद रही है।

0 छत्तीसगढ़ के पावर प्लांटों से मिल रही इतनी बिजली, एक्सचेंज आफर में दे रहे बिजली

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की क्षमता 2978.7 मेगावॉट है। राज्य सरकार से अनुबंध के आधार पर सेंट्रल पुल से 3,380 मेगावॉट बिजली मिलती है। राज्य में स्थापित सोलर संयंत्र से लगभग 700 मेगावॉट बिजली मिलती है। प्रदेश में दिन के समय मांग की तुलना में अधिक बिजली रहने पर छत्तीसगढ़ दूसरे राज्यों को बिजली देता है। दिन के समय बिजली की अधिकता रहने पर अभी हिमाचल प्रदेश को 250 मेगावॉट बैंकिंग के जरिये बिजली आपूर्ति की जा रही है। यह बिजली हिमाचल प्रदेश जुलाई, अगस्त, सितंबर में लौटाएगा। इसी तरह पंजाब और दिल्ली को पहले 50-50 मेगावॉट बिजली दी गई थी, जिसे अभी रात के समय दोनों राज्य लौटा रहे हैं।

0 बढ़ाई गई सब स्टेशनों की संख्या

बीते एक साल में 33/11 केवी के 56 नए उपकेंद्र बनाए गए हैं। 30 उपकेंद्रों में अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफॉर्मर स्थापित किये गए हैं तथा 50 उपकेंद्रों की क्षमता में वृद्धि की गई है। इसके साथ ही घरेलू बिजली आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए 11/0.4 केवी क्षमता के 15 हजार 198 नए ट्रांसफॉर्मर लगाए गए हैं। प्रदेश में 33 केवी, 11 केवी तथा निम्नदाब लाइनों की कुल लंबाई 3,98,559 सर्किट किलोमीटर है।

0 ऐसे कर रहे बिजली आपूर्ति

प्रदेश में पैदा होने वाली बिजली को एक से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए अति उच्चदाब टॉवर लाइनों तथा उपकेेंद्रों की स्थापना छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा की जाती है। जिसके कारण उच्चदाब उपकेंद्रों की कुल संख्या 132 से बढ़कर 135, उच्चदाब ट्रांसफॉर्मरों की संख्या 335 से बढ़कर 362 हो गई है। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2023 में ट्रांसफॉर्मरों की कुल क्षमता 24,227 एमवीए थी वह बढ़कर 26,475 एमवीए हो गई है। इसी तरह ट्रांसमिशन लाइनों की लंबाई जो दिसंबर 2023 में 13,934 थी वह बढ़कर 14,462 सर्किट किलोमीटर हो गई है।

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