ब्यूरोक्रेसी को न्यू ईयर गिफ्ट

Update: 2020-01-18 23:30 GMT

19 जनवरी 2020
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस हफ्ते प्रिंसिपल सिकरेट्री रेणु पिल्ले और सुब्रत साहू को प्रमोट कर दोनों को एक साथ एडिशनल चीफ सिकरेट्री बना दिया। रेणु 91 बैच और सुब्रत 92 बैच के आईएएस हैं। इस दृष्टि से रेणु 2021 में और सुब्रत 2022 में एसीएस बनते। याने रेणु एक साल और सुब्रत समय से दो साल पहले एसीएस बन गए। अभी तक प्रदेश में ऐसा कभी हुआ नहीं। दूसरे कई राज्यों में अभी 89 और 90 बैच एसीएस नहीं बन पाया है। जीएस मिश्रा को प्रिंसिपल सिकरेट्री बनाने के दौरान 2017 में बीजेपी सरकार ने जरूर 94 बैच को टाईम से सवा साल पहले प्रमोशन कर दिया था। वास्तव में, आईएएस लॉबी के लिए ये न्यू ईयर गिफ्ट ही है। जो किसी राज्य में नहीं हुआ, वह छत्तीसगढ़ में ब्यूरोक्रेसी को मिल गया। छत्तीसगढ़ में ही 88 और 89 बैच के आईपीएस डीजीपी बनने के लिए टकटकी लगाए हुए हैं। इसलिए, छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी को यह खुश होने का समय है।

अफसर का शौचालय विवाद

मध्यप्रदेश के समय यही कोई 98 या 99 का वाकया होगा। जशपुर के कलेक्टर विनोद कुमार और एसपी एसआरपी कल्लूरी में कुछ खटपट हुआ था। पुलिस ने किसी मामले में जशपुर के सीएमओ आफिस में दबिश दी थी और यह कलेक्टर को नागवार गुजर गया। कलेक्टर-एसपी का विवाद तूल पकड़ता इससे पहिले बिलासपुर के कमिश्नर मदनमोहन उपाध्याय और बिलासपुर-रीवा रेंज के आईजी एसएस बड़बड़े ने हस्तक्षेप कर मामले को खतम करा दिया था। और, अब सिस्टम का हाल देखिए कि कवर्धा के एसडीएम और बिलासपुर के कानन पेंडारी चिड़ियाघर के एसडीओ के बीच शौचालय विवाद चीफ सिकरेट्री तक आ पहुंचा है। बताते हैं, एसडीएम बिना किसी सूचना के चिड़ियाघर पहुंचे और एसडीओ के चेम्बर के शौचालय का इस्तेमाल कर लिया। एसडीओ ने इस पर आपत्ति की तो एसडीएम ने बिलासपुर के एसडीएम को खबर कर दी। एसडीएम ने मौके पर तहसीलदार भेज दिया। तहसीलदार ने पुलिस बुलाकर एसडीओ फॉरेस्ट को तीन घंटे थाने में बिठा दिया। इस घटना के बाद राप्रसे और रावसे के अफसर आमने-सामने हो गए हैं। पूरा मामला चूकि एसडीएम के वीआईपी ट्रिटमेंट से जुड़ा था इसलिए सरकार कवर्धा एसडीएम पर कार्रवाई करने जा रही थी कि एक मंत्री बीच में आ गए। इधर, डिप्टी कलेक्टर्स लामबंद होकर सीएस से मिलने रायपुर आ पहुंचे….बोले, वन अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। ये तो गजब हो गया। चीफ सिकरेट्री के पास इतने काम होते हैं कि उसे सांस लेने की फुरसत नहीं होती। वो अब एसडीएम साब के शौचालय का मामला सुलझाएंगे। पता नहीं तेज-तर्राट और कड़क चीफ सिकरेट्री को नेतागिरी करने आए डिप्टी कलेक्टरों पर गुस्सा आया या नहीं। बहरहाल, जो काम कमिश्नर, कलेक्टर को करना चाहिए, वो अगर चीफ सिकरेट्री करने लगेगा तो फिर सिस्टम का मतलब क्या है। ये बेहद छोटी बात थी…इसे कमिश्नर, कलेक्टर और सीएफ लेवल पर सुलझाई जा सकती थी। सरकार को इसे संज्ञान में लेना चाहिए।

सीएम बोले, तीसरा कहां है

भले ही जिलों के अफसरों में समन्वय नहीं हो मगर राजधानी में चीफ सिकरेट्री, डीजीपी और पीसीसीएफ हर कार्यक्रम में साथ नजर आते हैं। खासकर जब से आरपी मंडल सीएस बनें हैं, उनका निर्देश है कि कोई भी सरकारी कार्यक्रम हो, मंच पर तीनों के लिए कुर्सी लगाई जाए। साथ में यह भी कि अगर पुलिस मुख्यालय में कोई मीटिंग होगी तो डीजीपी और वन मुख्यालय में होगी तो पीसीसीएफ बीच में बैठेगा और बाकी दोनों उसके अगल-बगल। विधानसभा के अफसर दीघा में भी डीजीपी अब सीएस के बगल में बैठने लगे हैं। वरना, विश्वरजंन के रिटायर होने के बाद डीजीपी को विधानसभा में दूसरी या तीसरी पंक्ति में ही जगह मिल पाती थी। यहां तक कि सीएस सीएम को न्यू ईयर विश करने सीएम हाउस गए तो डीजीपी और पीसीसीएफ उनके साथ थे। अब तीनों को जब साथ नहीं देखते तो सीएम भी टोक देते हैं, बाकी किधर हैं। युवा महोत्वस में रस्सा प्रतियोगिता में जब राज्यपाल के साथ सीएस और डीजीपी रस्सा पकड़े तो सीएम बोले, तुम्हरा तीसरा कहां है। इस पर जमकर ठहाका लगा।

ब्यूरोक्रेसी से केमेस्ट्री

सरकार के एक बरस पूरे होने के बाद ब्यूरोक्रेसी की सरकार के साथ केमेस्ट्री ठीक होने लगी है। वो उनका आदमी, ये अब खतम होने लगा है। पिछली सरकार में उपेक्षित रहे अफसर जो सिर्फ इसी केटेगरी के चलते ठीक-ठाक पोस्टिंग पा गए थे, उनमें से कुछ को सरकार अब साइडलाइन करने जा रही है। क्योंकि, साल भर में उन्होंने कोई रिजल्ट दिया नहीं। सीएम भूपेश बघेल दो बार आईएएस एसोसियेशन के डिनर में जा चुके हैं। एक बार आईपीएस एसोसियेशन के डिनर में भी। आईएफएस अफसर भी बहुत जल्द डीएफओ कांफ्रेंस प्लस डिनर का आयोजन करने जा रहा है। सीएम अफसरों के कार्यक्रम में खानापूर्ति के लिए नहीं पहुंचते। बल्कि, उनके साथ काफी समय बिताते हैं। लगभग सभी से मिलते हैं, बात करते हैं।

आईएफएस अवार्ड

राज्य वन सेवा के नौ अधिकारियों को आईएफएस अवार्ड होने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। दो-एक दिन के भीतर इसके लिए सरकार नोटिफिकेशन जारी कर देगी। आईएफएस बनने वालों में सत्यदेव शर्मा, मयंक पाण्डेय, जितेंद्र उपाध्याय, प्रभाकार खलको, अशोक पटेल, दिव्या गौतम, संजय यादव, समा फारुकी, लोकनाथ पटेल शामिल हैं।

सेनापति को उम्मीद

आईएएस केसी देव सेनापति ने निर्वाचन में एडिशनल सीईओ के रूप में ज्वाईन कर लिया है। लेकिन, बैठ अभी भी रहे हैं चिप्स में। सरकार ने उन्हें चिप्स से हटा दिया लेकिन, उनकी जगह पर किसी की अभी चिप्स में नियुक्ति नहीं की है। हो सकता है कि सेनापति को उम्मीद हो कि शायद भारत निर्वाचन आयोग से उन्हें चिप्स में एडिशनल तौर पर काम करने की अनुमति मिल जाए। लेकिन, सरकार क्या चाहती है कि ये तभी क्लियर हो पाएगा जब आईएएस की लिस्ट में किसी को चिप्स का सीईओ बनाया जाता है या नहीं। सेनापति अगर चिप्स से रिलीव नहीं होंगे तो उन्हें वेतन कहां से मिले, इसकी दिक्कत जाएगी। निर्वाचन से वेतन निकालने के लिए लास्ट पे स्लीप की जरूरत पड़ेगी। अगर चिप्स से वे रिलीव नहीं होंगे तो वहां से लास्ट पे स्लीप मिलेगा नहीं। और, चिप्स से उनका ट्रांसफर हो गया है, इसलिए वहां से उन्हें वेतन अब निकलेगा नहीं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस जिले में पुलिस ने वसूली की दुकान खोल ली है?
2. स्वच्छता में जब कांकेर जिला रैंकिंग में उपर था तो सरकार ने बेमेतरा जिले के अफसरों को पुरस्कार लेने क्यों भेज दिया?

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