महिला आफिसर से रेप के बाद टू-फिंगर टेस्ट पर बवाल, अवैज्ञानिक और पीड़ाजनक टेस्ट पर महिला आयोग की चेयरमैन ने संज्ञान लेकर एयर चीफ मार्शल को लिखा पत्र, बोलीं, इस मामले में कार्रवाई की जाए
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर 2021। एयरफोर्स की महिला आफिसर से रेप के बाद मेडिकल जांच के दौरान टू-फिंगर टेस्ट किए जाने से हड़कंप मच गया है। पीड़िता ने शिकायत की है कि इस प्रक्रिया के दौरान उसे बड़ी तकलीफ से गुजरनी पड़ी। एयरर्फोस के आरोपी फ्लाइट लेफ्टिनेंट को गिरफ्तार कर लिया गया है।
ज्ञातव्य है, महिला अफसर ने आरोप लगाया है कि उससे एयरफोर्स एडमिनिस्ट्रेटिव कॉलेज के परिसर में ही रेप किया गया था। कोयंबटूर जिले में इसे लेकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। फिलहाल आरोपी फ्लाइट लेफ्टिनेंट को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उसे खुद 25 सितंबर को कोर्ट के सामने सरेंडर किया था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया। पीड़िता अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि टू-फिंगर टेस्ट के दौरान काफी पीड़ा से गुजरना पड़ा।
सेना के अस्पताल में महिला आफिसर के साथ रेप हुआ या नहीं इसकी जांच के लिए टू-फिंगर टेस्ट किया गया। जबकि, सुप्रीम कोर्ट तक इस पर एतराज जता चुका है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने खुद ही संज्ञान लेते हुए इस घटना पर नाराजगी जताते कहा है कि एयरफोर्स के ही डॉक्टरों की ओर से टू-फिंगर टेस्ट किया जाना महिला अधिकारी की गरिमा और निजता का हनन है। महिला अफसर ने अपने ही सहकर्मी के खिलाफ यौन उत्पीड़न करने की शिकायत दर्ज कराई है।
टू-फिंगर टेस्ट मामले में महिला आयोग की चेयरमैन रेखा शर्मा ने एयर फोर्स चीफ पत्र लिख कार्रवाई करने कहा है। आयोग ने कहा कि एयरफोर्स के डॉक्टरों को गाइडलाइंस के बारे में बताना चाहिए। 2014 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी टू-फिंगर टेस्ट को अवैज्ञानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने टू-फिंगर टेस्ट को गलत करार देते हुए कहा था कि इससे किसी के साथ रेप होने या न होने की पुष्टि नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा था कि यदि कोई नियमित तौर पर संबंध बना रहा है तो फिर कैसे यह टेस्ट कारगर होगा। यही नहीं हाल ही में पाकिस्तान के लाहौर की हाईकोर्ट ने भी इस टेस्ट को असंवैधानिक करार दिया है।
क्यों है विवाद
टू-फिंगर टेस्ट रेप या सैक्स की जांच की एक मैन्युअल प्रक्रिया है। इसके तहत डॉक्टर पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर देखते हैं कि उसका कौमार्य भंग हुआ है या नहीं। यदि उंगलियां सहजता से चली जाती हैं तो माना जाता है कि वह सेक्सुअली एक्टिव थी। इससे वहां उपस्थित हायमन का पता भी लगाया जाता है। इस प्रक्रिया की तीखी आलोचना होती रही है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक लगा दी है। यह किसी पीड़िता की गरिमा के खिलाफ है। इसके अलावा यह अवैज्ञानिक भी है और जानकार मानते हैं कि इससे यह पता लगा पाना मुश्किल होता है कि रेप हुआ है या नहीं।