सीबीडीटी ने जारी की विज्ञप्ति…आईटी छापों को लेकर मीडिया को जानकारी दी-छापे में 150 करोड़ का प्रारंभिक आँकड़ा बताया मगर ब्यौरा एक का भी नहीं, शैलेष बोले, राज्य सरकार को बदनाम करने की कार्रवाई

Update: 2020-03-02 16:01 GMT

रायपुर, 2 मार्च 2020। बीते चार दिनों से प्रदेश में चल रहे आईटी छापों को लेकर सीबीडीटी ने मीडिया को प्रारंभिक जानकारी उपलब्ध कराई है। लेकिन, यह गोल-मोल ही लगता है। इसमें न तो किसी व्यक्ति का उल्लेख है और न किसके यहां क्या मिला, इसका कोई ब्यौरा है।
सीबीडीटी की प्रवक्ता और कमिश्नर सुरभी अहलूवालिया ने मीडिया को नोट जारी किया है।
“इस छापे के तीन इनपुट थे, इंटेलिजेंस, विश्वसनीय साक्ष्य और सूचना। प्रदेश में शराब और माईनिंग से काला धन आया। शैल कंपनीयां बनाई गईं और कलकत्ता की कंपनियों में निवेश भी किया गया।
सीबीडीटी का यह प्रेस नोट कहता है-
“जाँच के दौरान इलेक्ट्रॉनिक डाटा और अपराध को प्रमाणित करने वाले अभिलेख जप्त किए गए हैं, साबित होता है कि शासकीय सेवक और ‘अन्य’ को बड़ी मात्रा में हर महीने अवैध रुप से रक़म मिलती थी”
इस प्रेस नोट में बताया गया है –
“कई खाते मिले हैं जिनमें संदिग्ध ट्रांजेक्शन हुआ है.. एक खाता ऐसा भी है जिसका पता नहीं चला है.. जाँच अभी जारी है.. जो साक्ष्य मिले हैं सब पर काम जारी है.. रक़म और बड़ी संख्या में जाएगी.. बहुत से खाते लॉकर सील कर दिए गए हैं”।
कांग्रेस प्रवक्ता शैलेष नीतिन त्रिवेदी ने कहा कि राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए यह कार्रवाई की गई। लेकिन, चार दिन बाद भी केंद्रीय एजेंसियां अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई। आयकर विभाग की छत्तीसगढ़ में कई गयी छापे की कार्रवाई मोदी सरकार द्वारा पूर्ण बहुमत से आई राज्य सरकार को अस्थिर करने की एक राजनीतिक साजिश है। कार्रवाई के चार दिन बाद भी आयकर विभाग जांच के दौरान प्राप्त किये दस्तावेज और आय की पुख्ता जानकारी नहीं दे सका है, जबकि तमिलनाडु और मध्यप्रदेश में हुई कार्रवाई के बाद जब्त दस्तावेजों और अघोषित आय की जानकारी तुरंत सार्वजनिक कर दी गयी थी।
आयकर विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति एक झूठ का पुलिंदा है। विज्ञप्ति में उल्लेखित अघोषित आय, संपत्तियों की बरामदगी नहीं की गई है। छत्तीसगढ़ में कार्रवाई के दौरान विभाग को कुछ भी हाथ नहीं लगा है। यह कार्रवाई एक साल में राज्य सरकार द्वारा किये गए विकास के कार्य व राजनीतिक प्रतिक्रिया के तिलमिलाहट स्वरूप की गई है। राज्य सरकार ने केंद्र के लिए चुनौती तैयार की है, जिससे मोदी सरकार घबरा गई है, जिसका जीता जागता प्रमाण आईटी विभाग के ये छापे हैं।
केंद्र सरकार के आयकर विभाग ने विज्ञप्ति में बरामदगी का उल्लेख कर खुद को बचाने का प्रयास किया है, क्योंकि 200 से अधिक अफसरों ने चार दिन तक छत्तीसगढ़ में डेरा डाले रहा, जिन्हें आखिर में कुछ भी हाथ नहीं लगा।

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