बिलासपुर, 18 नवंबर 2021। गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में आज आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ एवं इंस्टीट्यूशनल इथिक्स कमेटी के द्वारा एथिकल इश्यूज इन रिसर्च इनवॉल्विग ह्यूमन सब्जेक्ट्स विषय पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के मुख्य संरक्षक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल एवं संरक्षक विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार रहे। डॉ. अरविंद जयपुरियार, अध्यक्ष इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी गुरू घासीदास विश्वविद्यालय, वक्ताओं के रूप में डॉ. एस.पी. धनेरिया प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष फार्मोकोलॉजी विभाग एम्स रायपुर, डॉ. नितिन गायकवाड़ प्राध्यापक फार्मोकोलॉजी विभाग एम्स रायपुर एवं डॉ. योगेन्द्र कीचे, अतिरिक्त प्राध्यापक फार्मोकोलॉजी विभाग एम्स रायपुर शामिल हुए।
कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर मुख्य संरक्षक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि शोध के लिए हमें अपने मापडंद स्थापित करेंगे होंगे जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के हों। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मानव की भागीदारी से जुड़े अनुसंधान के नीतिगत मामलों का बारीकी से अध्ययन किया जाये। विकसित देशों के द्वारा विकासशील देशों को जैव चिकित्सा अनुसंधान के संचालन में बाधाएं उत्पन्न होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस संबंध में ध्यान देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कुलपति ने कहा कि तर्क एवं न्यायोचित तरीके से हम सभी को मूल्यों से संबंधित विभिन्न नैतिक चिंताओं के हर पहलू पर खुलकर बात करने की आवश्यकता होती है।
कुलपति ने कहा कि भारतीय चिकित्सा शोध परिषद जैव चिकित्सा अनुसंधान के संचालन के मामलों पर दिशा-निर्देश प्रदान करती है। कार्यशाला की सफलता के लिए शुभकामनाएं प्रदान करते हुए उम्मीद जताई कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के एकमात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय के केमिकल एंड डग्स साइंस के शिक्षक व शोधार्थी बेहतर शोध पत्रों का प्रकाशन कर विश्वविद्यालय को अकादमिक मानचित्र पर स्थापित करेंगे।
गुरू घासीदास विश्वविद्यालय की इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष डॉ. अरविंद जयपुरियार ने कहा कि भारत जैव चिकित्सकीय शोध में तकनीकी तौर पर मजबूत है। अनुसंधान के नीतिगत मामलों के लिए दिशा-निर्देश एनं अन्य संशोधन के लिए एथिक्स कमेटी की आवश्यकता होती है। यह समिति विभिन्न प्रकार के जैव चिकित्सकीय शोधों के लिए निर्देशों का प्रावधान बनाती है। उन्होंने शोध के विभिन्न आयामों पर भी विस्तार से चर्चा की।