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शिक्षा विभाग भेदभाव बढ़ाकर कैसे गुणवत्ता लाएगी....प्राचार्य पद पर भी पदोन्नति हेतु 5 वर्ष के शिक्षकीय अनुभव को 3 वर्ष करने की मांग...

शिक्षा विभाग भेदभाव बढ़ाकर कैसे गुणवत्ता लाएगी....प्राचार्य पद पर भी पदोन्नति हेतु 5 वर्ष के शिक्षकीय अनुभव को 3 वर्ष करने की मांग...
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By NPG News

रायपुर 24 नवम्बर 2021। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने मुख्यमंत्री महोदय, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर प्राचार्य पद पर भी पदोन्नति हेतु 5 वर्ष के शिक्षकीय अनुभव को एक बार के लिए शिथिल करते हुए 3 वर्ष करने की मांग की है।

ज्ञात हो कि 22 नवंबर 2021 को मंत्रिपरिषद की बैठक में शिक्षक संवर्ग में पदोन्नति के प्रावधान को शिथिल किया गया जिसके तहत प्रधान पाठक प्राथमिक शाला, माध्यमिक शाला, शिक्षक व व्याख्याता के पदों पर पदोन्नति के लिए छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती तथा पदोन्नति नियम 5 मार्च 2019 में प्रावधानित 5 वर्ष के अनुभव को एक बार के लिए शिथिल करते हुए 3 वर्ष के अनुभव के आधार पर पदोन्नति देने निर्णय लिया गया है।


प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला, सचिव कमलप्रीत सिंह, अतिरिक्त संचालक के सी काबरा से चर्चा करते हुए पक्ष रखा कि मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए निर्णय में प्राचार्य व प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला के पद पर पदोन्नति के लिए विभागीय भर्ती नियमों में प्रावधानित 5 वर्ष के अनुभव को एक बार के लिए शिथिल करते हुए 3 वर्ष के अनुभव के आधार पर पदोन्नति देने का निर्णय नही लिया गया है, जिस पर अधिकारियों ने बताया कि आदेश जारी करते समय प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला में पदोन्नति को शामिल किया जाएगा। परन्तु प्राचार्य पद पर पदोन्नति हेतु अधिकारी सहमत नही है।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजिद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, डॉ कोमल वैष्णव, प्रांतीय सचिव मनोज सनाढ्य प्रांतीय कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक ने बताया कि कक्षा 1 से 12 तक कि स्कूली शिक्षा में व्याख्याता एल बी संवर्ग को शिक्षा विभाग के भेदभाव का सामना 25 वर्षो से करना पड़ रहा है,,1995 से पदस्थ शिक्षा कर्मी वर्ग 1 ने 1998 में नई नियुक्ति का सामना किया,,1998 के बाद पात्रता, योग्यता व अर्हता व्याख्याता के बराबर होने के बाद भी कभी भी हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल में सम्मानजनक व्यवहार व शाला स्कंध का दायित्व नही मिला। 1998 से शिक्षा कर्मी वर्ग 1 या व्याख्याता पं/ननि का पदोन्नति, क्रमोन्नति प्रावधान ही नही था।

1 जुलाई 2018 के संविलियन के बाद 5 मई 2019 को समेकित राजपत्र में व्याख्याता संवर्ग के पदोन्नति में 30% पद का नियम बनाया गया है किन्तु अनुभव 5 वर्ष बताया गया है,,1998 से एक ही पद पर शासकीय स्कूल की सेवा के बाद 5 वर्ष का अनुभव केवल पदोन्नति से दूर करने ही बनाया गया है,,संविलियन ही पूर्व सेवा के आधार पर हुआ है, ऐसे में पूर्व सेवा को अनुभव में क्यो शामिल नही किया गया,?

शाला के प्रभार देने में डीपीआई के कॉकस अधिकारियों का कई बार पसीना छूटा,, निरन्तर शाला प्रभार का नियम बदलता ही रहा, पर समान भाव शिक्षा विभाग ने कभी नही दिया जबकि स्कूली व शासन, प्रशासन के सभी कार्य यही शिक्षा कर्मी वर्ग 1 या व्याख्याता पं/ननि द्वारा ही पूर्ण किया गया। अंततः हाई स्कूल का प्रभार मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक को देने का आदेश किया गया है,,हद है यह शोषण व भेदभाव।

सरकार कोई भी हो परन्तु डीपीआई के इच्छाधारी कॉकस को कोई भी आईएएस संचालक तोड़ नही पाया,,कॉकस इशारा करते रहे और हमारा शोषण होता ही रहा। डीपीआई को नवीन प्रतिभा व सामर्थ्य से परहेज है, जिसके कारण ही शिक्षा का स्तर शीघ्रता से ऊंचाई नही पा रहा है।

यह स्थिति कल के कैबिनेट निर्णय में भी देख सकते है, जिसमे प्राचार्य पद पर वन टाइम रिलेक्सेशन नही किया गया है,,यह उन हजारो व्याख्याता संवर्ग का अपमान व भेदभाव ही है, जिन्होंने एक ही पद पर 25 वर्ष सेवा देकर गुजार दिए, पर शिक्षा विभाग ने उन्हें अपना नही माना। प्राचार्य पद को भी वन टाइम रिलेक्सेशन में शामिल करने से 4000 हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल को प्राचार्य मिलता व सभी संवर्ग के व्याख्याता व प्रधान पाठक को पदोन्नति मिलती जिससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार कर गुणवत्ता शिक्षा पूर्ण किया जाता।

व्याख्याता संवर्ग को भी प्राचार्य पद पर पदोन्नति हेतु एक बार के लिए 5 के स्थान पर 3 वर्ष शिक्षकीय अनुभव की शिथिलता प्रदान करने पत्र दिया गया है।

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