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Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी को साढ़े पांच साल की सजा, MP-MLA कोर्ट ने सुनाया फैसला, जानें पूरा मामला

Mukhtar Ansari: मुख्‍तार अंसारी (mukhtar ansari)की मुश्किलें (difficulties)थमने का नाम नहीं ले रही हैं। शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए सिविल जज (सीनियर डिविजन) उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट ने मुख्‍तार को रूंगटा परिवार को धमकाने में मुख्तार अंसारी को दोषी पाया और से पांच साल छह माह की कैद के साथ 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया।

Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी को साढ़े पांच साल की सजा, MP-MLA कोर्ट ने सुनाया फैसला, जानें पूरा मामला
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By Ragib Asim

Mukhtar Ansari: मुख्‍तार अंसारी (mukhtar ansari)की मुश्किलें (difficulties)थमने का नाम नहीं ले रही हैं। शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए सिविल जज (सीनियर डिविजन) उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट ने मुख्‍तार को रूंगटा परिवार को धमकाने में मुख्तार अंसारी को दोषी पाया और से पांच साल छह माह की कैद के साथ 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया। यह सजा सुनने के बाद बुरी तरह परेशान नज़र आ रहे मुख्‍तार अंसारी ने जज से गुहार लगानी शुरू कर दी।

अदालत ने जैसे ही सजा सुनाई मुख्‍तार अंसारी ने दोनों हाथों से माथे को पकड़ लिया और सिर झुकाकर बैठ गए। इसके बाद बाहुबली ने जज से गुहार लगाई, ‘जज साहब इतना रहम कर दीजिए कि मेरी सभी सजाएं एक साथ चलें।’ हालांकि अदालत ने जो फैसला सुनाया उसमें यही कहा है कि जेल में बिताई गई अवधि सजा की अवधि में मुख्‍तार की सजा में समायोजित की जाएगी। बता दें कि मुख्‍तार अंसारी के पुराने मामलों में अब लगातार फैसले आ रहे हैं।

पिछले 15 महीने में सात सजाएं मिल चुकी हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को वाराणसी की अदालत ने रूंगटा परिवार को धमकी देने के मामले में मुख्‍तार को सजा सुनाई। इस दौरान बाहुबली को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए जोड़ा गया था। सजा सुनाई जाने के बाद मुख्‍तार को तन्‍हाई बैरक में भेज दिया गया।

चर्चित कोयला कारोबारी और विहिप के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नंदकिशोर रूंगटा के 22 जनवरी 1997 को अपहरण के बाद उनकी पत्नी ने सीबीआई जांच के लिए आवेदन किया था, जो मंजूर कर लिया गया। इसे लेकर रूंगटा परिवार पैरवी कर रहा था।

इस बीच पांच नवंबर 1997 को मुख्तार अंसारी का धमकी भरा फोन आया। कहा कि संभल जाओ, पैरवी करना बंद कर दो। तुम लोग पुलिस में, कोर्ट में या सीबीआई में शिकायत करना बंद कर दो। नहीं तो तुम लोगों को बम से उड़ा दिया जाएगा। तुम्हारा घर बम से उड़ा दिया जाएगा। पुलिस को खबर मत करना। इसके बाद महावीर प्रसाद रूंगटा ने 13 नवंबर को तत्कालीन डीआईजी से मिलकर बचाव की गुहार लगाई। डीआईजी के आदेश पर एक दिसंबर 1997 को भेलूपुर पुलिस ने मुख्तार अंसारी पर केस दर्ज किया था। उसके बाद से कार्रवाई शुरू हुई।

उधर, शुक्रवार को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बांदा जेल में बंद बाहुबली नेता और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। कोर्ट अंसारी के बेटे उमर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपने पिता के जान को खतरा बताते हुए उत्तर प्रदेश के बाहर किसी जेल में स्थानांतरित करने की मांग की है।

यूपी सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने मऊ से कई बार विधायक रहे मुख्तार को दूसरे राज्यों की जेल में स्थानांतरण करने की मांग याचिका का विरोध किया। उन्होंने पीठ से कहा कि जरूरत पड़ने पर मुख्तार की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी जाएगी। कहा कि वह मामले में विस्तार से पक्ष रखेंगे, इसके लिए उन्हें समुचित समय दिया जाए। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल के पिता को जेल में जान का खतरा है। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 16 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

पिछली सुनवाई पर वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने पीठ को बताया था कि याचिकाकर्ता के पिता मुख्तार अंसारी भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में आरोपी थे। इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। आठ आरोपियों में से चार की पहले ही हत्या हो चुकी है। सिब्बल ने पंजाब की जेल से बांदा जेल में स्थानांतरित किए गए अंसारी की जान के लिए खतरे की आशंका जतायी। उन्होंने पीठ के समक्ष पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके भाई की 15 अप्रैल को पुलिस हिरासत में हुई हत्या का हवाला दिया। इस पर पीठ ने कहा था कि सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश हाईकोर्ट पहले ही दे चुका है।

15 महीने में सात सजा

माफिया मुख्तार अंसारी को 15 महीने में सात सजाएं मिल चुकी हैं। फिलहाल उस पर 65 में से 21 अभियोगों पर कोर्ट में सुनवाई जारी है। 15 दिसम्बर को वाराणसी के अपर सिविल जज सिनियर डीविजन प्रथम कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी को वाराणसी के भेलूपुर निवासी महावीर प्रसाद रुंगटा को जान से मारने की धमकी देने पर पांच वर्ष 6 माह का कारावास तथा 10 हजार अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।

स्पेशल डीजीपी ने बताया कि गाजीपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट ने इसी साल 29 अप्रैल को 10 वर्ष के सश्रम कारावास तथा पांच लाख रुपये का अर्थदण्ड दिया गया जबकि ए़क अन्य कोर्ट ने भी मुख्तार को जून में आजीवन कारावास एवं एक लाख के अर्थदण्ड से दण्डित किया था। इसी प्रकार से गाजीपुर के ही एमपी एमएलए कोर्ट ने गत वर्ष दिसम्बर में 10 वर्ष के सश्रम कारावास के अलावा 5 लाख रुपये का हर्जाना भी लगाया था।

Ragib Asim

Ragib Asim पिछले 8 वर्षों से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं, पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से हुई है। क्राइम, पॉलिटिक्स और मनोरंजन रिपोर्टिंग के साथ ही नेशनल डेस्क पर भी काम करने का अनुभव है।

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