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घोषणा के मुताबिक शिक्षाकर्मियों को सौगात दे कांग्रेस सरकार…. पुराने सरकार के बनाए नियम को अपनी सौगात बताना गलत , भ्रामक प्रचार कर रहे हैं शिक्षा मंत्री – प्रबल प्रताप सिंह जूदेव

घोषणा के मुताबिक शिक्षाकर्मियों को सौगात दे कांग्रेस सरकार…. पुराने सरकार के बनाए नियम को अपनी सौगात बताना गलत , भ्रामक प्रचार कर रहे हैं शिक्षा मंत्री – प्रबल प्रताप सिंह जूदेव
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By NPG News

रायपुर 4 जनवरी 2020। शिक्षाकर्मियों के संविलियन को लेकर जिस प्रकार सरकार द्वारा प्रचार किया जा रहा है उससे संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों में नाराजगी तो है ही , सरकार अब भाजपा के भी निशाने पर है । कद्दावर नेता स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के सुपुत्र और जशपुर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष तथा भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने भी सरकार द्वारा शिक्षाकर्मियों के 8 वर्ष पूर्ण होने पर होने वाले सामान्य संविलियन को भी नववर्ष की सौगात बताने पर प्रश्नचिन्ह लगाया है ।

दरअसल जिस प्रकार जनमन पत्रिका में 8 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके शिक्षाकर्मियों के संविलियन को लेकर सरकार द्वारा शिक्षाकर्मियों से किए गए वादे को पूर्ण होना बताया गया है और उसके बाद 1 जनवरी को होने वाले शिक्षाकर्मियों के संविलियन को पोस्टर जारी करके शिक्षाकर्मियों को नववर्ष की सौगात बताया गया है उसने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या पिछली सरकार द्वारा तय की गई नीति के आधार पर ही शिक्षाकर्मियों का संविलियन होगा और कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 2 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके सभी शिक्षाकर्मियों के संविलियन का जो वादा किया है अब वह पूरा नहीं होगा ।

प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने भी यही सवाल पूछा है कि क्या कांग्रेस अपने घोषणा पत्र से पीछे हट रही है और भाजपा के द्वारा शिक्षाकर्मियों के संविलियन का जो निर्णय लिया गया था अब उसी निर्णय को अपनी सौगात बता रही है। उन्होंने इसे पूरी तरह गलत बताया है और कहा है कि सरकार ने शिक्षाकर्मियों से 2 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर संविलियन की बात कही थी और अब उनकी पूर्ण बहुमत की सरकार है और संविलियन होने वाले शिक्षाकर्मियों की संख्या भी बहुत कम बची है ऐसे में सरकार को अपने वादे को पूर्ण करना चाहिए न कि पिछली सरकार द्वारा किए गए संविलियन का श्रेय लेने का प्रयास। सरकार को इस प्रकार भ्रामक प्रचार प्रसार करना पूरी तरह यह दिखाता है कि उनकी मंशा शिक्षाकर्मियों के हित में निर्णय लेना नहीं है बल्कि वह पिछली सरकार के लिए गए निर्णय के श्रेय को खुद लेने में लगे हुए हैं ।

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