FIR ब्रेकिंग न्यूज: छत्तीसगढ़ में सरकारी खजाने से 77 लाख की सेंधमारी में व्याख्याता समेत 2 पर केस दर्ज, NPG की खबर पर बड़ी कार्रवाई, व्याख्याता निलंबित
रायपुर/बिलासपुर। एनपीजी न्यूज के सबसे लोकप्रिय साप्ताहिक कॉलम तरकश में कल प्रकाशित 77 लाख के गबन केस में बड़ी कार्रवाई करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने ट्रेजरी से सरकारी धन का गबन करने वाले व्याख्याता और लिपिक के खिलाफ आज अपराध कायम करा दिया। रतनपुर पुलिस ने अब से कुछ देर पहले दोनों के खिलाफ गबन और धोखाधड़ी की धाराओं में केस कायम कर लिया है। उधर, डीपीआई ने आज एफआईआर से पहले व्याख्याता को सस्पेंड भी कर दिया।
बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी और बेलतरा हायर सेकेंड्री स्कूल की प्रिंसिपल आज सुबह रतनपुर थाने पहुंचे और व्याख्याता तथा लिपिक के खिलाफ अलग-अलग दो शिकायत पेश की। शिकायत के आधार पर पुलिस ने 420 के तहत एफआईआर दर्ज कर लिया है। बता दें, व्याख्याता पीएल कुर्रे और लिपिक ने ट्रेजरी के कर्मचारियों से मिलीभगत कर फर्जी बिल पर 77 लाख रुपए अपने एकाउंट में ट्रांसफर करवा लिया। इस मामले में न स्कूल शिक्षा विभाग ने कोई कार्रवाई की और न ट्रेजरी ने। रायपुर से जांच के लिए ट्रेजरी की टीम बिलासपुर गई और लीपापोती करके वापिस आ गई। स्कूल शिक्षा विभाग ने भी कार्रवाई के नाम पर डीईओ ने संचालनालय को पत्र भेजा और संचालनालय के अपर संचालक ने नोटिस भेजकर जवाब मांगा। उसके बाद सब भूल गए। डीईओ ने प्रारंभ में स्कूल के बाबू को सस्पेंड किया मगर बाद में उसे फिर बहाल कर दिया गया।
तरकश में इस खबर को प्रमुखता से उठाया गया कि किस तरह सरकारी पैसे के गबन को ट्रेजरी और स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर कौड़ी के मोल नही समझ रहे हैं। दोनों विभागों के अधिकारियों ने इस मामले को दबाने मे चोर-चोर मौसेरे भाई का रोल निभाया। तरकश में कल खबर प्रकाशित होने के बाद सिस्टम हरकत में आया। सूत्रों का कहना है, डीपीआई ने बिलासपुर के डीईओ को कल फोन कर अविलंब इस मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने कहा। इसके बाद कल से ही विभाग में हड़कंप मच गया था। आज सुबह डीईओ और प्रिंसिपल रतनपुर थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई।
पूरा मामला यह है की शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बेलतरा में पदस्थ व्याख्याता पुन्नीलाल कुर्रे के बैंक खाते में 77 लाख से भी अधिक की राशि अतिरिक्त के रूप में भुगतान की गई थी और यह राशि महज 11 माह के भीतर 22 बार अलग-अलग ट्रांसफर करके भेजी गई थी, तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य बीएल मरावी, व्याख्याता पुन्नीलाल कुर्रे, लिपिक कैलाश चंद्र सूर्यवंशी यह खेल खेलते रहे और ट्रेजरी के कर्मचारी इसमें उनका खुला साथ देते रहे। यही नहीं, नियमित प्राचार्य एनपी राठौड़ ने जब कार्यभार ग्रहण कर लिया तब भी उन्हे इस पूरे मामले की भनक नहीं लगी, इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार का आलम यह था कि महज 100-200 रुपए की गड़बड़ी के लिए बिल लौटा देने वाले ट्रेजरी कार्यालय की तरफ से लिपिक को इतना संरक्षण प्राप्त था कि वह मनचाहे ढंग से बिल पास कर आता रहा एक ही महीने में दो दो तीन तीन बार बड़ी-बड़ी राशि पुन्नीलाल कुर्रे के खाते में जाती रही कभी जीपीएफ के नाम पर और कभी एरियर्स के नाम पर, लाखों का भुगतान कर्मचारी के खाते में होता रहा और ट्रेजरी वाले सोते रहे।
इस पूरे मामले का खुलासा 2022 में हुआ जब नियमित प्राचार्य एन पी राठौड़ लंबे अवकाश पर गए और जब वहां से लौटे तो प्रभारी प्राचार्य के रूप में कार्यरत पुन्नीलाल कुर्रे उन्हें प्रभार देने से बचते रहे। इसके बाद एन पी राठौड़ ने अपने प्रभार के लिए जिला शिक्षा अधिकारी से लिखित शिकायत की और काफी मशक्कत के बाद उन्हें वापिस प्रभार मिला इस पूरे घटना से नाराज एन पी राठौड़ ने दस्तावेज खंगाले तो पाया कि पुन्नीलाल कुर्रे फिर एक बार राशि आहरण करने के फिराक में थे जबकी खुद डीडीओ रहते हुए ऐसा करना नियम विरुद्ध था। इसके बाद उन्हें शक हुआ और फिर उन्होंने जांच करके इस मामले का खुलासा किया मामला सामने आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी डी के कौशिक ने लिपिक को निलंबित किया और पी एल कुर्रे पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजा लेकिन इसके बाद भी विभाग की तरफ से दोषियों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की गई , यही नहीं ट्रेजरी भी पूरे मामले में चुप्पी साधे बैठा रहा जबकि नुकसान उनकी तरफ से शासन का हुआ है । बहरहाल कल तरकश में खबर प्रकाशित होने के बाद आज एफआईआर दर्ज कराई गई है और यह FIR भी जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा दर्ज कराई गई है ।