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6 माह की बच्ची को पिता से मिला जीवनदान, मध्यभारत में पहला ऐसा लिवर ट्रांसप्लांट रामकृष्ण केयर अस्पताल में सफलतापूर्वक किया गया…

6 माह की बच्ची को पिता से मिला जीवनदान, मध्यभारत में पहला ऐसा लिवर ट्रांसप्लांट रामकृष्ण केयर अस्पताल में सफलतापूर्वक किया गया…
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By NPG News

रायपुर 29 जुलाई 2021. जब निराशा के बादल चारों तरफ से घेर लें, तब भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए। उम्मीद की रोशनी अंधियारे को चीरती हुई ज़िन्दगी में उजाले ज़रूर लाती है. कुछ ऐसा ही okD;k हुआ रायपुर के लव सिन्हा और उनकी पत्नी सीमा सिन्हा के साथ. जब उन्हें पता चला कि उनकी बच्ची ताक्षी, जिसकी उम्र महज़ 6 माह, वजन सिर्फ 5 किलोग्राम था. एक ऐसी बीमारी से ग्रसित है जिसे बिलारी अत्रेसिआ कहते हैं. यह बीमारी बच्चों में जन्मजात होती है, इसमें पित्त की नलियां ब्लॉक होने की वजह से पीलिया बढ़ता जाता है और लिवर क्षतिग्रस्त होने लगता है.

मात्र 4-6 महीने में ही मृत्यु भी हो सकती थी. यह दंपत्ति कई अस्पतालों में गए लेकिन कहीं से भी राहत न मिली, बच्ची की हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी लेकिन पिता ने हार नहीं मानी। अंततः ये लोग बच्ची को लेकर रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल पहुंचे, जहां डॉ. अजीत मिश्रा ने परीक्षण के बाद पाया की बच्ची को बिलारी अत्रेसिआ नामक लिवर की एक गंभीर है. और बच्ची के पास सिर्फ 1 या 2 महीने का ही वक़्त है, ऐसे में लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई अन्य उपाय नहीं है. पिता ने तुरंत एक कठिन निर्णय लिया और बच्ची को अपने लिवर का एक हिस्सा देने का फैसला किया। फिर अस्पताल के डाॅयरेक्टर डाॅ. संदीप दवे के मार्गदर्शन में इस आॅपरेशन को एक मिशन का रूप दिया गया। डॉ मोहम्मद अब्दुन नईम एवं डॉ. अजीत मिश्रा की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को 8 से 9 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद सफलतापूर्वक संपन्न किया। यह ऑपरेशन मध्यभारत का पहला ऐसा ऑपरेशन है जिसमें इतनी कम उम्र की बच्ची का लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से पहले उन्हें लगा कि वो अपनी बच्ची को नहीं बचा पाएंगे किन्तु अस्पताल प्रबंधन एवं छत्तीसगढ़ सरकार के संयुक्त प्रयास एवं सहयोग से यह कार्य सफल हुआ. इसमें परिवार का कुछ भी खर्च नहीं लगा.

अस्पताल के एम. डी. डॉ. संदीप दवे जी ने बताया कि यह बीमारी छत्तीसगढ़ एवं आसपास के क्षेत्र में काफी आम बात है लेकिन जागरूकता न होने की वजह से लोग इसे समझ नहीं पाते और न ही सही ढंग से इलाज करा पाते हैं. जो लोग खर्च से डरते हैं, उन्हें ये नहीं पता कि सरकारी योजनाओं के तहत कम या न्यूनतम खर्च पर भी इलाज संभव है. उन्होंने इस दंपत्ति की भी सराहना की, क्योंकि राज्य में एक 6 माह की बच्ची को बचाने पहली बार कोई दंपत्ति आगे आया, ऐसी भावना और साहस बेटी बचाओं के सिद्धांतों पर खरी उतरती है.

इस ऑपरेशन को सफल बनाने में हाॅस्पिटल के विभिन्न विभागों की टीम का सहयोग रहा है जिसमें जनरल सर्जरी विभाग से डाॅ. विक्रम शर्मा, गैस्ट्रो विभाग से डाॅ. संदीप पांडे, डाॅ. ललित निहाल, पीडियाट्रिक विभाग से डाॅ. पवन जैन, डाॅ. राकेश सिंग, क्रिटिकल केयर विभाग से डाॅ. विशाल कुमार, डाॅ. धर्मेश, डाॅ. अभिषेक, निश्चेतना विभाग से डाॅ. शैलेन्द्र बक्शी, डाॅ. सर्वेश लाल, डाॅ. राजकुमार, डाॅ. वचन, डाॅ. युक्ताश एवं नर्सिंग विभाग व टीम का अहम योगदान रहा।
6 माह की नन्हीं ताक्षी अब पूरी तरह स्वस्थ है एवं कुछ ही दिनों में उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जायेगी। यह लिवर ट्रांसप्लांट, रायपुर के रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में सम्पन हुआ है।

विश्वस्तरीय सुख-सुविधाओं से युक्त रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल का स्टेट-ऑफ़-द-आर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर एवं एक्सपर्ट डॉक्टर्स हर प्रकार की बीमारी के इलाज करने में सक्षम है. कैंसर से लेकर ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन तक यहां के अनुभवी चिकित्सकों के पास सभी मेडिकल प्रोसीजर्स का सफल अनुभव है. अस्पताल का उद्देश्य अत्याधुनिक जांच सुविधाएं एवं विश्व- स्तरीय इलाज पद्धति को राज्य के लोगों तक पहुँचाना है, ताकि यहां के लोगों को बेहतर इलाज के लिए महानगरों की ओर न जाना पड़े. इससे उन्हें खर्च भी काफी कम लगेगा और अधिक परेशानी भी नहीं उठाना पड़ेगी।

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