CG Teacher News: एक झटके में भर जाएंगे सरगुजा और बस्तर के एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन स्कूल...सरकार को सलाह

CG Teacher News: प्रदेश में सरगुजा और बस्तर में शिक्षा विभाग की हालत खराब है। आलम यह है कि इन सुदूर इलाकों के बच्चे बुनियादी शिक्षा तक के लिए तरस रहे हैं।

Update: 2024-09-07 05:45 GMT

CG Teacher News: रायपुर। प्रदेश में सरगुजा और बस्तर में शिक्षा विभाग की हालत खराब है। आलम यह है कि इन सुदूर इलाकों के बच्चे बुनियादी शिक्षा तक के लिए तरस रहे हैं। क्योंकि यहां शिक्षक नहीं है सैकड़ो की संख्या में ऐसे स्कूल हैं जो या तो एकल शिक्षकीय है या शिक्षकविहीन है। इन स्कूलों को इस हालात तक पहुंचाने के लिए विभाग के अधिकारी सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। जिन्होंने सिर्फ पैसे को प्राथमिकता दी और जब अपनी झोली भरने का वक्त आया तो अपने ही बनाए नियम कायदों को तोड़ते हुए शिक्षकों की पोस्टिंग एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन स्कूलों में करने के बजाय उन स्कूलों में कर दी जिन स्कूलों में पहले से पर्याप्त मात्रा में शिक्षक मौजूद थे।

स्वाभाविक है ऐसा उन्होंने सेवा भाव में नहीं बल्कि अपनी जेब भरने के लिए किया और इसके लिए अपने ही बनाए नियमों को तोड़ने में परहेज भी नहीं किया। युक्तियुक्तकरण की बात जब सामने आई तब भी शिक्षक नेताओं ने यही बात कही कि अधिकारियों की कर्मों की सजा पुराने शिक्षक क्यों भुगते। यह बात 100 परसेंट सही भी है क्योंकि अधिकारियों ने युक्तियुक्तकरण के नियम में नई भर्ती में चयनित शिक्षकों और अतिथि शिक्षकों का खास ध्यान रखा था और नई भर्ती के शिक्षकों का परीक्षा अवधि समाप्त न होने और अतिथि शिक्षकों के लिए नियम होने का हवाला देकर उनकी जगह पुराने शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण की जद में लाया जा रहा था। जबकि कायदे से नए शिक्षकों की भर्ती उन स्कूलों में होनी थी जहां शिक्षक नहीं थे और यह उनके भर्ती निर्देश में भी साफ लिखा हुआ था।

विभाग के पास सुनहरा मौका...

सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग को एक बार फिर सुनहरा मौका मिलने जा रहा है। इससे वह पिछली गलतियों को सुधार ले तो बस्तर और सरगुजा के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति आसानी से हो जाएगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के डिसीजन के बाद अब यह तय हो गया है कि सरकार इ.मक डिग्रीधारी शिक्षकों को मजबूरन नौकरी से निकलेगी और उसकी जगह कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए डीएड डिग्री धारी शिक्षकों को नियुक्ति देगी। सरकार के पास यही पर मौका है कि वह डीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को उन स्कूलों में पदस्थ करें जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और जो एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने अपने डिसीजन में केवल बीएड डिग्री धारी शिक्षकों को नौकरी से हटकर डीएड डिग्री धारी शिक्षकों को नौकरी पर रखने का आदेश दिया है।

कोई भी शिक्षक जगह के लिए दावा नहीं कर सकता और यदि नए शिक्षक इस विषय को लेकर न्यायालय जाते हैं तो एक तो उनके नौकरी में देरी होगी और दूसरा न्यायालय कभी भी ऐसे मामलों में शिक्षकों को उनके मनपसंद स्कूलों में पोस्टिंग का विकल्प नहीं देगा। सीधी सी बात है कि इस बार गेंद सरकार और विभाग के पाले में है अगर सरकार और विभाग यह तय कर ले कि हमें एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन स्कूलों को ईमानदारी से भरना है तो इस मिल रहे अवसर से यह आसानी से हो जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा सचिव और डीपीआई से एक सख्त निर्देश भी जारी होना चाहिए की यदि एक भी प्रकरण ऐसा निकलकर सामने आया जिसमें एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन स्कूल भरने से पहले जिला शिक्षा अधिकारी ने अन्य स्कूलों में पदस्थापना की तो उस स्थिति में सीधे तौर पर जिला शिक्षा अधिकारी को निलंबित किया जाएगा तो सारी गड़बड़ी एक झटके में खत्म हो जाएगी क्योंकि इन शिक्षको की नियुक्ति जिला शिक्षा अधिकारी को ही करनी है और अपनी नौकरी को खतरे में डालकर ऐसा नहीं करेंगे । अब जरूरत इस बात की है कि सरकार और विभाग इस मामले को लेकर सख्त रुख अपनाए और एक बार ईमानदारी से अपने ही लिए गए निर्णय को अमलीजामा पहनाए । 

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