Begin typing your search above and press return to search.

होटल के कमरे में लड़की संग अय्याशी करते पकड़े गये थे 3 जज…… हाईकोर्ट की जांच के बाद राज्य सरकार ने किया बर्खास्त…….लड़कियों के साथ आपत्तिजनक हालत में पुलिस ने किया था गिरफ्तार

होटल के कमरे में लड़की संग अय्याशी करते पकड़े गये थे 3 जज…… हाईकोर्ट की जांच के बाद राज्य सरकार ने किया बर्खास्त…….लड़कियों के साथ आपत्तिजनक हालत में पुलिस ने किया था गिरफ्तार
X
By NPG News

पटना 23 दिसंबर 2020। होटल के कमरे में लड़की संग अय्याशी करते पकड़ाये तीन जजों को बर्खास्त कर दिया गया है। कुछ साल पहले नेपाल के काठमांडू में तीनों जज होटल के कमरे में रंगरेली मनाते पकड़े गये थे। जिन न्यायाधीशों को बिहार सरकार ने बर्खास्त किया है उसमें समस्तीपुर के फैमिली कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश हरी निवास गुप्ता, अररिया के चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट कोमल राम और अररिया के तदर्थ तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र नाथ सिंह शामिल हैं.

बिहार राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सोमवार को जारी एक अधिसूचना के अनुसार बर्खास्त किए गए न्यायिक सेवा के अधिकारियों में हरि निवास गुप्ता, जितेंद्र नाथ सिंह और कोमल राम शामिल हैं। अधिसूचना में पटना उच्च न्यायालय द्वारा जारी एक पत्र का उद्धरण है। इसमें कहा गया है कि उनकी बर्खास्तगी 12 फरवरी 2014 से प्रभावी मानी जाएगी और वे सेवानिवृत्ति के बाद के सभी लाभों से वंचित होंगे। गुप्ता उस समय समस्तीपुर में परिवार अदालत के प्रधान न्यायाधीश थे जबकि सिंह और राम उस समय अररिया जिले में क्रमशः अतिरिक्त जिला न्यायाधीश और अतिरिक्त न्यायाधीश सह मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी थे।

पुलिस नेपाल ने विराटनगर में एक होटल में तीनों को छापेमारी के दौरान के पकड़ा था। बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया था लेकिन मामला तब सामने आया जब एक नेपाली अखबार में इसको लेकर एक खबर छपी। यह मामला प्रकाश में तब आया जब जनवरी 29, 2013 को तीनों न्यायाधीश काठमांडू के एक होटल में महिला के साथ पकड़े गए थे. उस वक्त पटना हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और जांच के निर्देश दिए थे. इसमें तीनों दोषी पाए गए थे. जांच के बाद फरवरी 12, 2014 को हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को अनुशंसा की थी कि तीनों न्यायाधीशों को सेवा से बर्खास्त किया जाए.

उस वक्त तीनों न्यायाधीशों ने सेवा से बर्खास्तगी के फैसले को चुनौती दी थी और आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ बिना किसी प्रकार की जांच के ही सेवा से बर्खास्तगी की गई थी. इसके बाद पटना हाई कोर्ट ने 5 जजों की एक समिति बनाकर फिर से इन तीन न्यायाधीशों को बर्खास्त करने का आदेश जारी किया.

इस फैसले को तीनों न्यायाधीशों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और उस समय हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. नवंबर 8, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के अपने फैसले को वापस लिया जिसके बाद बिहार सरकार ने सोमवार को इन तीनों को सेवा से बर्खास्त करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी.

Next Story