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15 शिक्षक बर्खास्त…FIR भी होगी : SDM चंद्रकांत वर्मा की जांच प्रतिवेदन पर CEO रिचा प्रकाश जारी किया आदेश… 15 साल से फर्जीवाड़ा कर नौकरी कर रहे थे ये गुरूजी….पूर्व SDM ने तीन साल तक अटकाये रखा था जांच …देखिये पूरी सूची, किन पर गिरी गाज

15 शिक्षक बर्खास्त…FIR भी होगी : SDM चंद्रकांत वर्मा की जांच प्रतिवेदन पर CEO रिचा प्रकाश जारी किया आदेश… 15 साल से फर्जीवाड़ा कर नौकरी कर रहे थे ये गुरूजी….पूर्व SDM ने तीन साल तक अटकाये रखा था जांच …देखिये पूरी सूची, किन पर गिरी गाज
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By NPG News

रायगढ़ 4 जून 2020। फर्जीवाड़ा कर नौकरी कर रहे 15 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है। इन सभी शिक्षकों के खिलाफ FIR भी दर्ज करने के आदेश दिये गये हैं। हालांकि रायगढ़ जिला पंचायत CEO ने इस बाबत पिछले महीने ही निर्देश जारी किया था, लेकिन मीडिया ये मामला आज उजागर हुआ है। सारंगढ़ SDM चंद्रकांत वर्मा की जांच रिपोर्ट के आधार पर CEO रिचा प्रकाश चौधरी ने बर्खास्तगी और FIR के आदेश जारी किये हैं। ये सभी प्राथमिक शिक्षक फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार नौकरी कर रहे थे।

दरअसल साल 2017 में कलेक्टर जनदर्शन के दौरान मुरलीधर चौहान नाम के शख्स ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार नौकरी कर रहे शिक्षकों की शिकायत की थी। शिकायत के आधार पर तत्कालीन कलेक्टर ने जांच के आदेश दिये थे। हालांकि ये मामला करीब 3 साल तक अटका रहा। कलेक्टर की तरफ से सारंगढ़ एसडीएम का उसी वक्त आदेश दिया गया था लेकिन उस वक्त के SDM इसे टालते रहे। 2019 में सारंगढ़ SDM बनने के बाद IAS चंद्रकांत वर्मा ने इस फाइल को फिर से खोला और त्वरित जांच शुरू की। हालांकि कलेक्टर जनदर्शन में कुल 27 शिक्षकों की शिकायत की गयी थी, जिनमें से 15 शिक्षक के खिलाफ ये शिकायत सही पायी गयी।

IAS चंद्रकांत वर्मा की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि कई शिक्षकों ने संवरा जाति को अनुसूचित जनजाति बताकर प्रमाण पत्र हासिल कर लिया है, जबकि जिस दौरान इन शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, उस दौरान संवरा जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं था। उसी तरह से कई शिक्षकों ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र जमा कराया था, जो जांच में बिल्कुल गलत पायी गयी।

दरअसल 2005 से 2013 के बीच इन शिक्षकों ने नियुक्ति के दौरान 6 माह के लिए वैध रहने वाले प्रोविजनल सर्टिफिकेट को जमा कराया था। जिसके आधार पर इन शिक्षकों की बरमकेला और सारंगढ़ में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी। नियम के मुताबिक सभी को छह माह के दौरान स्थायी जाति प्रमाण पत्र जमा कराना था, लेकिन इन सभी ने कोई सर्टिफिकेट जमा नहीं किया।

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